अगर अंग्रेजी दवाओं में नहीं है विश्वास तो ये विकल्प हैं आपके पास
आधुनिक चिकित्सा पद्वति यानी एलोपैथी हम सबकी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुकी है। किसी भी बीमारी से तत्काल राहत के लिए आधुनिक चिकित्सा पद्वति के योगदान को नकारा नहीं जा सकता है।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। आज चिकित्सा विज्ञान ने जबरदस्त प्रगति कर ली है। आधुनिक चिकित्सा पद्वति में तमाम तरह की बीमारियों के इलाज की संभावनाएं बनती जा रही हैं। हालांकि एक रिसर्च के अनुसार आज भी 50 फीसदी लोग ऐसी रहस्यमयी बीमारी के चलते मर जाते हैं, जिसके बारे में कुछ पता ही नहीं है।
आधुनिक चिकित्सा पद्वति यानी एलोपैथी हम सबकी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुकी है। किसी भी बीमारी से तत्काल राहत के लिए आधुनिक चिकित्सा पद्वति के योगदान को नकारा नहीं जा सकता है। लेकिन आज भी बीमारी के पूर्ण इलाज की बात हो तो इस पद्वति को कई अन्य वैकल्पिक पद्वतियों से चुनौती मिलती रहती है।
होम्योपैथी, नेचुरोपैथी, आयुर्वेद, एक्यूपेंचर और यूनानी जैसी कई वैकल्पिक चिकित्सा पद्वतियां हैं, जो इन दिनों खासी चर्चा में हैं। इनमें से किसी भी एक का नाम लेकर यह नहीं कहा जा सकता है कि फलां चिकित्सा पद्वति की तरफ लोगों का रुझान ज्यादा है। जो भी व्यक्ति आधुनिक इलाज से ठीक नहीं होता है या आधुनिक चिकित्सा पद्वति से निराश है वह इन वैकल्पिक रास्तों की तरफ रुख करता है।
होम्योपैथी, युनानी या फिर आर्युवेदिक दवाओं को अक्सर इलाज का एक बेहतर तरीका बताया जाता है, लेकिन वैज्ञानिक गाहे-बगाहे इसे खारिज भी करते रहते हैं। ऐसी धारणा है कि इन तरीकों के चक्कर में पड़कर लोग अपना समय बर्बाद करते हैं। इन वैकल्पिक चिकित्सा पद्वतियों पर दुनियाभर के तमाम देशों में करोड़ों लोग विश्वास करते हैं। अक्सर आयुर्वेद और होम्योपैथी की पैरवी करने वाले लोग इन पद्वतियों को बेहद कारगर बताते हैं और वे इनसे कैंसर जैसी घातक बीमारी के इलाज का भी दावा करते हैं।
इन वैकल्पिक चिकित्सा पद्वतियों को धीमा, लेकिन किसी भी बीमारी का सटीक इलाज माना जाता है। किसी भी तरह की बीमारी में तत्काल राहत या शल्य चिकित्सा (ऑपरेशन) के लिए जहां एलोपैथी पर भरोसा जताया जाता है। वहीं बीमारी के पूर्ण इलाज के लिए इस तरह की वैकल्पिक चिकित्सा पद्वतियों पर भरोसा जताया जाता है।
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होम्योपैथी
होम्योपैथी के डॉक्टर सुमित धवन ने Jagran.Com से बात करते हुए कहा कि इस चिकित्सा पद्वति में हर बीमारी का इलाज है। उन्होंने बताया कि असल में होम्योपैथी की दवा शरीर की मदद करती है, ताकि शरीर शुद को ठीक कर सके। एलोपैथी में कैंसर को रोका जाता है, खत्म नहीं किया जाता। जबकि होम्योपैथी की दवा लेने से कैंसर से भी मुक्ति मिल सकती है। डॉक्टर धवन ने कहा, 'प्रोस्टेट, सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर जैसी बीमारियों के शुरुआती चरण में तो होम्योपैथी से पूर्ण मुक्ति संभव है।'
नैचुरोपैथी
नैचुरोपैथी असल में इलाज ही नहीं जीवन जीने की एक कला है। इसे औषद्धि विहीन चिकित्सा पद्वति भी कहा जाता है। यह पद्वति मुख्य तौर पर प्रकृति के सामान्य नियमों के पालन पर आधारित है। प्राकृति चिकित्सक सुनीता गुप्ता इसे साधारण तरीके से ऐसे समझाती हैं, 'अगर किसी की हड्डी टूट जाए तो डॉक्टर हड्डी का प्लेसमेंट कर देता है, लेकिन उसे जोड़ने का काम, उनके अंदर मांस, मज्जा और रक्त का संचार आदि तमाम चमत्कारिक काम कुदरत करती है। प्राकृतिक चिकित्सा में विश्वास जताया जाता है कि पकृति ही हमारा इलाज करती है।'
आयुर्वेद
आयुर्वेद विश्व की प्राचीनत्तम चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। यह अथर्ववेद का उपवेद है। यह पद्वति विज्ञान, कला और दर्शन का मिश्रण है। आयुर्वेद का अर्थ ही है - 'जीवन का ज्ञान'। असल में यही संक्षेप में आयुर्वेद का सार भी है। आयुर्वेदिक चिकित्सक संजीव कपूर कहते हैं, 'प्रकृति ने हमें कई तरह की जड़ी-बूटियां दी हैं। उन्हीं का मिश्रण करके हम आयुर्वेद में इलाज करते हैं। आयुर्वेद के जरिए इलाज करके हम अपनी हर तरह की समस्या का निवारण कर सकते हैं।'
यूनानी
यूनानी चिकित्सा पद्वति पर्सो-अरेबिक ट्रेडिशनल मेडिसिन है। मुगल काल में इस चिकित्सा पद्वति का खासा विस्तार हुआ। इस पद्वति के प्रशंसकों की भी कोई कमी नहीं है।
इनके अलावा नैचुरोपैथी और सिद्धा जैसी चिकित्सा पद्वतियां भी हैं। भारत सरकार तो बकायदा आयुष (आयुर्वेद, योग, युनानी, सिद्दधा और होम्योपैथी) मंत्रालय बनाकर वैकल्पिक चिकित्सा पद्वति को बढ़ावा दे रही है। देशभर के तमाम अस्पतालों में वैकल्पिक चिकित्सा पद्वति की व्यवस्था की गई है।
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