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संथारा के समर्थन में उतरा जैन समाज

संथारा प्रथा को राजस्थान हाई कोर्ट द्वारा प्रतिबंधित करने के खिलाफ सोमवार को कई राज्यों में जैन समुदाय के लोगों ने मौन जुलूस निकाला। इस दौरान समाज के लोगों ने अपने प्रतिष्ठानों को बंद रखा। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, झारखंड व हरियाणा में जमकर विरोध के स्वर उठे। जैन

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Tue, 25 Aug 2015 02:40 AM (IST)Updated: Tue, 25 Aug 2015 02:42 AM (IST)
संथारा के समर्थन में उतरा जैन समाज

नई दिल्ली, जागरण न्यूज नेटवर्क। संथारा प्रथा को राजस्थान हाई कोर्ट द्वारा प्रतिबंधित करने के खिलाफ सोमवार को कई राज्यों में जैन समुदाय के लोगों ने मौन जुलूस निकाला। इस दौरान समाज के लोगों ने अपने प्रतिष्ठानों को बंद रखा। दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, झारखंड व हरियाणा में जमकर विरोध के स्वर उठे। जैन धर्मावलंबियों ने कोर्ट द्वारा संथारा को आत्महत्या के साथ जोडऩे को धर्म के ज्ञान का अभाव बताया। समुदाय ने हर जगह वरिष्ठ अधिकारियों को इस बाबत ज्ञापन भी सौंपा।

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संथारा पर प्रतिबंध लगाने से नाराज लोगों ने नई दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में जैन धर्मावलंबियों के अलावा अन्य धर्मों के गुरुओं ने भी भाग लिया और संथारा प्रथा पर प्रतिबंध लगाने के फैसले को अनुचित ठहराया। चांदनी चौक, खारी बावली, सदर बाजार समेत अन्य बाजारों में जैन धर्मावलंबी दुकानदारों ने व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रखकर फैसले का विरोध किया।

उत्तर प्रदेश में समाज के लोगों ने ऐतिहासिक मौन विरोध किया। लोगों ने स्कूल-कॉलेज बंद रखे और बच्चों को स्कूल तक नहीं भेजा। काली पट्टियां बांधकर मौन जुलूस निकाला। लखनऊ समेत पूरे अवध में विरोध का खासा असर रहा। वाराणसी में जैन समाज के लोगों ने प्रधानमंत्री के संसदीय कार्यालय पर प्रदर्शन कर आंदोलन की चेतावनी दी। इलाहाबाद में भी प्रथा पर रोक के विरोध में मौन जुलूस निकाला गया।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी समाज के लोगों ने जुलूस निकाला। आगरा में श्वेतांबर व दिगंबर जैन मुनियों ने एक मंच से संथारा के समर्थन में कहा कि अदालत को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए। एटा में बाजार बंद रखा गया।

वहीं राजस्थान में भी विरोध के स्वर उठे। जुलूस में दिगंबर और श्वेताम्बर दोनों समाजों के लोग शामिल थे। करीब एक लाख जैन धर्मावलंबी संथारा के समर्थन में सड़कों पर उतरे। हाथों में तख्तियां और काली पट्टी बांधे जैन धर्मावलंबियों ने मौन रहकर संथारा का समर्थन किया। इस आंदोलन को विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल सहित कई मुस्लिम संगठनों का समर्थन भी मिला।

पंजाब के भी सभी जैन प्रतिष्ठान बंद रहे। समुदाय के लोगों ने इस प्रथा पर रोक लगाने के खिलाफ जालंधर, अमृतसर, रूपनगर, नवांशहर सहित राज्य भर के कई शहरों में रोष जताया।

क्या है फैसला

राजस्थान हाई कोर्ट ने जैन धर्म की धार्मिक प्रथा संथारा (मृत्यु तक उपवास) को अवैध बताते हुए उसे भारतीय दंड संहिता 306 तथा 309 के तहत दंडनीय बताया है। अदालत ने कहा है कि संथारा या मृत्यु पर्यंत उपवास जैन धर्म का आवश्यक अंग नहीं है। इसे मानवीय नहीं कहा जा सकता, क्योंकि यह मूल मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है। कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ जैन समाज में आक्रोश है।

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'यह एक उत्कृष्ट आत्म साधना है। इसे आत्महत्या के साथ जोडऩे से भी समाज की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं।' -राजेश जैन, जैन महासभा प्रधान, जालंधर

'कोर्ट द्वारा जैन धर्म में संथारा को आत्महत्या के साथ जोडऩा गलत है। यह वास्तव में एक धार्मिक व पवित्र प्रक्रिया है।' -विमल जैन, राष्ट्रीय उप प्रधान श्वेतांबर जैन कांफ्रेंस दिल्ली


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