एक्शन में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, ले रहीं ताबड़तोड़ फैसले
भारत की पहली पूर्णकालिक महिला रक्षामंत्री बनने के बाद निर्मला सीतारमण पूरी तरह से एक्शन में नज़र आ रही हैं। वह ताबड़तोड़ फैसले ले रही हैं।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। भारत की पहली पूर्णकालिक महिला रक्षामंत्री बनने के बाद निर्मला सीतारमण पूरी तरह से एक्शन में नज़र आ रही हैं। अब पूरे देश की निगाहें साउथ ब्लॉक में रक्षा मंत्रालय पर हैं। निर्मला सीतारमण ने रक्षामंत्री का पदभार संभालने के बाद कुछ महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं।
रक्षा अधिग्रहण परिषद की नियमित बैठकें होंगी
रक्षा मंत्री ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक के बाद एक कई बैठकें करके खुद को रक्षा मंत्रालय की कार्यशैली से परिचित कराया और कई जटिल मुद्दों को लेकर स्पष्ट निर्देश जारी किए। बैठक के दौरान यह भी निर्णय लिया गया कि रक्षा पर सर्वोच्च निर्णय लेने वाला 'रक्षा अधिग्रहण परिषद' सैन्य अधिग्रहण प्रस्तावों पर निश्चित समय में मंजूरी सुनिश्चित करने के लिए हर पखवाड़े बैठक करेगा।
रक्षा अधिग्रहण परिषद का मुख्य उद्देश्य सशस्त्र बलों की आवश्यकताओं की शीघ्र खरीद और आवंटित बजटीय संसाधनों का बेहतर उपयोग करके निर्धारित समय सीमा को सुनिश्चित करना है। रक्षा अधिग्रहण परिषद में रक्षा मंत्री, रक्षा राज्यमंत्री, तीनों सेनाओ के प्रमुख, रक्षा सचिव सहित कई अन्य महत्वपूर्ण लोग होते हैं।
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सियाचिन भी जाएंगी निर्मला
रक्षा मंत्री बनने के बाद निर्मला सीतारमण राजस्थान के उत्तरलाई एयरबेस गईं, उनके साथ एयरचीफ बी.एस धनोआ भी थे। उत्तरलाई एयरबेस पाकिस्तान की सीमा पर स्थित है। जानकारी के मुताबिक निर्मला सीतारमण साउथ ब्लॉक दफ्तर में 12 से 15 घंटे तक काम कर रही हैं। रक्षा मंत्री ने दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध क्षेत्र सियाचिन से लेकर कन्याकुमारी और गुजरात के कच्छ से लेकर उत्तर पूर्व में अरुणाचल बॉर्डर तक तीनों सेनाओं के हर बेस में जाने का लक्ष्य रखा है। सीतारमण रक्षा सचिव के साथ प्रत्येक दिन अलग से बैठक करेंगी।
रक्षा खरीद में आएगी तेजी
रक्षा विशेषज्ञ अनिल कौल ने Jagran.Com से बातचीत करते हुए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक हर पखवाड़े बुलाने को बहुत ही अच्छा कदम बताया है। उनके मुताबिक सेना में हथियारों और अन्य साज़ो-सामान मंगवाने की ज़िम्मेदारी रक्षा अधिग्रहण परिषद के पास है। अक्सर देखा गया है कि इस प्रक्रिया में बहुत समय लग जाता है। यदि रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक हर पखवाड़े होगी तो इसमें होने वाली देरी को काफी हद तक कम किया जा सकता है। जहां तक तीनों सेनाओ के प्रमुखों से मिलने की बात है वो यह अच्छा कदम है।
रक्षा मंत्री की ओर से सामरिक हितों के मुद्दों और रक्षा तैयारियों की समीक्षा को लेकर तीनों सेना प्रमुखों के साथ मीटिंग का एक पूरा ब्योरा तैयार किया गया है। पहले भी ऐसी बैठकें हुआ करती थीं, लेकिन पहले बैठकों के लिए कोई निश्चित समय तय नहीं था। समय और परिस्थति को देखते हुए बैठकें होती थीं। यह कदम ज़्यादा संरचित रूप में काम करने की तरफ ले जाएगा।
@JagranNews pic.twitter.com/cC0I0L8syl— Rajesh Mishra (@rajeshemmc) September 12, 2017
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सैन्यकर्मियों के वेलफेयर पर भी ध्यान
इसके अलावा नई रक्षा क्षेत्र के बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं के लिए जमीन अधिग्रहण के मुद्दों को निपटाने और रक्षा कर्मचारियों व उनके परिवार के लिए वेलफेयर स्कीम चलाने के मुद्दे पर फोकस किए जाने की बात कही गई है। निर्मला सीतारमण की ओर से सात सितंबर को रक्षा मंत्री का पदभार संभालने के बाद से अब तक रक्षा मंत्रालय के कई विंग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक हो चुकी हैं। उन्होंने सैन्य तैयारियों, स्वदेशीकरण, लंबित मुद्दों को सुलझाने और सैनिकों के कल्याण के मुद्दों को सूचीबद्ध किया है।
पहली पूर्णकालिक महिला रक्षामंत्री
निर्मला सीतारमण भारत की पहली फुल टाइम रक्षामंत्री हैं। इसके पहले भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री रहते हुए रक्षा मंत्रालय का विभाग अपने पास रखा था। रक्षा मंत्री बनने से पहले निर्मला सीतारमण वाणिज्य मंत्री का कामकाज देख रही थीं। 27 अगस्त को केंद्रीय मंत्रिमंडल की फेरबदल के दौरान निर्मला सीतारमण को रक्षा मंत्री बनाया गया था। इसके पहले वित्तमंत्री अरुण जेटली के पास रक्षा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार था।
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