दो तिहाई हिस्से पर कब्जे के बाद दक्षिण-पूरब को फतह की तैयारी में भाजपा
आर. राजगोपालन की मानें तो ओडिशा में वाजपेयी के समय भाजपा की सबसे ज्यादा 8 लोकसभा की सीट आयी थीं।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। उत्तर प्रदेश समेत देश के उत्तरी राज्यों में शानदार जीत और देश के 18 राज्यों में भाजपा या भाजपा समर्थित सरकार के बाद अब पार्टी अपना सारा ध्यान देश के पूर्वी व दक्षिण भारत की तरफ लगा रही है। इसके लिए पार्टी को मजबूती देने की दिशा में ठोस रणनीति को जमीनी स्तर पर उतारने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने इसकी कमान अपने हाथों में ली है। आइये समझने का प्रयास करते हैं कि आखिर भाजपा का दक्षिण और पूर्वी राज्यों पर क्यों है जोर और इस बारे में क्या सोचते हैं दक्षिण राज्यों की राजनीति पर गहरी समझ रखनेवाले राजनीतिक जानकार।
पूरब और दक्षिणी राज्यों पर शाह का जोर
देश के पूर्वी और दक्षिणी हिस्से में भाजपा खुद को मजबूत करने के लिए न सिर्फ कारगर रणनीति बना रही है बल्कि पार्टी ने यह स्पष्ट भी कर दिया है कि देश के पूर्वी राज्यों में जहां पार्टी अपने बूते ही सत्ताधारी दलों को टक्कर देगी वहीं दक्षिण में जरूर साथियों की तलाश जारी रहेगी। साफ है कि पूर्वी भारत के पश्चिम बंगाल और ओडिशा में अभियान और तेज होगा। इस महीने की शुरुआत में ही दोनों राज्यों में अमित शाह का तूफानी कार्यक्रम होगा। इसी में वह कार्यकर्ताओं के लिए दिशा भी तय करेंगे और मुद्दे भी।
उत्तर भारत की कमी दक्षिण-पूरब से पूरी करने की कोशिश
दक्षिणी राज्यों की राजनीति पर पिछले करीब तीन दशक से गहरी नज़र रखनेवाले राजनीतिक जानकार आर. राजगोपालन ने Jagran.com से खास बातचीत में बताया, चूंकि उत्तर भारत में भाजपा की जबरदस्त जीत हुई है। राजस्थान, यूपी, हिमाचल, मध्य प्रदेश या यहां के अन्य राज्यों में पार्टी की अच्छी पकड़ है। साल 2019 के चुनाव को देखते हुए भाजपा का लक्ष्य 272 सीट लाना है, लेकिन पार्टी अपनी बदौलत 240-260 के बीच सीट हासिल कर सकती है। लिहाजा, यूपी में पिछली बार भाजपा को 80 में से 71 सीटें मिली थीं, 2019 में दस सीटों की कमी हो सकती है। ऐसे में भाजपा की कोशिश इन कमियों की पूरा करने के लिए दक्षिण भारत में जोर लगाकर उसे पूरा करने की है।
दक्षिण भारत की 150 सीटों पर भाजपा की पैनी नज़र
ये सच है कि दक्षिण भारत में अब तक भाजपा की स्थिति बहुत ज्यादा मजबूत नहीं रही है। लेकिन, आर. राजगोपालन का मानना है कि दक्षिण के छह राज्य तमिलनाडु, कर्नाटक, पुडुचेरी, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल में कुल 150 सीटें है। भाजपा की कोशिश है कि 2019 के चुनाव में इन छह राज्यों में कम से कम 20 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। तमिलनाडु की 39 सीटों में से भाजपा को वाजपेयी के वक्त 5 सीटें मिली थीं। ऐसे में इस बार भी कोशिश है कि वहां से पांच सीटों पर जीत दर्ज की जाए। ये बात खुद प्रधानमंत्री मोदी ने कही है।
ओडिशा और पश्चिम बंगाल पर शाह का खास ध्यान
ओडिशा भाजपा के लिए उर्वर है। इसका अंदाजा पिछले पंचायत चुनाव में लग गया था। यही कारण है कि शाह ने 147 विधानसभा वाले ओडिशा के लिए अभी से 120 का लक्ष्य तय कर दिया है। ओडिशा के चुनाव भी लोकसभा के साथ ही होने हैं, लिहाजा तैयारी दोनों स्तरों पर है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने पीछे बताया कि सितंबर के पहले सप्ताह में ही शाह तीन दिवसीय ओडिशा दौरे पर रहेंगे। दो महीने में वह दूसरी बार ओडिशा में होंगे। ओडिशा का दौरा खत्म होते ही वह पड़ोस के राज्य पश्चिम बंगाल में होंगे। ध्यान रहे कि ओडिशा और पश्चिम बंगाल में एक-दूसरे की राजनीति पर नजर होती है।
दुर्गापूजा पर्व आने वाला है और उससे पहले शाह के तीन दिवसीय पश्चिम बंगाल दौरे को राजनीतिक रूप से रोचक व अहम माना जा रहा है। सूत्र बताते हैं पश्चिम बंगाल विधानसभा में अभी सरकार बनाने का लक्ष्य तो नहीं है, लेकिन लोकसभा चुनाव में पार्टी वहां से दस सांसद चाहती है। फिलहाल केवल दो सांसद हैं। गौरतलब है कि 2019 लोकसभा चुनाव के लिए शाह ने पूर्वी और दक्षिणी राज्यों पर रणनीति को केंद्रित किया है। कई मंत्रियों को इन राज्यों में अभी से विशेष जिम्मेदारी दी गई है।
ओडिशा की 21 में से 10 सीटों पर है भाजपा का जोर
आर. राजगोपालन की मानें तो ओडिशा में वाजपेयी के समय सबसे ज्यादा 8 लोकसभा की सीट आयी थीं। यही वजह है कि वहां की 21 लोकसभा सीटों में से 2019 में 10 सीटें जीतना चाहती है। इसी के चलते वहां से प्रतिनिधित्व करनेवाले केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान को लगातार आगे बढ़ाया जा रहा है। जबकि राजगोपालन का कहना है पश्चिम बंगाल में भाजपा चाहे लाख जोर लगा ले, लेकिन वहां पर भाजपा को बहुत ज्यादा फायदा नहीं मिलने वाला है। उसकी वजह पश्चिम बंगाल में मुस्लिमों की आबादी करीब चालीस फीसदी होना है।
कर्नाटक में दलित राजनीति को धार
अमित शाह अभी हाल ही में कर्नाटक दौरे से लौटे हैं। वहां उन्होंने चुनावी तैयारियों को लेकर कुछ सवाल भी उठाए थे। कर्नाटक में भी 150 का लक्ष्य दिया गया है। बीएस येद्दयुरप्पा पिछले दिनों में 31 जिलों का दौरा कर चुके हैं और हर जिले में वह दलितों के घर ही नाश्ता करते रहे थे। जाहिर है इस तरह से सियासी रणनीति बनाकर भाजपा को दक्षिण और पूर्वी राज्यों में नई धार देने की कोशिश हो रही है।
ये भी पढ़ें: भाजपा और कांग्रेस के लिए नया 'कुरूक्षेत्र' बनेगा दक्षिण भारत