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जम्‍मू-कश्‍मीर विधानसभा में जमकर हंगामा, हाथापाई

जम्‍मू-कश्‍मीर विधानसभा में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस द्वारा पावर प्रोजेक्‍ट का मामला उठाने पर हंगामा हो गया। हंगामा इतना बढ़ गया कि बात विधायकों के बीच हाथापाई और मारपीट तक पहुंच गई। जनप्रतिनिधियों को इस तरह लड़ता देख सदन में मौजूद स्‍कूल के छात्र भी शर्मसार हो गए। राज्‍य के

By Tilak RajEdited By: Published: Fri, 27 Mar 2015 12:33 PM (IST)Updated: Fri, 27 Mar 2015 07:55 PM (IST)
जम्‍मू-कश्‍मीर विधानसभा में जमकर हंगामा, हाथापाई

जम्मू। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस द्वारा पावर प्रोजेक्ट का मामला उठाने पर हंगामा हो गया। हंगामा इतना बढ़ गया कि बात विधायकों के बीच हाथापाई और मारपीट तक पहुंच गई। जनप्रतिनिधियों को इस तरह लड़ता देख सदन में मौजूद स्कूल के छात्र भी शर्मसार हो गए। राज्य के शिक्षा मंत्री नईम अख्तर ने इस घटना पर दुख प्रकट किया। विपक्ष का आरोप है कि सरकार न्यूनतम साझा कार्यक्रम के हर एक मुद्दे से एक-एक कर पीछे हट रही है।

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जम्मू-कश्मीर विधानसभा में जब विधायकों के बीच हाथापाई हो रही थी, उस वक्त सदन में कुछ स्कूल के छात्र भी मौजूद थे। सदन का यह नजारा देख स्कूल के बच्चों को काफी शर्मिंदगी महसूस हुई। एक स्कूल की छात्रा ने कहा, 'विधानसभा में अनुशासनहीनता को देख मुझे काफी निराशा हुई। ऐसा नहीं होना चाहिए था। जब विधायकों के बीच मारपीट हो रही थी, तक हमारे पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी सदन में मौजूद थे। मुझे उम्मीद थी कि वह इस हंगामे को शांत कराएंगे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।'

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पीडीपी नेता और राज्य के शिक्षा मंत्री नईम अख्तर ने भी विधानसभा में हुई इस घटना पर निराशा व्यक्त की है। उन्होंने कहा, 'मैं बहुत बुरा महसूस कर रहा हूं कि हमने स्कूल के बच्चों के सामने सदन का ऐसा दृश्य पेश किया। मुझे नहीं लगता कि स्कूल के छात्र विधानसभा से अच्छी यादें लेकर लौटे होंगे।'

गौरतलब है कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने संसद में एक लिखित जवाब में कहा था कि एनएचपीसी के पावर प्रोजेक्ट को वित्तीय और क़ानूनी वजहों से जम्मू-कश्मीर को नहीं सौपा जा सकता है। हालांकि पीडीपी-बीजेपी के गठबंधन में राज्य सरकार को कुछ प्रोजेक्ट सौंपने की प्रक्रिया शुरू करने पर सहमति बनी थी।

बता दें कि हंगामे को शांत करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष कवींद्र गुप्ता ने सदन की कार्यवाही को दस मिनट के लिए स्थगित कर दिया। 18 मार्च से शुरू हुई जम्मू-कश्मीर विधानसभा में यह पहला मौका था, जब सदन की कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा।


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