Move to Jagran APP

मनरेगा मजदूरी 150 रुपये = दबंग मजदूरी 40 रुपये, ढाई किलो गेहूं और खेत में शौच

दिनभर के काम के बदले 40 रुपये मजदूरी और ढाई किलो गेहूं पकड़ा दिया जाता है, जो काफी नहीं है। जबकि मनरेगा के तहत भी मजदूरी 150 रुपये से अधिक है।

By Digpal SinghEdited By: Published: Fri, 23 Jun 2017 06:15 PM (IST)Updated: Fri, 23 Jun 2017 06:30 PM (IST)
मनरेगा मजदूरी 150 रुपये = दबंग मजदूरी 40 रुपये, ढाई किलो गेहूं और खेत में शौच
मनरेगा मजदूरी 150 रुपये = दबंग मजदूरी 40 रुपये, ढाई किलो गेहूं और खेत में शौच

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। मनरेगा के तहत मजदूरी - 150 रुपये से अधिक

loksabha election banner

यूपी में बांदा स्थित अतर्रा कस्बे से जुड़े गांव भुजवन पुरवा में - 40 रुपये और ढाई किलो गेहूं

मजदूरी में इतने बड़े अंतर की वजह - शौचालय की कमी

जी हां, केंद्र सरकार 'स्वच्छ भारत अभियान' के तहत देशभर में लोगों को स्वच्छता का पाठ पढ़ा रही है। फिल्म अभिनेत्री विद्या बालन टीवी पर, रेडियो, अखबार में और सिनेमा में भी आकर बार-बार कहती हैं, 'जहां सोच वहां शौचालय।' लोगों को शौचालय बनवाने और उसके इस्तेमाल के लिए प्रेरित किया जा रहा है। लेकिन उन लोगों का क्या जिनके पास अपनी जमीन ही नहीं है? जो किसी तरह झोपड़ी बनाकर जीवन यापन कर रहे हैं, उनके पास तो खुले में शौच जाने के अलावा और कोई रास्ता ही नहीं है।

अपनी जमीन नहीं होने के कारण, जब यह लोग खुले में शौच जाते हैं तो उस जमीन के मालिक इनका शोषण करते हैं। खबर उत्तर प्रदेश में बांदा स्थित अतर्रा कस्बे से जुड़े गांव भुजवन पुरवा की है। यहां भूमिहीन दलितों को खेत मालिकों की मनमानी का शिकार होना पड़ रहा है। क्योंकि यह लोग भूमिहीन दलित हैं, इसलिए इनके पास घर व शौचालय बनवाने के लिए तो दूर खुले में शौच जाने के लिए भी जमीन नहीं है। ऐसे में शौचालय न होने के चलते उन्हें गांव के खेतों में शौच के लिए जाना पड़ता है। इसी बात का फायदा उठाकर खेत मालिक उनसे शौच करने के बदले खुद के खेतों में मजदूरी की शर्त रखते हैं। हालांकि इसके लिए उन्हें मजदूरी भी दी जाती है। लेकिन उतनी नहीं, जितनी मिलनी चाहिए। उन्हें दिनभर के काम के बदले 40 रुपये मजदूरी और ढाई किलो गेहूं पकड़ा दिया जाता है, जो काफी नहीं है। जबकि मनरेगा के तहत भी मजदूरी 150 रुपये से अधिक है।

बांदा के एसडीएम गंगाराम गुप्ता कहते हैं कि उन्हें ऐसी किसी खबर की फिलहाल जानकारी नहीं है। हालांकि उन्होंने कहा कि वे इस मामले की जांच कराएंगे। अगर यह घटना सही पायी गई तो दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की बात भी एसडीएम ने कही। एसडीएम की जांच कब तक पूरी होगी और उस जांच में क्या निकलकर आएगा यह तो भविष्य के गर्भ में है। लेकिन यहां लोगों को जो परेशानी हो रही है, उसका हल सिर्फ और सिर्फ शौचालय है।

भुजवन पुरवा के दलित लोटन, बुद्ध विलास, बच्चीलाल, मुन्नीलाल, मीरा, राजदुलारी आदि बताते हैं कि अभी तक उनके घरों में शौचालय नहीं बनवाए गए हैं। जिससे उन्हें मजबूरी में दूसरे के खेतों में शौच के लिए जाना पड़ता है। इस पर खेत मालिक समय-समय पर खेतों पर काम करने की शर्त रखते हैं। उन्होंने बताया, खेत मालिक कहते हैं कि या तो हमारी मजदूरी करो, वर्ना हमारे खेतों में शौच के लिए मत जाओ।

इस समस्या के बारे में बात करने के लिए जब रिपोर्टर गांव की महिला रावदेवी के पास गया तो वह कहने लगीं, जो हम दुख से कह रहे हैं, हमारी मदद करो। रामदेवी कहती हैं, हमारा यहां कुछ सहारा नहीं है। ऐसी ही समस्या से पीड़ित सवेरिया नाम की महिला बताती हैं कि वे कहते हैं, हमारे खेतों में शौच जाती हो, इसलिए मजदूरी नहीं बढ़ाएंगे। बाहर मजदूरी के लिए जाते हैं तो कहते हैं शौच भी वहीं जाओ।

पीड़ितों में से एक सुरेश का कहना है कि सरकार भी उनका साथ नहीं दे रही है। एक साल पहले 42 लोगों को आवासीय पट्टे हुए थे। लेकिन, आज तक उनकी माप कराकर कब्जा भी नहीं दिलाया गया है। जिसके चलते उन्हें झोपड़ियों में रहना पड़ता है। जब भी लेखपाल से कहा जाता है तो वह पैसों की मांग करते हैं। इसी तरह पहले राशन कार्ड बने थे जो बाद में जमा हो गए। जिससे उन्हें राशन का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है।

ग्रामीण जॉब कार्ड भी न होने की बात कह रहे हैं। इस मामले पर ग्राम प्रधान ब्रजजीवन ने बताया कि पट्टे की जानकारी तो नहीं है, लेकिन जॉब कार्ड बने हुए हैं। रही शौचालय की बात तो अब शौचालय आधा पहले बनवाना होता है। तब आधा पैसा दिया जाता है। फिर उसे पूरा करने पर बाकी पैसा सीधे खाते में भेजा जाता है। लेकिन, यह लोग पहले पैसा चाहते हैं जो अब नियम ही नहीं है।

तहसीलदार हनुमान सिंह ने बताया कि राशन कार्डों का सत्यापन चल रहा है। पात्र होने पर उन्हें आवेदन करना चाहिए। वहीं रही पट्टे की बात तो आज तक कोई भी अपनी शिकायत लेकर नहीं आया है। यदि कब्जा नहीं मिला तो उसके लिए अधिकारियों से मिलना चाहिए। बावजूद इसके पूरे मामले की जांच की जा रही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.