यूपीए के भूमि कानून से देश की सुरक्षा को खतरा था : जेटली
कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए वित्त मंत्री अरण जेटली ने गुरवार को कहा कि पूर्व यूपीए सरकार के भूमि अधिग्रहण कानून का देश की सुरक्षा पर विनाशकारी प्रभाव प़़ड सकता था, क्योंकि इसके कारण पाकिस्तान भारत में आने वाली महत्वपूर्ण रक्षा परियोजनाओं की जानकारी हासिल कर सकता था।
नई दिल्ली। कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए वित्त मंत्री अरण जेटली ने गुरवार को कहा कि पूर्व यूपीए सरकार के भूमि अधिग्रहण कानून का देश की सुरक्षा पर विनाशकारी प्रभाव प़़ड सकता था, क्योंकि इसके कारण पाकिस्तान भारत में आने वाली महत्वपूर्ण रक्षा परियोजनाओं की जानकारी हासिल कर सकता था।
यूपीए सरकार के भूमि कानून को त्रुटिपूर्ण बताते उन्होंने कहा कि यद्यपि कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने सेना और सुरक्षा को जल्द मंजूरी की सूची में रखा था, मगर वह इन परियोजनाओं को छूट प्राप्त सूची में रखना ही भूल गई। जेटली के अनुसार इससे जाहिर हो जाता कि ये परियोजनाएं कहां स्थापित की जा रही है और क्यों। ऐसा कैसे होता जेटली ने कहा कि यूपीए के कानून में 70 प्रतिशत किसानों [जिनकी जमीन ली जा रही है] की सहमति लेने की जरूरत होती। इसके साथ ही स्थापित हो रही परियोजना के सामाजिक प्रभाव का अध्ययन कराना भी जरूरी था। इसके चलते परियोजना की जानकारी जाहिर हो जाती और पाकिस्तान तक पहुंच जाती।
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राष्ट्रपति के अभिभाषषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर राज्यसभा में चल रही बहस में हस्तक्षेप करते हुए जेटली ने कहा कि इस तरह यूपीए का भूमि कानून त्रुटिपूर्ण था और इससे देश की सुरक्षा को खतरा था। हमने इसे ठीक किया।
जेटली ले आए शर्मा की चिट्ठी
भूमि बिल पर कांग्रेसी विरोध की हवा निकालने के लिए वित्त मंत्री जेटली संप्रग सरकार में वाणिज्य और उद्योग मंत्री रहे आनंद शर्मा की एक चिट्ठी पेश की। यह पत्र शर्मा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को लिखा था। उन्होंने संप्रग सरकार द्वारा लाए गए बिल का विरोध करते हुए कहा था कि प्रस्तावित कानून का दीर्घावधि में 'विपरीत' असर होगा।
जेटली के मुताबिक 25 मई, 2012 को प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में शर्मा ने कहा था--'बिल के मौजूदा स्वरूप का निर्माण क्षेत्र, औद्योगीकरण तथा भारत के शहरीकरण पर दीर्घावधि में विपरीत असर होगा।' शर्मा ने कहा था कि इससे जमीन की कीमत बहुत ब़़ढ जाएगी और उसका अधिग्रहण लगभग असंभव हो जाएगा।
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