नाम न निशान, जनता परिवार के विलय का एलान
जनता परिवार में सपा, राजद और जद-यू समेत छह दलों के विलय का एलान हो गया है। हालांकि, बहुप्रतीक्षित बैठक से पहले सपा के तीखे विरोध के चलते नए एकीकृत दल के नाम और चुनाव चिन्ह पर फैसला नहीं हो सका। सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव नवगठित लेकिन फिलहाल बेनाम
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। जनता परिवार में सपा, राजद और जद-यू समेत छह दलों के विलय का एलान हो गया है। हालांकि, बहुप्रतीक्षित बैठक से पहले सपा के तीखे विरोध के चलते नए एकीकृत दल के नाम और चुनाव चिन्ह पर फैसला नहीं हो सका। सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव नवगठित लेकिन फिलहाल बेनाम पार्टी के नेता व संसदीय दल के अध्यक्ष होंगे। नाम और निशान को लेकर मुलायम सिंह की अध्यक्षता में गठित समिति बाद में फैसला लेगी। 'दैनिक जागरण' ने 11 अप्रैल को ही जानकारी दी थी कि बुधवार को निशान और नाम पर फैसला नहीं होगा।
इस समिति में जदयू अध्यक्ष शरद यादव, राजद सुप्रीमो लालू यादव, एचडी देवगौड़ा, राम गोपाल यादव व कमल मोरारका का नाम है। बुधवार को हुए विलय में समाजवादी पार्टी, जद-यू, राजद, जद-एस, आइएनएलडी और समाजवादी जनता पार्टी शामिल हैं। मुलायम सिंह यादव के आवास पर हुई विलय बैठक में शरद यादव, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, अभय चौटाला शामिल थे। बिहार में छह माह बाद विधानसभा चुनावों में भाजपा का मुकाबला करने से पहले हुए इस गठजोड़ को भाजपा को रोकने की कवायद माना जा रहा है।
पिछले ढाई तीन महीने से चल रही कवायद आखिरकार मुकाम तक पहुंची। बुधवार को विलय की घोषणा के बाद पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने कहा कि एकीकृत परिवार के नेता जल्द ही देश में भर की यात्रा कर पुराने समाजवादियों को एक करेंगे। लालू ने कहा कि हम सांप्रदायिक शक्तियों को रोकने के लिए कुछ भी करेंगे।
विलय पर परिवार में विवाद :
नई दिल्ली : जनता दल के विलय को लेकर समाजवादी पार्टी में गंभीर मतभेद उभर आए हैं। सूत्रों के मुताबिक विलय को लेकर समाजवादी मुखिया मुलायम सिंह के परिवार में ही विरोध है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पार्टी महासचिव व राज्यसभा में पार्टी नेता रामगोपाल यादव भी इस विलय के पक्ष में नहीं है।
जानकारी के मुताबिक इस बैठक के आयोजन की जिम्मेदारी रामगोपाल पर थी लेकिन पार्टी सुप्रीमो के फैसले से नाराज रामगोपाल ने बैठक से दूरी बनाए रखी। ऐसे में यह जिम्मेदारी मुलायम के छोटे भाई व उत्तर प्रदेश के लोकनिर्माण मंत्री शिवपाल यादव ने संभाली। उधर, बैठक का बहिष्कार कर सैफई गए रामगोपाल देर शाम दिल्ली लौट आए।
इस गठजोड़ को लेकर पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई में भी गहरा असंतोष है। पार्टी के एक प्रवक्ता का कहना है कि इस गठजोड़ से पार्टी को सिर्फ नुकसान ही होगा। क्या राज्यसभा में अब पार्टी संसदीय दल के नेता शरद यादव होंगे? आम समाजवादी इस बदलाव को कैसे स्वीकार करेगा? उनके मुताबिक नेताजी के फैसले से राज्य में सपा कार्यकर्ता पार्टी की पहचान गंवाने के संकट से सकते में हैं। उनके मुताबिक ऐसे समय में जब पार्टी की सरकार है और युवा मुख्यमंत्री बेहतर काम कर रहे हैं, इस प्रकार के विलय के फैसले का औचित्य समझ से परे है।
यह है इनकी ताकत :
जनता परिवार में शामिल छह पार्टियों का असर पांच राज्यों में है। हिंदी पट्टी के दो बड़े राज्यों उत्तर प्रदेश और बिहार में इनकी सरकारें हैं। संसद में इनके कुल 45 सदस्य हैं-लोकसभा में 15 और राज्यसभा में 30। विलय के बाद देश भर में इनके कुल 424 विधायक हो गए। यह संख्या देश में तीसरी बड़ी संख्या है।1029 विधायकों के साथ भाजपा पहले नंबर पर है तो 941 विधायकों के साथ कांग्रेस दूसरे स्थान पर। जनता परिवार में शामिल छठी पार्टी कमल मोरारका की समाजवादी जनता पार्टी (सजपा) है, जिसके पास न तो कहीं कोई विधायक है न ही कोई सांसद।
दल राज्य लोस रास विस
सपा यूपी 5 15 232/403
राजद बिहार 4 1 24/243
जदयू बिहार 2 12 110/243
जेडीएस कर्नाटक 2 1 40/225
आइएनएलडी हरियाणा 2 1 18/90
कुल- 5 राज्य, 15 सांसद, 30 सांसद, 424 विधायक
-'घमंडी हो गई है नई सरकार, पिछली सरकारों की तरह विपक्ष से राय नही लेती'-मुलायम सिंह, जनता परिवार अध्यक्ष
-'हमने भाजपा को रोकने के लिए अपने अस्तित्व को विलीन किया। बिहार से आएगा बदलाव'-लालू यादव, पूर्व रेल मंत्री
-'देश की राजनीति को नई दिशा देगा यह एकीकरण'-नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार
छह दलों के विलय से बनी नई पार्टी से कांग्रेस पर कोई असर नहीं पड़ेगा-पीसी चाको, कांग्रेस प्रवक्ता