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Blue Whale Challenge: आत्महत्या के लिए आया 49वां चैलेंज, इस तरह बची छात्र की जान

बरेली के 17 वर्षीय शुभम ने ब्लू व्हेल चैलेंज से बाहर निकलकर एक मिसाल कायम की थी। ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश के रायगढ़ में सामने आया है। आइए जानें क्या है ताजा मामला...

By Digpal SinghEdited By: Published: Fri, 22 Sep 2017 05:48 PM (IST)Updated: Fri, 22 Sep 2017 06:17 PM (IST)
Blue Whale Challenge: आत्महत्या के लिए आया 49वां चैलेंज, इस तरह बची छात्र की जान
Blue Whale Challenge: आत्महत्या के लिए आया 49वां चैलेंज, इस तरह बची छात्र की जान

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क]। खूनी ब्लू व्हेल गेम देश व दुनिया में लगातार बच्चों व युवाओं की जान ले रहा है। कई बच्चों ने इस गेम के चक्कर में मौत को गले लगा लिया। हालांकि अच्छी खबर ये भी है कि हाल ही में बरेली के 17 वर्षीय शुभम ने इस गेम से बाहर निकलकर एक मिसाल भी कायम की थी। ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश के रायगढ़ में सामने आया है। आइए जानें क्या है ताजा मामला...

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मध्य प्रदेश के रायगढ़ जिले में रहने वाला नाबालिग राजू (बदला हुआ नाम) को भी न जाने कब ब्लू व्हेल गेम खेलने की लत लग गई। इस खूनी खेल के एक-एक चैलेंज को पार करता हुआ वह 50वीं स्टेज तक जा पहुंचा। लेकिन जब इस गेम के एडमिनिस्ट्रेटर ने उसे अंतिम चैलेंज के रूप में आत्महत्या करने को कहा तो राजू डर गया। अपने इस डर से पार पाने के लिए उसने जो तरीका अपनाया वह खास है।

...और काल के गाल में जाने से बच गया राजू

10वीं के छात्र राजू ने अपने इस डर से पार पाने की भरसक कोशिशें कीं। इस डर से पार पाना शायद उसके बूते की बात नहीं थी। फिर उसने एक ऐसा कदम उठाया जिसने उसे काल के गाल में समाने से बचा लिया। राजू ने अपने स्कूल की आंसर शीट पर अपने इस डर के बारे में लिख दिया।

टीचर ने निभाई अपनी जिम्मेदारी

आंसर शीट की जांच करने वाली महिला टीचर ने इसमें एक अच्छी जिम्मेदारी निभाई। टीचर ने इस संबंध में तुरंत स्कूल और स्थानीय प्रशासन से बात की। इसके बाद सभी तुरंत हरकत में आए और बच्चे की काउंसलिंग शुरू की गई।

माता-पिता की जान लेने की धमकी भी मिली

खिल्चीपुर के एसडीएम राजस्व प्रवीण प्रजापति ने बताया कि स्थानीय उत्कृष्ट विद्यालय के 10वीं के छात्र ने क्वाटर्ली एग्जाम में अपनी संस्कृत की आंसर शीट पर इस बात का खुलासा किया था। उसने अपनी आंसर शीट में लिखा कि वह ब्लू व्हेल गेम की 49वीं स्टेज पर पहुंच चुका है। प्रजापति ने बताया कि उसे अंतिम चैलेंज के रूप में आत्महत्या के लिए दबाव डाला जा रहा है। इसके अलावा उसे यह भी धमकी दी जा रही है कि अगर उसने आत्महत्या नहीं की तो उसके माता-पिता का कत्ल कर दिया जाएगा।

बच्चे की कराई गई काउंसलिंग

प्रजापति ने आगे बताया, 'राजू की आंसर शीट की जांच महिला टीचर हेमलता श्रींगी ने की। टीचर ने जब राजू की लिखी हुई पंक्तियां पढ़ीं तो वह तुरंत सचेत हो गईं। उन्होंने तुरंत स्कूल प्रशासन को इस बारे में बताया और फिर हमें इस बारे में जानकारी दी गई।' उन्होंने बताया 'अध्यापकों और स्थानीय लोगों का एक संगठन बनाया गया है, जिसने बच्चे को इस डर से बाहर निकालने में मदद की।'

घरवालों ने बताई यह खौफनाक बात

राजू के घरवालों ने बताया कि उसने अपने हाथ पर कट के निशान लगाए थे और इसकी फोटो भी सोशल मीडिया पर डाल दी थी। 49वीं स्टेज में उसे आत्महत्या के लिए कहा गया। अपने बच्चे की जान बच जाने से उसके माता-पिता बड़े खुश हैं।

शुभम ने भी तोड़ दिया मौत का चक्रव्यूह

इससे पहले बरेली के 17 वर्षीय शुभम ने मौत के इस खेल का चक्रव्यूह तोड़ने में सफलता हासिल की। अपनी हिम्मत के दम पर शुभम ने इस खूनी खेल को बीच में ही छोड़ दिया। शुभम का कहना है कि खेल को कुछ इस तरह गढ़ा गया है कि वह खेलने वाले के दिमाग पर हावी हो जाता है। हालांकि, यह सिर्फ भ्रम और दबाव पर टिका है। मजबूत इच्छा शक्ति और मानसिक दृढ़ता से यह खेल आसानी से छोड़ा जा सकता है।

शुभम ने दैनिक जागरण को बताई पूरी कहानी

‘ब्लू व्हेल चैलेंज’ से पीछा छुड़ाने वाले शुभम ने इस बारे में दैनिक जागरण से खास बातचीत की। शुभम ने  सिलसिलेवार ढंग से बताया कि कैसे उसे टास्क मिलते थे और कैसे उसने इस खूनी खेल से पीछा छुड़ाया।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

मशहूर साइक्लॉजिस्ट प्रणिता गौड़ ने इस बारे में Jagran.com से बात की। उन्होंने बताया कि शुरुआत में बच्चे सोचते हैं कि एक बार करके देखते हैं क्या होता है? वे सोचते हैं कि एक-दो बार खेलेंगे, फिर हम छोड़ देंगे। फिर बच्चों के ग्रुप बन जाते हैं और आपस में गेम्स की लेवल को लेकर भी उनमें आपसी प्रतियोगिता होने लगती है। इस बारे में दैनिक जागरण ने मनोचिकित्सक हेमा खन्ना से बात की। उन्होंने बताया कि टीनएजर्स में चैलेंज स्वीकार करके विनर बनने की जिद बढ़ रही है। इससे इस गेम का शिकार किशोर हो रहे हैं। अभिभावकों को बच्चों पर ध्यान देने और समय देने की जरूरत है।

बच्चों में ऐसे लक्षण दिखें तो सावधान

डॉ. प्रणिता गौड़ ने बताया- बच्चे में विड्रॉवल सिमटम्स दिखते हैं, उसके अंदर एंग्जाइटी रहती है। ऐसे गेम बच्चा जब भी खेलता है वह पैरेंट्स से छिपकर खेलता है। बच्चे का स्वभाव उग्र होने लगता है। वह खाना-पीना छोड़ देता है, पढ़ाई में भी उसका मन नहीं लगता। बच्चा डिप्रेशन में जाने लगता है। बच्चा अपने माता-पिता और दोस्तों से दूरी बना लेता है। जब भी बच्चों में ऐसा कोई दिखे तो माता-पिता को चाहिए कि उसे कभी अकेला न छोड़ें। रात को भी उसे अकेले न सुलाएं। बच्चे के आसपास रहें और उसे बिल्कुल भी यह एहसास न होने दें कि आप उस पर नजर रख रहे हैं। बच्चे को डांटना और मारना नहीं चाहिए, क्योंकि इससे स्थिति और बिगड़ेगी ही। ऐसे बच्चे को प्यार की जरूरत होती है। उसे लगना चाहिए कि उसके माता-पिता, दोस्त और सामाज उसके साथ हैं।


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