तीन दिन बाद पीएम मोदी को जाना है पुर्तगाल, लेकिन अब भी सुलग रहा है जंगल
तीन दिन बाद पीएम मोदी विदेश दौरे पर निकलेंगे। लेकिन उनकी इस यात्रा में वह देश भी शामिल है जहां पिछले करीब चार दिन से लगी जंगल की आग पर अब भी पूरी तरह से काबू नहीं पाया जा सका है।
नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। पुर्तगाल के मध्य क्षेत्र में जंगलों में लगी भीषण आग पर 56 घंटों के बाद भी पूरी तरह से काबू नहीं पाया जा सका है। अब भी जंगल का करीब तीस फीसद हिस्सा सुलग रहा है। इसके कारण वहां के तापमान में भी काफी इजाफा देखा गया है। जानकारी के मुताबिक ये करीब 38 डिग्री सेंटीग्रेड या 100 फारनहाईट तक जा पहुंचा है। इस आग को बुझाने के लिए करीब 2,000 से ज्यादा दमकलकर्मी जुटे हैं। इस आग में अब तक 62 लोग मारे जा चुके हैं और 150 से अधिक लोग जख्मी हुए हैं। फिलहाल पुर्तगाल को विदेशों से मिलने वाली सहायता की उम्मीद है। यहां पर एक बात और बता देनी जरूरी होगी कि 24 जून को पीएम मोदी पुर्तगाल कि यात्रा पर भी जाने वाले हैं। यहां से वह अमेरिका और फिर 27 को नीदरलैंड के दौरे पर जाएंगे।
मदद का इंतजार
दरअसल पुर्तगाल में यूरोपीय संघ सहयोग कार्यक्रम के तहत स्पेन, फ्रांस और इटली से आग पर काबू पाने के सामान समेत पानी का छिड़काव करने वाले विमानों के पहुंचने का इंतजार किया जा रहा है। पुर्तगाल के लिस्बन से करीब 150 किलोमीटर दूर स्थित पेड्रोगाओ शहर को चारों तरफ से आग ने घेर लिया था, जिसके चलते यहां सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं। सरकार ने इसके बाद देश में तीन दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है। यह देश की अब तक की सबसे भयानक आग है।
सरकार की आलोचना
इस बीच पुर्तगाल के प्रमुख पर्यावरण लॉबी ग्रुप ने एक बयान जारी कर इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। इसमें कहा गया है की वन प्रबंधन की गलतियों और हाल के दशकों में सरकार द्वारा खराब राजनीतिक निर्णयों के चलते ही जंगल की आग ने इतना विकराल रूप लिया। इस पर काबू पाने मे भी सरकार पूरी तरह से विफल रही। बयान इमेर्जेंसी सेवाओं के ठीक से काम न करने का भी आरोप लगाया है। ग्रुप का कहना है कि आग भीषण होने के बाद भी इसके बीच से जाने वाली सड़क को बंद नहीं किया गया, जिसकी वजह से 47 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब इस तरह की भीषण आग से जानमाल की हानि हुई हो। दुनिया भर में लगभग हर वर्ष ही इस तरह की आग से जनमाल की हानि होती है। जंगल में लगी आग का इतिहास भी काफी पुराना है। इसपर एक नजर...
बिग बर्न, 1910
वॉशिंगटन, इडाहो और मोंटाना के जंगलों में हुए 'बिग बर्न' में 30 लाख एकड़ जंगल आग की चपेट में आया था। इसके चलते एक बड़े इलाके में धुंध की परत छा गई थी।
क्लोक्वेट, 1918
विश्वयुद्ध के दौरान मिनेसोटा के जंगलों में लगी में 453 लोग मारे गए थे और 85 लोग गंभीर रूप से झुलस गए थे। इसकी वजह से 10 कस्बे भी पूरी तरह तबाह हो गए थे। जांच में पता चला था कि यह आग वहां से गुजर रही ट्रेन की पटरी में हुई तकनीकी दिक्कत और रेल में हुए एक स्पार्क के चलते लगी थी।
ब्लैक फ्राइडे ब्रशफायर्स, 1939
ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया जंगल में 1939 में हुए इस आग से 49 लाख एकड़ का इलाका प्रभावित हुआ था। इस हादसे में 71 लोग मारे गए थे। इस हादसे के बाद 1944 में देश में अग्नि प्राधिकरण गठित किया था।
मान घाटी, 1949
मोंटाना हेलेना राष्ट्रीय वन की मान घाटी में 5 अगस्त 1949 को आग लग गई। वाग्नर डोज के नेतृत्व में 15 सदस्यों वाले अग्निशामन दल ने इसे बुझाने की कोशिशें कीं, लेकिन तेज हवा और सूखी जमीन के चलते यह बुझ नहीं पाई। इसकी चपेट में आने से दल के 13 सदस्यों की मौत हो गई थी।
डैक्सिंग एनलिंग, 1987
6 मई 1987 को चीन के डैक्सिंग एनलिंग पहाड़ियों में लगी आग ने देश के उत्तरपूर्वी हेइलोंगजिआंग प्रांत को पूरी तरह से तबाह कर दिया था। इस आग की वजह से तकरीबन 24 लाख एकड़ इलाका जल गया और 200 लोग इस आग में जिंदा जल गए थे। इससे 50 हजार से अधिक लोग बेघर हुए थे।
इंडोनेशिया, 1997
साल 1997 में इंडोनेशिया के जंगलों में फैली आग ने भयानक रूप ले लिया। आग इतनी भयानक थी कि धुआं ब्रूनेई, थाईलैंड, वियतनाम और फिलीपींस तक पहुंच गया। जब तक इस आग पर काबू पाया गया, तब तक यह आग 80 लाख हैक्टेयर के इलाके को तबाह कर चुकी थी।
सेडार, 2003
कैलिफोर्निया प्रांत में 14 अलग-अलग जगहों पर लगी आग में से सेडार में सबसे भयानक आग लगी। यह आग 2,73,246 एकड़ तक में फैल गई और 2 हजार घर तबाह हुए।
ग्रीस, 2007
साल 2007 की गर्मियों में ग्रीस के जंगलों में आग लगती रही और इसकी चपेट में 6 लाख 70 एकड़ का इलाका आ गया। इस दौरान कम से कम 84 लोग मारे गए, जिसमें से अकेले अगस्त के महीने में 67 लोग मारे गए थे।
ब्लैक सेटर्डे ब्रशफायर्स, 2009
7 फरवरी 2009 को ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया जंगल में 400 अलग-अलग जगहों पर लगी आग ने 11 लाख एकड़ जमीन को अपनी चपेट में लिया था। इसमे करीब 173 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए थे।
उत्तराखंड, भारत 2016
पिछले साल उत्तराखंड के जंगलों में भी काफी भीषण आग लगी थी, जिसको बुझाने के लिए सेना के एमआई 17 हेलीकॉप्टर का सहारा लेना पड़ा था। इस आग से 2000 हेक्टेयर से ज्यादा का वनक्षेत्र तबाह हो गया था। उत्तराखंड के जंगलों में 1992, 1997, 2004 और 2012 में भी बड़ी आग लगी थी। लेकिन ऐसा पहली बार हुआ था कि आग को बुझाने के लिए वायु सेना, थल सेना और एनडीआरएफ़ तक को लगाना पड़ा था।
दरअसल सर्दी में बारिश नहीं होने की वजह से उत्तराखंड के जंगलों में ज़मीन में नमी नहीं बची थी। वहीं मार्च-अप्रैल में ही तापमान बहुत ज़्यादा बढ़ गया। इसकी वजह से पत्ते भी ज्यादा गिरे और नमी न होने की वजह से जो आग लगी, उसने विकराल रूप धारण कर लिया था।
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