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अजीब हो गई है स्थिति, कहीं विराट का ये फैसला 2007 की तरह भारी न पड़ जाए

भारतीय टेस्ट क्रिकेट इतिहास में आज से पहले ऐसा फैसला सिर्फ एक ही बार देखा गया है।

By Shivam AwasthiEdited By: Published: Fri, 28 Jul 2017 04:14 PM (IST)Updated: Sat, 29 Jul 2017 01:34 PM (IST)
अजीब हो गई है स्थिति, कहीं विराट का ये फैसला 2007 की तरह भारी न पड़ जाए
अजीब हो गई है स्थिति, कहीं विराट का ये फैसला 2007 की तरह भारी न पड़ जाए

शिवम् अवस्थी, नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। भारत और श्रीलंका के बीच गॉल में जारी पहला टेस्ट मैच इस समय एक ऐसी स्थिति पर है जहां से मुकाबला कहीं भी जा सकता है। भारत ने पहली पारी में 600 रनों का स्कोर खड़ा किया और श्रीलंका को पहली पारी में 291 रन पर समेट भी दिया। यानी भारत ने 309 रनों की शानदार बढ़त हासिल की। अब तीसरे दिन तक भारत ने अपनी दूसरी पारी में 189 रन बनाकर 498 रनों की बढ़त हासिल कर ली है और अभी पारी घोषित नहीं की है। आपको भी लग रहा होगा कि ऐसे में आखिर कैसे जीत भारत के हाथों से फिसल सकती है? आइए हम आपको बताते हैं कि स्थिति अजीब क्यों बन गई है।

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- विराट का फैसला

भारत ने श्रीलंका को पहली पारी में 291 रन पर समेटा और वे श्रीलंका को दोबारा खेलने के लिए बुला सकते थे (फॉलोऑन), लेकिन कप्तान कोहली ने इसके विपरीत फैसला लिया। भारत अपनी दूसरी पारी खेलने उतरा क्योंकि टीम इंडिया इस बढ़त को और आगे ले जाना चाहती है। इसकी बड़ी वजह थी तकरीबन ढाई दिन का मुकाबला बाकी रहना। इस बढ़त को और विशाल करते हुए अंतिम पारी में भारत श्रीलंका को दबाव में लाकर रनों के बड़े अंतर से शिकस्त देना चाहता है क्योंकि गॉल की पिच के रिकॉर्ड के मुताबिक यहां अंतिम दो दिन खेलना बेहद मुश्किल होता है..लेकिन क्या विराट की ये सोच टीम इंडिया को भारी पड़ सकती है?

- क्यों भारी पड़ सकता है फैसला, वो कड़वी यादें

आपको बता दें कि भारत ने अपने टेस्ट इतिहास में इतने रनों की बढ़त या फिर इससे ज्यादा की बढ़त में आजतक सिर्फ एक ही बार ऐसा फैसला लिया था। वो फैसला देखने को मिला था 2007 में। उस दौरान भारतीय टीम राहुल द्रविड़ की कप्तानी में इंग्लैंड दौरे पर गई थी। तीन टेस्ट मैचों की उस सीरीज का पहला टेस्ट ड्रॉ रहा था, दूसरा टेस्ट भारत ने सात विकेट से जीता था जबकि तीसरे टेस्ट में अजीब घटना हुई थी। ओवल में खेले गए उस तीसरे टेस्ट में भारत ने पहली पारी में 664 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया था और फिर इंग्लैंड को 345 रनों पर समेट दिया था। भारत के पास 319 रनों की बढ़त थी और वे आसानी से इंग्लैंड को फॉलोऑन खिलाते हुए दबाव बना सकते थे क्योंकि पिच पूरी तरह गेंदबाजों के पक्ष में थी। हालांकि द्रविड़ ने फिर से बल्लेबाजी का फैसला किया। भारत ने दूसरी पारी में 180 रन बनाकर पारी घोषित की और फिर इंग्लैंड ने दूसरी पारी में संयमित खेल दिखाते हुए छह विकेट पर 369 रन बनाए और वे अंत तक टिके रहे। मैच ड्रॉ हो गया। उसके बाद द्रविड़ के फैसले की काफी आलोचना भी हुई थी। क्रिकेट एक्सपर्ट विभोर कुमार कहते हैं, 'विराट ने यहां हिम्मत दिखाते हुए अलग फैसला लिया है। आमतौर पर भारतीय क्रिकेट में ऐसा कम ही देखा जाता है खासतौर पर विदेशी पिचों पर। अब बल्लेबाजों और गेंदबाजों, दोनों को ही दूसरी पारी में अच्छा प्रदर्शन करना ही होगा।'

- बारिश का भी कुछ पता नहीं

श्रीलंका में बारिश का कुछ पता नहीं रहता और आज (शुक्रवार) हम इसकी एक झलक भी देख चुके हैं जब भारत की दूसरी पारी के दौरान बीच-बीच में बारिश होती रही और मैच ने तीसरे दिन तकरीबन डेढ़ घंटे का समय खो दिया। अंदाजा लगाइए कि अगर मौसम ने चौथे या अंतिम दिन खलल डाला और इस बीच इंग्लैंड की ही तरह श्रीलंका भी संयमित अंदाज में खेलने में सफल रहा तो एक जीता हुआ मैच भारत के हाथ से निकल जाएगा। इसकी उम्मीद तो बहुत कम है लेकिन क्रिकेट में कुछ भी मुमकिन है। हाल ही में आइसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में जब हमारी टीम पूरी ताकत के साथ आगे बढ़ रही थी तब भी वो श्रीलंकाई टीम ही थी जिसको कम आंका गया था लेकिन भारत को उस वनडे मैच में शिकस्त मिली थी। इस बार मामला टेस्ट क्रिकेट से जुड़ा जरूर है लेकिन यहां संभावनाएं और बढ़ जाती हैं।

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