...तो इसलिए लोग राहुल गांधी के बयानों को गंभीरता से नहीं लेते
शिवाजी सरकार का यह मानना है कि पिछले दिनों जिस तरह का राहुल ने बयान दिया था उसके चलते कोई भी उन्हें गंभीरता से नहीं लेने को तैयार था।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को जल्द ही पार्टी की कमान सौंप दी जाएगी। इसके लिए बकायदा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सार्वजनिक तौर पर यह बात कह चुकी हैं। लेकिन, सवाल ये उठ रहा है कि आखिर राहुल गांधी की जिस तरह की छवि बनी है और उनके बयानों को गंभीरता से नहीं लिया जाता है आखिर ऐसा क्यों है? ये बात हम नहीं बल्कि कांग्रेस सांसद और पूर्व केन्द्रीय मंत्री शशि थरुर कह रहे हैं। थरूर का कहना है कि इसके पीछ पूरी तरह है भारतीय जनता पार्टी का हाथ है और इस मकसद में भाजपा सफल रही है।
लेकिन, इस बारे में राजनीतिक जानकारों की राय पूरी तरह से अलग है और वे शशि थरुर की इन बातों से इत्तेफाक नहीं रखते हैं। वरिष्ठ राजनीतिक जानकार शिवाजी सरकार मानते हैं कि चूंकि राहुल कोई ऐसा बयान दे देते हैं जिसके चलते विवाद पैदा होता है। और, जब विवाद पैदा होता है तो यह लाजिमी सी बात है कि विपक्ष उसका फायदा उठाने की कोशिश करेगा। तो आइये जानते हैं राहुल के वो बयान जिससे पैदा हुआ विवाद और क्या है इस पर जानकारों की राय।
राहुल और विवाद का साथ
राहुल गांधी आजकल ट्विटर पर सक्रिय रहते हैं और उनके ट्वीट्स से ख़बरें भी खूब बन रही है। कांग्रेस पार्टी की तरफ से यह दावा किया गया था कि राहुल गांधी के फॉलोअर्स में काफी बढ़ोत्तरी हुई है और सोशल मीडिया पर राहुल काफी पॉपुलर हो गए हैं। लेकिन, एक समाचार एजेंसी ने जो दावा किया है उससे राहुल के ट्वीटर पर लोकप्रियता की पोल खुलती हुई नजर आ रही है।
दरअसल, एजेंसी की तरफ से दावा किया गया है कि राहुल गांधी के ट्वीटर को बॉट्स सॉफ्टवेयर के जरिए हज़ारों पर फर्जी रि-ट्वीट कराया जाता है। इसके लिए बकायदा डोनाल्ड ट्रंप के पाकिस्तान के साथ बेहतर संबंध के उस ट्वीटर का उदाहरण दिया गया जिस पर राहुल ने ट्वीट कर कहा था कि पीेम मोदी को एक बार फिर से राष्ट्रपति ट्रंप को गले लगाने की जरूरत है। हालांकि, इसके बाद केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी राहुल पर तंज कसते हुए कहा कि अब लगता है कि राहुल रुस और कजाखिस्तान में चुनाव लड़ने जा रहे हैं।
आरएसएस शाखा में महिलाओं पर विवादित बयान
पिछले दिनों राहुल गांधी का वड़ोदरा में दिया गया वो बयान काफी सुर्खियों में रहा और उस पर काफी विवाद भी पैदा हुआ जिसमें कांग्रेस उपाध्यक्ष ने आरएसएस और महिलाओं की ड्रेस पर टिप्पणी की थी। राहुल ने कहा कि 'क्या आपने कभी शाखा में महिलाओं को देखा है? राहुल ने कहा कि आरएसएस की सोच पर ही भाजपा काम करती है। आरएसएस की नजर में जब तक महिलाएं चुप रहें कुछ न बोलें, तब तक ठीक हैं, जैसे ही महिलाओं ने मुंह खोला कि वो चुप कराने में जुट जाते हैं। राहुल ने पूछा कि आरएसएस में कितनी महिलाएं हैं ? कभी शाखा में महिलाओं को देखा है शॉर्ट्स में ? मैंने तो नहीं देखा। राहुल के इस बयान के बाद लगातार उनसे सफाई देने की मांग तक की जाने लगी।
भारत-चीन संबंधों पर विवादित बयान
भारत और चीन के संबंधों पर चर्चा के दौरान भी राहुल ज्ञान देने से नहीं चूके। चार अप्रैल, 2013 को दिल्ली में सीआईआई के कार्यक्रम में राहुल ने कहा, 'किसी ने मुझे सलाह दी कि भारत-चीन के बीच तुलना के चक्कर में न पड़ो। लेकिन मैं उसे नहीं मानता। चीन में केंद्रीकृत व्वयस्था है। चीन को ड्रैगन कहा जाता है। लेकिन हम मधुमक्खी के छत्ते हैं, हाथी नहीं। हमें यह समझना होगा कि ताकत कहां से आती है।'
यूपीए सरकार के वक्त मनमोहन सिंह को मुश्किल में डाला
सजायाफ्ता सांसदों और विधायकों की सदस्यता बरकरार रखने के लिए लाए गए विवादित अध्यादेश पर राहुल गांधी अचानक एंग्री यंग मैन की तरह एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अवतरित हुए और यह कह कर पीएम मनमोहन सिंह को विपक्ष की आलोचनाओं का शिकार बनवा दिया कि सरकार ने दागियों को बचाने के लिए अध्यादेश लाकर ठीक नहीं किया है। उन्होंने कहा, 'मेरी पार्टी और सरकार से इतर मेरी निजी राय है कि अध्यादेश पूरी तरह से बकवास है और इसकी कॉपी को फाड़ कर फेंक देना चाहिए।'
'गरीबी एक मानसिक स्थिति'
इलाहाबाद के गोविन्द बल्लभ पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान के कार्यक्रम में छह अगस्त, 2013 को राहुल ने कहा, "गरीबी सिर्फ एक मानसिक स्थिति यानी दिमागी हालत है और इसका खाना खाने, रुपये और भौतिक चीजों से कोई वास्ता नहीं है।" उन्होंने कहा कि जब तक कोई शख्स खुद में आत्मविश्वास नहीं लाएगा तब तक वह गरीबी के मकड़जाल से बाहर नहीं निकल पाएगा।
राहुल में अब आ रहा है बदलाव
राहुल जिस अंदाज में बयान देते आ रहे हैं उसके चलते जहां आम लोग उन्हें गंभीरता से लेने को तैयार नहीं होते थे, वहीं पार्टी के नेता भी उनके बयानों को गंभीरता से नहीं लेते थे। इसकी वजह शिवाजी सरकार कुछ और मानते है। उनका यह मानना है कि चूंकि राहुल गांधी हो या राजीव गांधी इन्होंने खुद उत्सुकता से राजनीति को नहीं चुका बल्कि इन्हें लाया गया है। ऐसे में राहुल गांधी ने खुद को तैयार किया है। राहुल गांधी अब गंभीर बयानों को देने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, परिवर्तिन कितना सफल रहेगा इस बारे में अभी कुछ भी कहना मुश्किल होगा।
कांग्रेस में है नेतृत्व की शून्यता
शिवाजी सरकार ने बताया कि चूंकि भाजपा में जिस तरह की स्थिति 2004 से लेकर 2011 तक थी यानि नेतृत्व शून्यता की ठीक वैसी ही स्थिति इस वक्त कांग्रेस की है। हालांकि, कांग्रेस इस नेतृत्व शून्यता के संकट से उबरने का प्रयास कर रही है। लेकिन, अगर उन्हें इस संकट से उबरना है तो पूरी पार्टी, वर्कर्स सभी को एक साथ लाना होगा।
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