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ट्रंप और पुतिन की लड़ाई में कहीं कतर मोहरा तो नहीं बन रहा

कतर और सऊदी अरब के बीच तनाव के पीछे ये जानकारी सामने आ रही है कि रूसी हैकरों ने गलत जानकारी दी जिसके बाद सऊदी अरब खफा हो गया था।

By Lalit RaiEdited By: Published: Wed, 07 Jun 2017 11:55 AM (IST)Updated: Wed, 07 Jun 2017 05:19 PM (IST)
ट्रंप और पुतिन की लड़ाई में कहीं कतर मोहरा तो नहीं बन रहा
ट्रंप और पुतिन की लड़ाई में कहीं कतर मोहरा तो नहीं बन रहा

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । क्या खाड़ी देशों में संकट के लिए रूसी हैकर्स जिम्मेदार हैं। सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआइ ने मई के अंत में कथित साइबर हमले की जांच के लिए कतर का दौरा किया था। विशेषज्ञों को ये जानकर हैरानी हुई की कतर सरकार की न्यूज एजेंसी पर झूठी खबर डाली गई थी और उसी झूठी खबर पर भरोसा कर सऊदी अरब के दूसरे अरब देशों ने कतर से राजनयिक और आर्थिक संबंध तोड़ लिए। इससे पहले अमेरिकी चुनाव में रूसी हैकरों की भूमिका को लेकर काफी बवाल मचा था। 

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फेक न्यूज और खाड़ी संकट

23 मई को कतर की न्यूज एजेंसी ने खबर प्रकाशित की थी जिसमें कतर के अमीर के हवाले से कहा गया कि खाड़ी क्षेत्र में ईरान क्षेत्रीय और इस्लामी शक्ति है। लिहाजा ईरान को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। लेकिन करत का कहना है कि ये खबर झूठी थी और हैकिंग के जरिए प्लांट की गई थी। कतर के विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान थानी का कहना है कि अब एफबीआइ ने भी हैकिंग और फेक न्यूज की पुष्टि की है।
गौरतलब है कि सऊदी अरब, मिस्र संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन ने सोमवार को कतर से सभी तरह के संबंध तोड़ लिए थे। इन देशों ने कतर पर चरमपंथी गुटों की मदद करने और सऊदी अरब के क्षेत्रीय प्रतिद्वंदी ईरान का समर्थन करने का आरोप लगाए। दूसरी तरफ कतर ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को खारिज कर दिया। इस विवाद में ट्रंप सऊदी अरब के साथ खड़े नजर आए हालांकि कतर में अमेरिका का सबसे बड़ा मिलिट्री बेस है।

 खाड़ी संकट सुलझाने के लिए कुवैत आया आगे

कतर और दूसरे अरब देशों के बीच विवाद सुलझाने के लिए कुवैत ने पहल करने की कोशिश की है। अरब देशों से अलग थलग पड़ने वाले कतर को कुवैत का सहारा मिला है। कतर के विदेश मंत्री मुहम्मद बिन अब्दुल रहमान अल थानी ने कहा कि कुवैत इस मामले में मध्यस्थता की कोशिश कर रहा है। कतर के शासक कुवैत को अपने अभिभावक के रूप में देखते हैं। कतर के विदेश मंत्री ने कहा कि उनके देश के खिलाफ उठाए गए कदम कतर के नागरिकों और अरब देशों के पारिवारिक रिश्तों पर अभूतपूर्व असर डालेंगे। उनके देश की कोशिश है कि विवाद का समाधान संवाद के जरिए निकाला जाए। वो अपनी तरफ से कोई ऐसी कार्रवाई नहीं करेंगे जो विवाद को और बढ़ावा दे। अमेरिका से कतर के रणनीतिक संबंध है बावजूद उसके कई मुद्दों पर उनसे असहमति भी है। इन सबके बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तनाव को कम करने की पुरजोर कोशिश शुरू हो चुकी है। सऊदी अरब का भी कहना है कि उनका देश दोबारा विश्वास बहाली के लिए कतर से भविष्य का निश्चित खाका चाहता है।

बिगड़े रिश्ते

-सऊदी अरब ने कतर एयरवेज के लाइसेंस को रद किया है।
-दोहा के रास्ते अमेरिका और यूरोप जाने वाले भारतीय होंगे प्रभावित।
-कुवैत ने ही 2014 में भी खाड़ी देशों के बीच विवाद सुलझाने में भी अहम भूमिका निभाई थी।

कतर को आयात-निर्यात में होगा बड़ा नुकसान

-खाड़ी देशों के साथ कतर का 11 अरब डॉलर का व्यापार है।

-कतर के व्यापार में खाड़ी देशों की 86 फीसद हिस्सेदारी है।

-कतर के व्यापार में 85 फीसद हिस्सेदारी संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब और बहरीन की है। जबकि 1 फीसद हिस्सेदारी कुवैत और ओमान के साथ है।

जानकार की राय

Jagran.com से खास बातचीत में विदेश मामलों के जानकार कमर आगा बताते हैं कि हो सकता कि किसी योजना के जरिए अरब देशों में तनाव को बढ़ाया जा रहा हो। उन्होंने कहा कि अमेरिका के दोनों देशों से बेहतर संबंध हैं लिहाजा वो नहीं चाहेगा कि तनाव में और इजाफा है। जहां तक भारत की बात है तो सरकार को सावधानी के साथ आगे बढ़ना होगा। 

कतर ही नहीं पूरी दुनिया होगी प्रभावित

अरब देशों द्वारा कतर को अलग थलग करने से पूरी दुनिया प्रभावित होगी। हवाई, सड़क और समुद्री सेवा बंद होने से कतर को बहुत बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। मिस्र ने तो कतर के विमान के लिए हवाई अड्डों और बंदरगाहों के दरवाजे बंद कर दिए हैं। मिस्र के कई बैंकों ने कतर के साथ लेनदेन को रोक दिया है। सऊदी अरब के फुटबाल क्लब ने अल अहली ने कतर एयरवेज के साथ अपने अनुबंध को निलंबित कर दिया है। शिपिंग के क्षेत्र में काम करने वाला बड़े समूह मिलाहा द्वारा अरब केमिकल्स का सौदा लटक सकता है।


अरब देशों द्वारा रिश्ता तोड़ने से कतर की खाद्य सुरक्षा पहले प्रभावित होगी। देश की कुल खाद्य सामग्री का करीब 40 फीसद हिस्सा सऊदी अरब के रास्ते आता है। सीमा सील होने के बाद हजारों की संख्या में ट्रक रास्ते में इधर उधर फंसे हुए हैं। इस हालात में खाद्यान्न को मंगाने के लिए कतर को ओमान और कुवैत के रास्तों को इस्तेमाल करना होगा जिससे कतर के खजाने पर आर्थिक बोझ बढ़ जाएगा।  

यह भी पढ़ें: कतर को लेकर अरब देशों में तनातनी, जानें- क्या होगा लाखों भारतीय कामगारों का


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