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जनाब ये सच है कि आप आलसी हैं, कबीर के दोहे से भी नहीं ली कोई सीख

नेचर जर्नल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय अपने फिटनेस को लेकर लापरवाह रहते हैं।

By Lalit RaiEdited By: Published: Sat, 15 Jul 2017 02:29 PM (IST)Updated: Sat, 15 Jul 2017 05:01 PM (IST)
जनाब ये सच है कि आप आलसी हैं, कबीर के दोहे से भी नहीं ली कोई सीख
जनाब ये सच है कि आप आलसी हैं, कबीर के दोहे से भी नहीं ली कोई सीख

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । करीब छह सौ साल पहले कबीर दास ने इस दोहे (काल करे सो आज कर, आज करै सो अब | पल में परलय होयगी, बहुरी करेगा कब) की रचना की थी। इस दोहे के जरिए घर के बड़े- बुजुर्ग आलसी बेटे-बेटियों को सीख देते रहते हैं। नेचर जर्नल में छपी रिपोर्ट से साफ है कि उनका दोहा आज भी प्रासंगिक है। शोध के परिणामों के मुताबिक भारतीय वैश्विक औसत से अधिक आलसी होते हैं। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले सात लाख से अधिक लोगों के स्मार्टफोन से जुटाए गए आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर ये नतीजा निकाला गया।

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वैश्विक औसत से अधिक आलसी हैं भारतीय

स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के ताजा शोध के मुताबिक भारतीय वैश्विक औसत से अधिक आलसी हैं। भारतीय रोजाना वैश्विक औसत से भी कम चलते हैं। वहीं सबसे कम आलसी हांगकांग के लोग और सबसे अधिक आलसी इंडोनेशिया के लोग हैं। यह शोध लोगों के स्मार्टफोन में मौजूद अर्गस नामक ऐप से प्राप्त डाटा की मदद से किया गया है। नेचर जर्नल द्वारा किए गए शोध को इस विषय का सबसे बड़ा शोध बताया जा रहा है।

कुछ खास बातें

 - 46 देशों को शोध में शामिल किया गया।

- पूरी दुनिया में 7 लाख लोगों पर किया गया रिसर्च ।

- 46 देशों की सूची में भारत का 39वां स्थान ।

- रोजाना चले कदमों का वैश्विक औसत 4,961 यानि चार किमी।

- भारतीयों द्वारा रोजाना चले औसत कदम 4,297।

- ब्रिटेन के लोग 5,444 कदम चलते हैं। 

- अमेरिका के लोग 4,777 कदम चलते हैं।

- कनाडा, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया वैश्विक औसत से पीछे रहे।

 जानकार की राय

Jagran.com से खास बातचीत में मनोचिकित्सक राकेश बंसल ने कहा कि आलसी प्रवृत्ति का मेडिकल साइंस से सीधा संबंध नहीं है। भारत में लोग अपनी सभी दिक्कतों का समाधान दवाओं में खोजते हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसी को डायबीटिज या दिल की बीमारी है तो वो टहलने की जगह दवा खाना ज्यादा पसंद करता है।जागरुकता की कमी और नकारात्मक विचारों की वजह से लोग शारीरिक श्रम से बचते हैं। लेकिन सकारात्मक परिवर्तन ये हुआ है कि अब लोग सुबह की सैर के साथ-साथ फिटनेस पर जोर दे रहे हैं। 

एप से जुटाया गया डाटा

शोध में सात लाख लोगों को शामिल किया गया। उन लोगों के स्मार्टफोन में मौजूद अर्गस एप के जरिए रोजाना शारीरिक गतिविधियों पर नजर रखी गई। यह एप व्यक्ति द्वारा चले गए कदमों की गिनती करता है।

सालाना 53 लाख मौतें

शोधकर्ताओं के मुताबिक शारीरिक गतिविधियां घटने से होने वाली बीमारियों के कारण विश्व में सालाना 53 लाख लोगों की मौत होती है। ऐसे में लोगों को शारीरिक गतिविधियां बढ़ाने की सलाह दी गई है। नेचर जर्नल में छपी इस रिपोर्ट से साफ है कि युवाओं के देश भारत को अपनी आलसी प्रवृत्तियों का त्याग करना होगा। अगर हम सुबह की सैर या शारीरिक श्रम से तौबा करेंगे तो वो न केवल व्यक्तिगत स्तर पर नुकसानदेह होगा, बल्कि भारत के आर्थिक विकास पर भी असर पड़ेगा।

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