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हिमाचल चुनाव: सत्ताधारी कांग्रेस को सता रहा इस पुराने रिकॉर्ड का डर

हिमाचल प्रदेश में चुनाव सरगर्मी तेज है। लेकिन एक पुराना रिकॉर्ड ऐसा है जो सत्ताधारी कांग्रेस के उम्मीदवारों को डरा रहा है।

By Digpal SinghEdited By: Published: Tue, 24 Oct 2017 01:29 PM (IST)Updated: Tue, 24 Oct 2017 02:51 PM (IST)
हिमाचल चुनाव: सत्ताधारी कांग्रेस को सता रहा इस पुराने रिकॉर्ड का डर
हिमाचल चुनाव: सत्ताधारी कांग्रेस को सता रहा इस पुराने रिकॉर्ड का डर

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। हिमाचल प्रदेश की फिजाओं में चुनावी नारे गूंज रहे हैं। नामांकन का दौर खत्म हो चुका है। अब प्रत्याशी बाजे-गाजे के साथ चुनाव प्रचार में जुट गए हैं। भले ही किसी भी पार्टी का नेता हो या निर्दलीय उम्मीदवार, कोई भी विधानसभा पहुंचने में कसर नहीं छोड़ना चाहता। सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए पिछला रिकॉर्ड निराश करने वाला है, जबकि विपक्ष इस रिकॉर्ड को देखते हुए सत्ता के शिखर तक पहुंचने के सपने देख रहा है। हालांकि एक बार कहानी रिकॉर्ड के उलट भी जा चुकी है, लेकिन पिछले 32 साल का रिकॉर्ड सत्तापक्ष के खिलाफ ही रहा है।

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पिछले नौ विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक ही बार मतदाताओं ने उसी पार्टी को चुना है जो पहले से सत्ता पर काबिज रही है। अन्य सभी चुनावों में बदल-बदल कर भाजपा व कांग्रेस को सत्ता सौंपी है। साल 1977 से लेकर 2012 तक नौ विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। इन चुनावों में 35 वर्षों के अंतराल में मतदान में केवल 15 फीसद वृद्धि हुई है। साल 1982 में कांग्रेस सरकार को 1985 के चुनाव में जनता ने रिपीट किया। लेकिन इसके बाद हिमाचल की जनता ने हर विधानसभा चुनाव में सत्ताधारी पार्टी को विपक्ष में बिठाया है।

कभी था कांग्रेस का एकछत्र राज

साल 1977 से पूर्व हिमाचल में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का एकछत्र राज रहा है। प्रदेश में अभी तक के विधानसभा चुनाव में केवल एक ही बार तीसरे दल की भूमिका वर्ष 1998 में रही है। इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी से अलग होकर हिमाचल विकास कांग्रेस (हिविकां) का गठन करने वाले सुखराम ने भाजपा सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। हिविकां से पांच विधायक चुनकर आए थे। इनमें सुखराम, प्रकाश चौधरी, मनसा राम, महेंद्र सिंह व डॉ. रामलाल मार्कंडेय शामिल थे। इसके अलावा तीसरे राजनीतिक दल की सरकार बनाने में कोई भूमिका नहीं रही है।

राज्य में विधानसभा चुनावों की मत प्रतिशतता में साल 2003 में सबसे अधिक मतदान दर्ज किया गया जो 74.51 फीसद रहा। बीते नौ विधानसभा चुनावों के दौरान अभी तक जिस हिसाब से महिलाओं की मत प्रतिशतता में वृद्धि हुई है, उतनी पुरुष मतदाताओं में दर्ज नहीं की गई है। हालांकि इस बार भारतीय निर्वाचन आयोग ने हिमाचल के लिए सौ फीसद मतदान का लक्ष्य सौंपा है। इसके लिए मतदाता जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। स्कूल व कॉलेज स्तर पर विभिन्न कार्यक्रमों के साथ ब्रांड एंबेसडर को भी मतदाता जागरुकता का जिम्मा सौंपा गया है।

460 मतदान केंद्र हैं क्रिटिकल

हिमाचल में नौ नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए 7521 मतदान केंद्र स्थापित किए हैं। इनमें 42 सहायता मतदान केंद्र हैं। सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस ने 460 मतदान केंद्रों को क्रिटिकल व 977 को वल्नरेबल मतदान केंद्र की श्रेणी में रखा है। क्रिटिकल व वल्नरेबल मतदान केंद्रों में केंद्रीय रिजर्व बल के सुरक्षा कर्मियों को तैनात किया जाएगा। इन क्रिटिकल मतदान केंद्रों पर अनुभवी कर्मियों को रखने के साथ ही इनमें वीडियो रिकॉर्डिंग व वेब कास्टिंग की जाएगी।


पिछला रिकॉर्ड भले जो हो कसर नहीं छोड़ना चाहता कोई

भले ही पिछले 9 विधानसभा चुनाव से हिमाचल की जनता ने कभी सत्ताधारी पार्टी को दोबारा सत्ता न सौंपी हो, लेकिन भाजपा और कांग्रेस दोनों ही कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। यही कारण है कि एक बार फिर हिमाचल की सत्ता पर काबिज होने के लिए भाजपा विजन डॉक्यूमेंट पर मंथन कर रही है। इसके लिए सोमवार को हमीरपुर के एक निजी होटल में भाजपा केंद्रीय चुनाव समिति की गुप्त बैठक हुई। बताया जा रहा है कि भाजपा एक-दो दिन दिन में विजन डॉक्यूमेंट जारी कर देगी।

सोमवार देर शाम करीब 7.30 बजे शुरू हुई इस बैठक में केंद्रीय संगठन मंत्री रामलाल, प्रदेश प्रभारी मंगल पांडेय, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा, पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल, सांसद शांता कुमार, प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती, पवन राणा व सांसद अनुराग ठाकुर मौजूद थे। इस दौरान प्रधानमंत्री व मंत्रियों समेत स्टार प्रचारकों की रैलियों पर भी चर्चा हुई।

सत्ताधारी पार्टी लाएगी घोषणापत्र

पिछले पांच साल से राज्य की सत्ता पर काबिज कांग्रेस अंतिम समय तक टिकटों की मारा-मारी में उलझी रही। अब नामांकन हो चुके हैं तो पार्टी चुनावी घोषणापत्र की तैयारियों में जुट गई है। इस सिलसिले में 26 अक्टूबर को चुनाव घोषणापत्र कमेटी की बैठक शिमला में होगी, जिसकी अध्यक्षता स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर करेंगे। पार्टी 27 अक्टूबर को घोषणापत्र जारी करेगी।

पार्टी सूत्रों की मानें तो सत्ताधारी पार्टी इस बार लोक लुभावन वादों की झड़ी लगाने वाली है। क्या आम, क्या खास पार्टी हर किसी को लुभाने की कोशिश करेगी। कांग्रेस ने कौल सिंह की अगुवाई में 13 सदस्यीय चुनाव घोषणापत्र कमेटी गठित की है। इस कमेटी में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, पीसीसी अध्यक्ष सुखविंदर सुक्खू, मंत्री मुकेश अगिहोत्री, सुधीर शर्मा, विधानसभा उपाध्यक्ष जगत सिंह नेगी, विधायक आशा कुमारी, सीपीएस राजेश धर्माणी, रोहित ठाकुर, सुरेश कुमार, हरीश जनारथा व सेवानिवृत्त जस्टिस जेएस बारोवालिया सदस्य जबकि मंत्री जीएस बाली संयोजक हैं। हरीश जनारथा को इस बार टिकट नहीं मिला है, लेकिन वह भी कमेटी के सदस्य हैं।


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