ट्रैफिक व्यवस्था जरूरी
ट्रैफिक पुलिस के कामकाज में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से राज्य के प्रवेशद्वार लखनपुर से श्रीनगर तक करीब दो सौ ट्रैफिक नाकों को हटा दिए जाने से यह स्पष्ट हो जाता है कि इन नाकों पर वाहन चालकों से वसूली और तस्करी जैसे कार्य हो रहे थे। विगत दिवस ट्रैफिक
ट्रैफिक पुलिस के कामकाज में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से राज्य के प्रवेशद्वार लखनपुर से श्रीनगर तक करीब दो सौ ट्रैफिक नाकों को हटा दिए जाने से यह स्पष्ट हो जाता है कि इन नाकों पर वाहन चालकों से वसूली और तस्करी जैसे कार्य हो रहे थे। विगत दिवस ट्रैफिक पुलिस के आइजी ने नाके हटाए जाने की घोषणा की। विडंबना यह है कि नाके हटाया जाना किसी समस्या का हल नहीं है, समस्या तो व्यवस्था में है। आरोप हैं कि विभाग में रिश्वतखोरी काफी हद तक बढ़ गई है, जिससे ट्रैफिक व्यवस्था छिन्न-भिन्न होकर रह गई है। शहर में ट्रैफिक का तो बुरा हाल है। मिनी बस चालकों ने तो मानों सड़कों पर अपना कब्जा जमाया हो। पैसेंजर शेड मात्र शोपीस बनकर रह गए हैं और मिनी बस चालक अपनी मनमर्जी से सड़क के बीचों-बीच ब्रेक लगाकर सवारियां ढोने से बाज नहीं आते। इससे कई बार हादसे भी हो जाते हैं।
पिछले दो माह के दौरान राज्य में 273 हादसे हुए, जिनमें 23 लोगों की जान गई। इनमें से कई हादसे टाले जा सकते थे बशर्ते क्षेत्रीय परिवहन विभाग और ट्रैफिक पुलिस मिलकर दोषी वाहन चालकों के खिलाफ कोई व्यापक रणनीति तैयार करते, जिससे हादसों में कमी आती। महज चालान काटकर ट्रैफिक विभाग यह न समझे कि वह अपना कार्य कर रहे हैं। जब तक ट्रैफिक निजाम में भ्रष्टाचार दूर नहीं होगा और व्यवस्था व तालमेल नहीं होगा तब तक विभाग में सुधार लाना संभव नहीं। यह अच्छी बात है कि आइजी ट्रैफिक ने व्यवस्था स्थापित करने के मकसद से अब नाकों पर ट्रैफिक कर्मियों के साथ-साथ एक डीएसपी स्तर के अधिकारी को तैनात करने का फैसला किया है। इससे हफ्ता वसूली में कमी आ सकती है। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग एक संवेदनशील मार्ग है और इसीलिए यहां पर काफी संख्या में नाके लगाए गए थे, ताकि यातायात को व्यवस्थित रखा जा सके। बेहतर तो यह होता कि जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर नाकों को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाता और स्थिति पर नजर रखी जाती। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग मादक पदार्थों की तस्करी के लिए भी इस्तेमाल होता रहा है और ट्रैफिक पुलिस ने कई बार अपने नाकों पर तस्करों को पकड़ा है। इस हाईवे को खाली छोडऩा भी सही निर्णय नहीं कहा जा सकता।
[स्थानीय संपादकीय: जम्मू-कश्मीर]