घाटी में आतंक के सौदागरों का होगा अंत, अब सैन्य अभियान होगा और तेज
घाटी में आतंकियों के खिलाफ अब सैन्यबल नई रणनीति के जरिए अभियान चलाएंगे।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । अमरनाथ यात्रा से लौट रहे श्रद्धालुओं पर आतंकी हमले के बाद पूरे देश में गुस्सा और गम था। करीब 15 साल पहले आतंकियों ने श्रद्धालुओं को निशाना बनाया था। लेकिन इस वर्ष श्रद्धालुओं पर आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार की तरफ से बयान आया कि आतंकियों के खिलाफ लड़ाई अब अपने अंतिम चरण में है। इससे पहले भी केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ये कहते रहे हैं कि आतंकियों के खिलाफ भारत सरकार की नीति बेहद साफ है। उन्होंने पिछले साल आतंकी बुरहान वानी के सफाए के बाद कहा था कि कश्मीरियत, इंसानियत और जम्हूरियत को घाटी में स्थापित करने में राजनीतिक और सैन्य इकाइयां बेहतर समन्वय के साथ काम कर रही हैं।
अब नहीं बचेंगे मानवता के दुश्मन
जम्मू-कश्मीर पुलिस के कुछ अधिकारियों के बयानों के आधार पर राष्ट्रपति चुनाव के बाद आतंकियों के खिलाफ सैन्य अभियान को और तेज किया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में बाटेंगू इलाके में अमरनाथ यात्रियों पर हमले के बाद आतंकियों के खिलाफ चौतरफा अभियान चलाए जाने का पुख्ता आधार बनता है। इसके अलावा अगस्त के पहले हफ्ते में अमरनाथ यात्रा खत्म होने के बाद घाटी के दूसरे इलाकों में भी अभियान में तेजी लाई जाएगी।
अब तक 97 आतंकी ढेर
इस वर्ष के शुरुआती 6 महीनों में अब तक करीब 170 मौतें हुई हैं, जिनमें 97 आतंकियों को सुरक्षाबलों ने मार गिराया। आतंकियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में सेना और अर्द्धसैनिक बलों के 39 जवान शहीद हुए हैं, जबकि 35 आम लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है। इसका अर्थ ये है कि घाटी में आतंकी हिंसा में प्रतिदिन एक शख्स को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है।
जानकार की राय
Jagran.com से खास बातचीत में जम्मू-कश्मीर के पूर्व पुलिस महानिदेशक एम एम खजूरिया ने कहा कि आतंकियों के खिलाफ अभियान लगातार चलता रहता है। जहां तक किसी खास तारीख की बात है तो वो महज मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए किया जाता है।
अब आतंक बर्दास्त नहीं
दक्षिण कश्मीर में पिछले दो महीने से दक्षिण कश्मीर में सैन्य अभियान को लो स्केल पर चलाया जा रहा था। लेकिन जुलाई 2017 में अब तक 14 आतंकियों को मार गिराने में कामयाबी मिली है। जिसमें हिज्बुल मुजाहिद्दीन और लश्कर ए तैय्यबा के सब्जार, जुनैद मट्टू और माजिद शामिल थे। पुलिस के मुताबिक इस वर्ष कश्मीर के 58 नौजवान आतंकी संगठनों में शामिल हुए, जिनमें 45 का संबंध दक्षिण कश्मीर से था। आतंकियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में पुलिस ने हाल ही में 58 नए आंतकियों में से पांच को मार गिराया है, जबकि सात को गिरफ्तार किया है।
Jagran.com से खास बातचीत में जम्मू-कश्मीर के पूर्व पुलिस महानिदेशक एम एम खजूरिया ने बताया कि दक्षिण कश्मीर में आतंकी आजादी के साथ-साथ अपने नापाक मंसूबों में धार्मिक तत्वों पर भी बल देते हैं। इसके अलावा उन इलाकों में राजनीतिक खेमों से भी उन्हें परोक्ष तौर पर मदद मिलती है। जिसे समाप्त करने की जरूरत है। हाल के दिनों में दक्षिण कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में सुरक्षाबलों को कामयाबी मिल रही है। अब समय की मांग है कि आतंकियों पर काबू पाने के लिए राजनीतिक और सैन्य शक्ति दोनों में बेहतर संतुलन स्थापित हो।
आतंकियों के खिलाफ अंतिम प्रहार जरूरी
आतंकियों के खिलाफ सैन्य अभियान में तेजी लाए जाने पर कुछ लोगों का मानना है कि अलगाववादी संगठन स्थानीय लोगों और कश्मीर के राष्ट्रवादी नेताओं के बीच खाई बढ़ा सकते हैं। खासतौर से दक्षिण कश्मीर में सीएम महबूबा मुफ्ती के दबदबे वाले इलाके में स्थानीय लोगों को बरगलाने की भरपूर कोशिश हो सकती है। अलगाववादियों के इन नापाक मंसूबों से सैन्य अभियान पर असर पड़ सकता है।
हालांकि अंतर्विरोधों के बावजूद भाजपा-पीडीपी दोनों दल गठबंधन के प्रबंधन को लेकर संजीदा है। दोनों दलों की कोशिश है कि वैचारिक तौर पर एक-दूसरे से अलग इस गठबंधन को नजीर पेश करने की जरूरत है, ताकि विरोधी दलों को जवाब दिया जा सके।
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