पीएम मोदी के सुधारों में मूडीज ने लगाई मुहर, जानें क्या हैं इसके मायने
विदेशी निवेश वृद्धि को बढ़ावा देने में सहायक होता है और इससे मांग में वृद्धि को बल मिलता है जिससे देश के बैंकों को मदद मिल सकती है।
आशुतोष त्रिपाठी, नई दिल्ली। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को दुनिया भर की जानी-मानी एजेंसियों की ओर से मिल रही अच्छी खबरों का सिलसिला जारी है। विश्व बैंक की कारोबार के लिहाज से सुगम देशों की सूची में भारत की लंबी छलांग के बाद वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भी सरकार द्वारा उठाए जा रहे सुधारवादी कदमों पर अपनी मुहर लगा दी है। इस बात में कोई दोराय नहीं है कि मूडीज इंवेस्टर सर्विसेज द्वारा भारत की सॉवरिन रेटिंग बीएए3 से सुधार कर बीएए2 करना ढांचागत सुधारों और राजकोषीय अनुशासन, दोनों के संबंध में भारत सरकार की उपलब्धियों को दर्शाता है।
मूडीज का मानना है कि सरकार आर्थिक एवं संस्थागत सुधार कार्यक्रमों की व्यापक श्रृंखला के दौर से गुजर रही है और फिलहाल कई सुधारों की योजना बनाने में जुटी हुई है। रेटिंग एजेंसी के मुताबिक अब तक लागू किए जा चुके सुधार कारोबारी परिवेश को सुधारने, उत्पादकता बढ़ाने और विदेशी एवं घरेलू निवेश को बढ़ावा देने के सरकार के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में मददगार साबित होंगे और आने वाले दिनों में देश की को मजबूत और स्थाई वृद्धि देने के लिहाज से कारगर होंगे। कुल मिलाकर ये सुधार भारतीय को विभिन्न मोर्चो पर मजबूती प्रदान करेंगे और इसे दुनिया की अन्य ओं से मुकाबला करने की ताकत देंगे।
सरकार के सुधार कार्यक्रमों में अंतर-राज्य कारोबार की बाधाओं को खत्म कर उत्पादकता बढ़ाने वाला सबसे बड़ा कर सुधार वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी सबसे अहम है। इसके अलावा बैंकिंग प्रणाली में गैर-निष्पादित ऋणों की समस्या पर गौर करना, मौद्रिक नीति ढांचे में सुधार और मौजूदा अनौपचारिक प्रणालियों को खत्म करने के लिहाज से उठाए गए नोटबंदी, आधार और सीधे लोगों तक लाभ पहुंचाने के लिए प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण यानी डीबीटी जैसे प्रयास भी को मजबूती देने में काफी अहम भूमिका निभा रहे हैं। मूडीज ने रेटिंग में सुधार करते हुए भूमि एवं श्रम सुधारों की सरकार की योजना पर भी गौर किया है जिनका फलीभूत होना राज्यों के सहयोग पर भी निर्भर करता है।
मूडीज ने साफ किया कि इन सुधारों का असर दिखने में कुछ वक्त लग सकता है और जीएसटी और नोटबंदी जैसे कुछ उपायों का असर कुछ समय के लिए वृद्धि दर पर भी पड़ सकता है। यही वजह है कि एजेंसी ने मार्च 2018 में खत्म हो रहे वित्त वर्ष के दौरान भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.7 फीसद रहने का अनुमान जताया है। हालांकि मौजूदा बाधाएं खत्म होने और सुधारों के प्रभावी होने पर वित्त वर्ष 2018 में देश की जीडीपी वृद्धि दर 7.5 फीसद तक पहुंच सकती है। लंबी अवधि में देखें तो भारत में वृद्धि की संभावना अन्य देशों के मुकाबले काफी अधिक है।
मूडीज द्वारा देश की रेटिंग में सुधार हर दृष्टि से सकारात्मक है। सबसे अहम बात तो यह है कि रेटिंग में सुधार के बाद भारत को लेकर वैश्विक नजरिये में सकारात्मक सुधार होगा। दूसरी बात यह है कि ब्याज दरों पर भी इसका सीधा प्रभाव पड़ सकता है यानी जब भारतीय कंपनी या सरकार विदेशों में धन जुटाने की कोशिश करेंगे तो उधार या निवेश की दर काफी आकर्षक हो सकती है जो बहुत ही शुभ संकेत है। इसके अलावा इसका सीधा असर देश में आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर पड़ना तय है। अच्छी बात यह है कि कारोबारी सुगमता सूचकांक में 30 पायदान की जबरदस्त छलांग के साथ जोड़कर देखा जाए तो यह साफ हो जाता है कि केंद्र सरकार भारत को निवेश के लिहाज से आकर्षक बनाने को लेकर गंभीर है।
नई एफडीआइ नीति के तहत रक्षा उत्पादन, विमानन, निर्माण समेत 25 नए क्षेत्रों में विदेशी निवेश की सीमा में ढील देना, विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड को खत्म कर विदेशी निवेश को सरल बनाने के लिए सीधे मंत्रलयों से मंजूरी देने की प्रक्रिया की शुरुआत करना कुछ ऐसे ही कदम हैं जिनसे एफडीआइ को बढ़ावा देने की सरकार की मंशा साफ होती है। वाणिज्य मंत्रलय के औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग के आंकड़े भी विदेशी निवेश को लेकर सरकार की गंभीरता को प्रकट करते हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक भारत में 2013-14 में कुल 36 अरब डॉलर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआइ आया, वहीं 2014-15 में यह बढ़कर 45 अरब डॉलर हो गया। वित्त वर्ष 2015-16 में 55.5 अरब डॉलर विदेशी निवेश हुआ जो 2016-17 में बढ़कर 60 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ही देश में 14.5 अरब डॉलर निवेश आ चुका है।
विदेशी निवेश वृद्धि को बढ़ावा देने में सहायक होता है और इससे मांग में वृद्धि को बल मिलता है जिससे देश के बैंकों को मदद मिल सकती है। इस बीच सरकार द्वारा बैंकों के लिए 2.11 लाख करोड़ रुपये की पुनर्पूजीकरण की योजना से भी बैंकों को बल मिलना तय है। इसके अलावा चीन को छोड़ दें तो अन्य विकासशील देशों के मुकाबले भारत निवेश, पूंजी और संभावनाओं के लिहाज से बेहतर स्थिति में है। हमारा मूल ढांचा मजबूत है, महंगाई दर नियंत्रण में है और विशेष तौर पर इस वर्ष को छोड़ दें तो वृद्धि दर भी नियत बनी हुई है। ऐसे में इस रेटिंग सुधार को अन्य सकारात्मक पहलुओं के साथ जोड़कर देखा जाना चाहिए।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि मूडीज द्वारा रेटिंग में किए गए इस सकारात्मक बदलाव पर सरकार का उत्साहित होना लाजिमी है। ऐसा इसलिए भी, क्योंकि सरकार द्वारा किए जा रहे कठिन प्रयासों को एक के बाद एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिल रही है। कहने का आशय यह है कि देश विकास के पथ पर सही दिशा में सतत अग्रसर है। देश की को रेटिंग में इस सुधार का लाभ लेना ही चाहिए। वहीं राजनीतिक नेतृत्व को भी लोकलुभावन और वोट जुटाने वाले कदमों से किनारा करते हुए सुधारों की यही गति बरकरार रखनी चाहिए।(लेखक इनशॉर्ट्स न्यूज एप में एसोसिएट एडिटर हैं)