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आखिरी बाढ़ पीड़ित तक पहुंचे राहत कार्य : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीमकोर्ट ने जम्मू कश्मीर में बाढ़ पीड़ितों को बचाने के लिए केंद्र और सेना द्वारा चलाए जा रहे राहत और बचाव कार्य पर संतोष जताते हुए सरकार से कहा है कि बचाव के अलावा सरकार पुनर्वास पर भी ध्यान दे। कोर्ट ने इसके अलावा राज्य सरकार से पीड़ितों को अनुग्रह राशि देने और राज्य में बैंकिंग सेवा बहाल करने पर भी विचार करने को कहा है ताकि रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के लिए लोगों के पास पैसा तो हो।

By Edited By: Published: Mon, 15 Sep 2014 12:02 PM (IST)Updated: Mon, 15 Sep 2014 10:28 PM (IST)
आखिरी बाढ़ पीड़ित तक पहुंचे राहत कार्य : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने जम्मू कश्मीर में बाढ़ पीड़ितों को बचाने के लिए केंद्र और सेना द्वारा चलाए जा रहे राहत और बचाव कार्य पर संतोष जताते हुए सरकार से कहा है कि बचाव के अलावा सरकार पुनर्वास पर भी ध्यान दे। कोर्ट ने इसके अलावा राज्य सरकार से पीड़ितों को अनुग्रह राशि देने और राज्य में बैंकिंग सेवा बहाल करने पर भी विचार करने को कहा है ताकि रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के लिए लोगों के पास पैसा तो हो।

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मुख्य न्यायाधीश आर एम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली पीठ ने ये निर्देश सोमवार को जम्मू कश्मीर में बाढ़ पीड़ितों को राहत और मदद के मसले पर सुनवाई के दौरान जारी किए।

सोमवार को मामले पर सुनवाई के दौरान एटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने केंद्र की ओर से बचाव और राहत कार्य के लिए किए जा रहे कामों का ब्योरा पेश किया। उन्होंने बताया कि अब तक करीब 2 लाख 10 हजार से ज्यादा लोगों को बचाया जा चुका है। श्रीनगर में फंसे लगभग सभी पर्यटकों को बाहर निकाला जा चुका है। सेना युद्ध स्तर पर राहत और बचाव कार्य में लगी है।

इन दलीलों पर कोर्ट ने कहा कि सिर्फ बचाने पर ही नहीं बल्कि लोगों के पुनर्वास पर भी ध्यान दिया जाए। कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि मदद अंतिम व्यक्ति तक पहुंचनी चाहिए। भोजन, पानी, ईंधन तथा दवाएं पहुंचाना प्राथमिकता हो। पीठ ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को गेस्ट हाउस या घर से ही कामकाज शुरू करने के सुझाव पर विचार करने को कहा है। मरे हुए जानवरों को हटाने पर भी कोर्ट ने राज्य से जवाब मांगा है।

केंद्र ने कोर्ट को दिया ब्योरा- अब तक 2.10 लाख लोग बचाए गए

- 30000 जवान, 15 टुकड़ियां इंजीनिय¨रग फोर्स, एनडीआरएफ की 22 टीमें लगी हैं राहत बचाव में

- 350 नावें राहत में लगी हैं। राज्य सरकार का कहना है कि और नाव नही चाहिए

- सेना की 80 टीमें मेडिकल सुविधा में लगी हैं। चार अस्थाई अस्पताल शुरू किए गए हैं।

दो मोर्चो पर युद्ध जीत रही सेना

जम्मू, [विवेक सिंह]। सीमावर्ती जम्मू-कश्मीर में सेना दो मोर्चो पर अपनी जीत दर्ज करवा रही है। प्रकृति के कहर से दो लाख लोगों को बचाकर सेना ने राहत अभियान का नया कीर्तिमान बनाया है तो दुश्मन के नापाक इरादे नाकाम बनाने के लिए बाढ़ से सीमा पर हुए नुकसान की भी भरपाई कर ली गई है।

सीमा पर दुश्मन को नाकाम बनाने की लड़ाई को उत्तरी व पश्चिमी कमान मिलकर लड़ रही हैं। कश्मीर में राहत अभियान के बीच सेना ने 4 आतंकियों को मार गिराया है। इनमें से तीन कुपवाड़ा में नियंत्रण रेखा से घुसपैठ की कोशिश कर रहे थे। ऐसे हालात में अखनूर से पुंछ तक नियंत्रण रेखा पर डिफेंस मजबूत बनाने के अभियान में पठानकोट से लेकर चंडीगढ़ तक से आई इंजीनियरिंग टीमें दल बल के साथ सहयोग दे रही हैं। चूंकि सोलह कोर से भी इंजीनियरिंग उपकरण कश्मीर भेजे गए हैं इसलिए पंजाब से बड़ी मशीनें लेकर कुछ नई टीमें भी आ रही हैं।

पिछले सात दिनों में जम्मू संभाग में सेना की इंजीनियर रेजीमेंटों ने तीन सौ किलोमीटर लंबी नियंत्रण रेखा पर क्षतिग्रस्त फैंसिंग को लगभग ठीक कर दिया है। सिर्फ जलमग्न इलाकों में ही फेंसिंग को ठीक करना बाकी है। इसके साथ बाढ़ के कारण जिन चौकियों, बंकरों, सीमांत क्षेत्रों को जोड़ने वाले पुलों का नुकसान हुआ था, उन्हें भी काफी हद तक ठीक कर लिया गया है।

सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सीमा की सुरक्षा को पुख्ता कर दिया गया है व दुश्मन चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता है। नियंत्रण रेखा पर जो भी संवेदनशील स्थान हैं वहां पर अतिरिक्त जवानों की तैनाती कर दुश्मन पर नजर रखी जा रही है।

इस बीच सीमांत क्षेत्रों में सेना की मूवमेंट को सुचारू रखने के लिए पिछले कुछ दिनों में सेना ने निक्की तवी के फलाएं मंडाल के साथ सीमावर्ती परगवाल के हमीरपुर कोना में भी पुल बनाकर सीमांत क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित कर दी है। इससे जवानों के नियंत्रण रेखा तक जाने के साथ वहां बड़ी इंजीनियरिंग मशीनें भी पहुंच रही हैं। रक्षा दृष्टि से महत्वपूर्ण राजौरी-पुंछ जिलों को जोड़ने वाले दरूंगी नाला पुल के साथ टीडीआर नाले पर भी सेना ने बड़े पुल बना दिए हैं। कुछ सीमांत क्षेत्रों में पुल बनाने का कार्य पूरा होने वाला है।

वहीं, सड़क संपर्क बहाल करने के लिए भी इस समय भी समय सीमा सड़क संगठन की पांच टास्क फोर्स में शामिल 6 हजार इंजीनियर व अन्य कर्मी दिन रात जुटे हुए हैं।।

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राहत में पत्थरबाजों का खलल


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