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SCO में बदले पाकिस्‍तान के सुर, इस मंच से भारत देगा करारा जवाब

एससीओ की स्‍थाई सदस्‍यता मिलने के बाद भारत को पाकिस्‍तान की असलियत बताने और उसको अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर अलग-थलग करने का एक और मंच मिल गया है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 09 Jun 2017 01:44 PM (IST)Updated: Sat, 10 Jun 2017 12:07 PM (IST)
SCO में बदले पाकिस्‍तान के सुर, इस मंच से भारत देगा करारा जवाब
SCO में बदले पाकिस्‍तान के सुर, इस मंच से भारत देगा करारा जवाब

नई दिल्ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। भारत के लिए आज विश्व मंच पर बड़ा दिन है। बड़ा दिन इसलिए क्योंकि आज कजाखिस्तान की राजधानी अस्ताना में भारत को शंघाई कॉपरेशन की स्थाई सदस्यता हासिल हो गई। इससे पहले चीन, कजाखस्तान, किरगिस्तान, रूस, तजाखिस्तान, उजबेकिस्तान इसके स्थाई सदस्य थे। आज ही पाकिस्तान को भी इसका स्थायी सदस्य बनाया गया है। लेकिन भारत के लिए यह मौका कई मायनों में खास है। भारत और पाकिस्तान के इसमें शामिल होने के बाद इसके सदस्यों की संख्या बढ़कर आठ हो  गई है। भारत इसकी शुरुआत से ही इसमें एक ऑब्जरवर की भूमिका निभाता रहा है। वर्ष 2005 में भारत ने इसकी स्थाई सदस्यता के लिए आवेदन किया था। करीब 12 वर्षों के अंतराल के बाद आज भारत को इसकी सदस्यता दी जाएगी।

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पाकिस्तान को मिलेगा करारा जवाब

एससीओ में स्‍थाई सदस्‍यता मिलने के बाद भारत के पास एक ऐसा अंतरराष्‍ट्रीय मंच होगा, जहां पर भारत पाकिस्‍तान द्वारा फैलाए जा रहे आतंकवाद की जानकारी सदस्‍य देशों को दे सकेगा। केवल इतना ही नहीं इसका सदस्‍य बनने के बाद भारत अन्‍य सदस्‍य देशों से पाकिस्‍तान में मौजूद आतंकी गुटों पर प्रतिबंध लगाने की कवायद भी कर सकता है। अगर ऐसा करने में भारत कामयाब हो पाया तो यह भारत के लिए बड़ी उपलब्धि होगी और वह इसको आधार बनाकर संयुक्‍त राष्‍ट्र में भी इसी तरह की पेशकश कर सकेगा। वहीं दूसरी तरफ इस मंच पर क्‍योंकि द्विपक्षीय मुद्दों को नहीं उठाया जा सकता है, लिहाजा हर मौके पर कश्‍मीर के मुद्दे का अंतरराष्‍ट्रीयकरण करने वाले पाकिस्‍तान को यहां पर मुंह की खानी पड़ सकती है। दूसरी ओर भारत को यह मंच खासा फायदा पहुंचा सकता है। लिहाजा भारत के लिए जहां यह मंच फायदेमंद साबित होगा, वहीं पाकिस्‍तान के लिए यह मुश्किलों भरा साबित हो सकता है।

भारत पाकिस्‍तान के बीच व्‍यापार

मध्‍य एशियाई देशों में व्‍यापार को बढ़ावा देने के मकसद से शुरू किए गए एससीओ का स्‍थाई सदस्‍य बनने के बाद भारत की अर्थव्‍यवस्‍था में और सुधार होने की संभावना है। भारत की अर्थव्‍यवस्‍था सात फीसद से अधिक की दर से वृद्धि कर रही है। इसका सदस्‍य बनने के बाद भारत के विदेश व्‍यापार में इजाफा होने के पूरे आसार हैं। स्‍टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्‍तान से भारत में होने वाला निर्यात जुलाई-फरवरी की अवधि में 286 मिलियन डॉलर था। लेकिन इस बीच भारत से होने वाले आयात में 23 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई और यह 958.3 मिलियन हो गया, जो एक साल पहले 1,244 मिलियन डॉलर दर्ज किया गया था। इस बीच चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में पाकिस्तान की तरफ से भारत में होने वाले व्‍यापार में 672 मिलियन का व्यापार घाटा दर्ज किया गया है। पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में घाटा 99.3 करोड़ डॉलर था। 2015-16 में भारत से आयात पाकिस्तान की तुलना में चार गुना ज्यादा था। एसबीपी की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने 2015-16 में सिर्फ $ 400 मिलियन के निर्यात के मुकाबले 1.8 अरब डॉलर के सामान का आयात किया था।

आतंकवाद का खात्‍मा एससीओ का मकसद

1996 से 2001 तक इसका नाम शंघाई फाइव था, लेकिन वर्ष 2001 में इसमें उजबेकिस्तान को शामिल करने के बाद इसका नाम बदलकर शंघाई कॉपरेशन कर दिया गया। ऑब्जर्वर के तौर पर इसमें अब अफगानिस्तान, बेलारूस, इरान और मंगोलिया शामिल हैं, वहीं डॉयलॉग पार्टनर में अर्मेनिया, अजरबेजान, कंबोडिया, नेपाल, श्री लंका और तुर्की शामिल हैं। व्यापार के अलावा शंघाई कॉपरेशन का अहम मकसद आतंकवाद और अलगाववाद का जड़ से खत्मा करना है।

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इसके लिए 21 अप्रैल 2006 को रिजनल एंटी टेररिस्ट स्ट्रक्चर (RATS) का गठन किया गया था। इसका हैडक्वार्टर ताशकंद में है। इसके प्रमुख का कार्यकाल तीन वर्षों का होता है। सभी स्थाई सदस्य देशों का इसमें एक स्थाई प्रतिनिधि भी होता है। RATS के तहत आतंकवाद का खात्मा तो बड़ा मुद्दा होता ही है, इसके अलावा भी ड्रग माफिया भी बड़ा मुद्दा है। RATS के तहत सदस्य देशों ने अक्टू्बर 2007 को एक संधि पर हस्ताक्षर किए थे। इसको कलेक्टिव सिक्योरिटी ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन का नाम दिया गया था। इसके तहत सभी सदस्य  देश आपसी जानकारियों को एक-दूसरे देशों के साथ साझा करते हैं, जिसके बाद आगे की रणनीति तैयार की जाती है।

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एससीओ देशों में सैन्य अभ्यास

एससीओ के सदस्य देशों के बीच वर्ष 2003 से ही सैन्य अभ्यास किया जाता रहा है। इसकी शुरुआत कजाखस्ता‍न से हुई थी। बाद में इसको चीन में किया गया। इसके बाद चीन और रूस दोनों ही पीस मिशन के तहत इस तरह का अभ्यास करते आ रहे हैं। इसके तहत दोनों देशों के करीब चार हजार सैनिक हिस्सा लेते हैं। भारत-पाकिस्‍तान को इसकी स्‍थाई सदस्‍यता मिलने के बाद यह भी संभावना है कि दोनों देशों के बीच कभी न कभी इस तरह का साझा सैन्‍य अभ्‍यास दिखाई दे।

भारत को व्यापार बढ़ाने का मिलेगा जरिया

एससीओ के स्थाई सदस्य यूरेशियन इकनॉमिक कम्यूनिटी के भी सदस्ये होते हैं। यह संस्‍था सदस्य देशों के बीच व्यापार को बढ़ाने के लिए काम करती है। सदस्य देशों की सहमति के बाद 23 सितंबर 2003 में यह असतित्व  में आई थी। इसका मकसद सदस्‍य देशों के बीच मुक्त व्यापार करना है। एससीओ में स्थाई सदस्याता का सीधा असर भारत के विदेश व्यापार पर भी जरूर पड़ेगा। इसके जरिए भारत को न सिर्फ एक और अंतरराष्ट्रीय मंच मिलेगा बल्कि अपने माल को बेचने के लिए विदेशी बाजार भी मिल जाएंगे।

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फायदेमंद साबित होगा एससीओ

पूर्व राजनयिक एनएन झा मानते हैं कि भारत के लिए यह मंच काफी फायदेमंद साबित होगा। उनके मुताबिक  इस मंच के जरिए भारत मध्‍य एशियाई देशों के साथ अपने संबंध बेहतर करने के साथ-साथ सदस्‍य देशों के साथ व्‍यापार को भी बढ़ा सकेगा। इस मंच के जरिए पाकिस्‍तान के आतंकी संगठनों पर प्रतिबंध लगाने को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्‍होंने साफ कहा कि यह मंच द्विपक्षीय मुद्दों को उठाने का नहीं है। इसके अलावा पाकिस्‍तान द्वारा चलाई जा रही आतंकी गतिविधियां भारत में अधिक हैं इन देशों में नहीं। लिहाजा फिलहाल ऐसा होने की संभावना निकट भविष्‍य में कम ही है।

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