जेटली ने दिखाई केजरीवाल को हद
दिल्ली सरकार और उप राज्यपाल के बीच चल रही अधिकारों की जंग के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फिर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनकी हदें दिखाई हैं। उन्होंने दो टूक कहा है कि संविधान ने जो अधिकार दिल्ली सरकार को नहीं दिए हैं, वे उसे नहीं मिल सकते।
राजकिशोर, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार और उप राज्यपाल के बीच चल रही अधिकारों की जंग के बीच वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फिर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को उनकी हदें दिखाई हैं। उन्होंने दो टूक कहा है कि संविधान ने जो अधिकार दिल्ली सरकार को नहीं दिए हैं, वे उसे नहीं मिल सकते।
इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के मोदी-मनमोहन मुलाकात पर किए गए कटाक्ष को भी राजनीतिक रूप से अपरिपक्व बयान करार दिया। भूमि अधिग्रहण विधेयक के रास्ते में रोड़ा अटकने पर संसद का संयुक्त अधिवेशन बुलाए जाने की संभावनाओं को भी उन्होंने कतई नहीं नकारा।
दैनिक जागरण को दिए गए साक्षात्कार में वित्त व सूचना प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने आर्थिक और प्रशासनिक मामले से इतर राजनीतिक विषयों पर भी चर्चा की। सरकार के एक वर्ष पूरे होने पर कामकाज के आकलन के साथ जेटली ने राजनीतिक आरोपों का जहां करारा जवाब दिया, वहीं सरकार की उपलब्धियों और भविष्य की योजनाओं की तरफ भी इशारा किया।
मोदी सरकार पर विपक्ष की तरफ से उठाए गए सवालों को भी उन्होंने बिंदुवार काटा। मोदी सरकार से अपेक्षाओं पर भी वित्त मंत्री ने कहा कि अर्थव्यवस्था से लेकर सामाजिक क्षेत्र तक कई अहम फैसले हुए हैं, जिनके नतीजे जल्द ही दिखाई देंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के-अच्छे दिन आने वाले हैैं..- की जगह-बुरे दिन गए-की शब्दावली का भी उन्होंने बचाव किया और कहा कि दोनों एक ही बात है।
दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच छिड़ी जंग पर उन्होंने साफ कह दिया कि दिल्ली राज्य नहीं, बल्कि संघ शासित प्रदेश है। यहां की सरकार को समझना होगा कि संवैधानिक मान्यता के अनुसार दिल्ली पिछले 68 वर्षों से संघ शासित है। दिल्ली सरकार के पास बहुत अधिक अधिकार हैैं। उन सबका वह प्रयोग करे। वह चुनी हुई सरकार है। लेकिन जो अधिकार संविधान ने उनको नहीं दिए वे अधिकार उनके पास नहीं हैैं। कानून-व्यवस्था और सीआरपीसी जैसे अधिकार उन्हें कभी नहीं दिए जा सकते।
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के कोचिंग वाले कटाक्ष को उन्होंने राजनीतिक रूप से अपरिपक्व करार दिया। साथ ही गैरभाजपा मोर्चा बनाने की विपक्ष की कोशिशों को ज्यादा तवज्जो भी नहीं दी। लोकसभा से पारित विधेयकों को राज्यसभा में गिरा दिए जाने की प्रवृत्ति को उन्होंने लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताया।
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