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टैक्सी ऑपरेटर्स की दो टूक- 'एक घंटे में समाधान न हुआ तो चक्का जाम'

दिल्ली-एनसीआर में डीजल टैक्सियों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाए बैन के बाद आज इसके विरोध में टैक्सी ड्राइवरों ने एनसीआर में जगह-जगह जाम लगा रखा है।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 02 May 2016 07:42 AM (IST)Updated: Mon, 02 May 2016 02:19 PM (IST)
टैक्सी ऑपरेटर्स की दो टूक- 'एक घंटे में समाधान न हुआ तो चक्का जाम'

नई दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में डीजल टैक्सियों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाए बैन के बाद आज इसके विरोध में टैक्सी ड्राइवरों ने एनसीआर में जगह-जगह जाम लगा रखा है। वहीं, डीजल टैक्सी ऑपरेटर्स ने चेतावनी दी है कि अगर अगले एक घंटे में समाधान नहीं निकाला गया तो पूरे दिल्ली-एनसीआर में चक्का जाम किया जाएगा।

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दिल्ली-एनसीआर में डीजल टैक्सियों के बैन के खिलाफ टैक्सी ऑपरेटर्स ने आज सुबह ही विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया था। प्रदर्शनकारियों ने सुबह दस बजे के आसपास धौला कुआं के पास दिल्ली-गुड़गांव रोड जाम कर दी। हालांंकि, पुलिस ने कुछ मशक्कत के बाद जाम खुलवा दिया।

सूचना आ रही है कि टैक्सी ऑपरेटर्स की हड़ताल के चलते अब दिल्ली का आउटर रिंग रोड जाम हो गया है। आश्रम फ्लाई ओवर पर दिल्ली टैक्सी यूनियन ने जाम लगा दिया है। यहां पर कई किलोमीटर लंबा जाम लग गया है। पुलिस के आला अधिकारी मौके पर हैं और जाम खुलवाने की कोशिश कर रहे हैं।

प्रदर्शन कर रहे टैक्सी ड्राइवरों का कहना है कि कोर्ट के फैसले की वजह से वह बेरोजगार हो गए हैं और उनकी रोजी-रोटी छिन गई है।

जाम से सबसे ज्यादा प्रभावित दिल्ली-गुड़गांव सीमा थी, जहां करीब 2 किलोमीटर लंबा जाम लगा था। इस वजह से दिल्ली से गुड़गांव और गुड़गांव से दिल्ली जाने वाले लोग घंटों से जाम में फंसे रहे।

सुबह डीएनडी पर भी प्रदर्शनकारियों ने जाम लगा दिया था। पुल‌‌िस ने इसे खुलवा ‌द‌िया और प्रदर्शनकारी ड्राइवरों को भी ह‌िरासत में ले ल‌िया है। इसके अलावा, द‌िल्ली के आश्रम मार्ग पर भी काफी देर तक वाहन चालक जाम में फंसे रहे।

जाम व प्रदर्शन से लोगों को हुई परेशानी

सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली में डीजल कैब के संचालन पर बैन लगाने से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। एप बेस्ड कैप कंपनियों के संचालन पर भी इसका असर देखा गया। दिल्ली की 27 हजार डीजल की व्यवसायिक कारों में कुछ ओला और उबर जैसे एप बेस्ड कैब सर्विस कंपनियों के साथ जुड़ी हुई है।

इसके अलावा, वीपीओ, कारपोरेट दफ्तरों जहां ट्रांसपोर्टरों की कैब सेवा लगी हुई है, वहां काम करने वाले कर्मचारियों को दफ्तर आने में परेशानी हुई। कई तो मेट्रो का इस्तेमाल कर दफ्तर पहुंचे। रोहिणी में रहने वाले और गुडग़ांव में बीपीओ में काम करने वाले आनन्द कैब न आने के कारण काम पर नहीं जा सके।

वहीं आश्रम, गुरुद्वारा रकाबगंज समेत कई स्थानों पर प्रतिबंध के खिलाफ डीजल टैक्सी चालकों को विरोध प्रदर्शन हुआ। जंतर-मंतर पर विरोध जताने पहुंचे। दिल्ली टैक्सी, टूरिस्ट ट्रांसपोर्टर्स एंड टूर आपरेटर एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय सम्राट ने कहा कि जब तक केंद्र व दिल्ली सरकार उन लोगों की रोजी रोटी के लिए कोई रास्ता नहीं निकालती तब तक विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।

उन्होंने कहा कि साजिश के तहत उन लोगों को सड़क से हटाया जा रहा है, क्योंकि सरकार एप बेस्ड कैब सेवा को बढ़ावा देने में जुटी है

डीजल कैब चालकों ने डीएनडी पर किया प्रदर्शन

डीजल कैब बंद होने से नाराज कैब चालकों ने डीएनडी टोल प्लाजा पर जाम लगाकर प्रदर्शन किया। सुबह करीब 10 बजे से आधे घंटे तक चला प्रदर्शन। सुबह हुए प्रदर्शन के वजह से डीएनडी पर भारी ट्रैफिक जाम लग गया। सूचना पर पुलिस अधिकारी और ट्रैफिक पुलिस मौके पर पहुंची और कुछ देर में प्रदर्शन कर रहे लोगोंं को हटाया गया। इसके करीब आधे घंटे बाद ट्रैफिक सामान्य हो सका।

सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत, दिल्ली-एनसीआर में डीजल टैक्सी पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने एक मई से दिल्ली-एनसीआर में डीजल टैक्सियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख के बाद दिल्ली सरकार ने भी डीजल टैक्सियों के खिलाफ सख्त रुख अपना लिया है।

सरकार ने परिवहन विभाग सहित संबंधित एजेंसियों को डीजल टैक्सियों को जब्त करने के संबंध में दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। सरकार ने डीजल से चलने वाली 27 हजार टैक्सियों पर एक मई से ही रोक लगा दी थी।

दिल्ली परिवहन विभाग के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी में करीब 60 हजार टैक्सियां पंजीकृत हैं। इनमें 27 हजार डीजल से चलने वाली हैं। पिछले दो महीने में करीब दो हजार डीजल टैक्सियों को सीएनजी में बदला गया है।

कोर्ट का आदेश ऑल इंडिया परमिट वाली टैक्सियों पर लागू नहीं है, लेकिन एक वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो जिन टैक्सियों के पास ऑल इंडिया परमिट है, नियमों के अनुसार उन्हें दिल्ली में केवल 200 किलोमीटर दूरी तय करने की इजाजत है। वह दिल्ली से बाहर नहीं जा सकती हैं।

ऐसे में डीजल चालित टैक्सियों के सड़कों से हटने से मुसाफिरों को दिक्कतें हो सकती हैं। सबसे ज्यादा असर उन महिलाओं पर पड़ेगा जो दिल्ली से एनसीआर के विभिन्न जगहों पर कार्य करने के लिए रोजाना आती-जाती थीं।

ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी टैक्सियों को सीएनजी में बदलने के लिए 30 अप्रैल की समयसीमा को और बढ़ाने से 30 अप्रैल को ही इन्कार कर दिया था। इससे पहले कोर्ट ने 31 मार्च को सभी डीजल टैक्सियों को सीएनजी में बदलने के लिए 30 अप्रैल तक की समयसीमा तय की थी।


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