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बिहार में बहार है, आखिर कब तक महागठबंधन की सरकार है?

ऐसा माना जा रहा है दिल्ली में एकजुट हुए नेता बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के खिलाफ अगली रणनीति पर फैसला ले सकते हैं।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Tue, 25 Jul 2017 02:51 PM (IST)Updated: Wed, 26 Jul 2017 09:48 AM (IST)
बिहार में बहार है, आखिर कब तक महागठबंधन की सरकार है?
बिहार में बहार है, आखिर कब तक महागठबंधन की सरकार है?

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। बिहार में सुशासन और विकास का दावा करनेवाले नीतीश कुमार अपनी छवि की बदौलत बिहार की जनता का दिल जीतने में कामयाब रहे। उनके वो नारे- आगे बढ़ता रहे बिहार, महिलाओं को सुरक्षा और अधिकार, सबको सम्मान और अधिकार, युवाओं को हुनर और रोजगार ने लोगों को ध्यान अपनी ओर खींचा। बिहार की जनता ने उनके महागठबंधन को विजयी बना सत्ता पर बिठाया। लेकिन, आज नीतीश कुमार की छवि को महागठबंधन में शामिल सहयोगी दलों के चलते दागदार होने का ख़तरा सता रहा है।

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शायद यही वजह है कि नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू की ओर से लगातार बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी पर रेलवे टेंडर घोटाला सामने आने के बाद इस्तीफे का दबाव बनाया जा रहा है। लेकिन, अपनी जिद पर अमादा लालू यादव सरकार गिराने को तैयार है, लेकिन बेटे को मंत्री पद से हटाने को राजी नहीं। ऐसे में बिहार विधानसभा शुरू होने में अभी तीन दिन का वक्त है, लेकिन लालू और उनके परिवार के खिलाफ दिल्ली में जो रणनीति बनाई जा रही है वह काफी दिलचस्प और बिहार की राजनीति के लिए अहम हो सकती है।

अगले तीन दिन है अहम

केन्द्रीय जांच एजेंसियों के फंदे में फंसे लालू और उनके परिवार की मुश्किलें कहीं से भी थमने का नाम नहीं ले रही हैं और उनके ऊपर लगातार गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। ऐसा माना जा रहा है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के शपथ ग्रहण समारोह में एक जगह एकत्रित हुए एनडीए के नेता राजद सुप्रीमो लालू यादव को घेरने और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर इस्तीफे का दबाव बढ़ाने को लेकर अपनी अगली रणनीति तैयार कर रहे हैं। 

बिहार भाजपा अध्यक्ष नित्यानंद राय, भाजपा विधानमंडल दल के नेता सुशील मोदी, लोकजनशक्ति पार्टी अध्यक्ष रामविलास पासवान और राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी के प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा इस रणनीति के अगले कदम पर विचार कर सकते हैं। ऐसे में सवाल ये है कि 28 जुलाई से शुरू होने जा रहे विधानसभा के मानसून सत्र से पहले लालू और उनके परिवार के खिलाफ एनडीए की क्या रणनीति हो सकती है?

दिल्ली में लालू के खिलाफ एनडीए की रणनीति
राजद के खिलाफ एनडीए अपने अगले कदम पर लगातार रणनीति बनाने में लगा हुआ है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी पिछले दो दिनों से दिल्ली में हैं। इस बीच ऐसी चर्चा है कि लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान ने बिहार के मुद्दे को लेकर सोमवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात कर चर्चा की। उधर, जेडीयू तेजस्वी को लेकर अपने ऊपर लगे आरोपों का बिंदुवार जवाब देने का दबाव बना रहा है।

इतना ही नहीं, जेडीयू का कहना है कि तेजस्वी के नाम से पटना में मॉल भी है। उधर भाजपा तेजस्वी को लेकर विधानमंडल का मानसून सत्र नहीं चलने देने का सरकार को अल्टीमेटम दे चुकी है। वह कह चुकी है कि 27 जुलाई से पहले सीबीआइ के फंदे में फंसे तेजस्वी के विरुद्ध मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कठोर कार्रवाई करें। नीतीश ऐसा नहीं करते हैं तो भाजपा मानसून सत्र में सदन की कार्यवाही किसी कीमत पर नहीं चलने देगी।

मानसून सत्र मे पहले एनडीए का आक्रामक रुख
राजनीतिक जानकारों की मानें तो बिहार की सियासत के लिए अगले तीन दिन काफी महत्वपूर्ण हैं। 28 जुलाई से शुरू होने हो रहे विधानसभा के मानसून सत्र की तल्खी अभी से दिखने लगी है। महागठबंधन के दोनों खेमों की ओर से लगातार शब्दबाण चलाकर एक-दूसरे को घायल किया जा रहा है।

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि सदन में साथ बैठने के दिन जैसे-जैसे करीब आएंगे, तेजस्वी यादव की बेगुनाही के सवाल पर बवाल बढ़ना तय है। मानसून सत्र की शुरुआत शुक्रवार से हो रही है। जेडीयू को अपने शीर्ष नेतृत्व की राजनीतिक पहचान प्यारी है तो वहीं राजद को अपने नए नेता के भविष्य की चिंता है। यही कारण है कि जदयू के प्रवक्ताओं की टीम तेजस्वी से सत्र से पहले तथ्यात्मक सफाई की मांग कर रही है, जबकि राजद ने इसके लिए 27 अगस्त की रैली का दिन मुकर्रर कर दिया है। दोनों खेमे अपने-अपने स्टैंड पर अड़े हैं।

रघुवंश प्रसाद का फिर नीतीश पर हमला
जेडीयू की ओर से तेजस्वी यादव का बेगुनाही सर्टिफिकेट मांगे जाने पर राजद में गुस्सा चरम पर है। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला जारी रखते हुए राज्य की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि नीतीश के राज में घूसखोरी चरम पर है, तब जीरो टॉलरेंस कहां चला जाता है। रघुवंश ने नीतीश को राजद प्रमुख लालू प्रसाद से संवाद करने की सलाह दी है। उन्होंने जदयू के प्रवक्ताओं के बयान को हवा-हवाई करार दिया और कहा कि हवा में बोलने वाले प्रवक्ता राजद-जदयू के बीच दीवार खड़ी कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री को अपने प्रवक्ताओं से आगे बढ़कर लालू से बातचीत के जरिये समस्या का समाधान निकालना चाहिए। उन्होंने नीतीश को महागठबंधन का प्रमुख चेहरा बताया और पूछा कि सरकार में अगर अच्छा होने का श्रेय मुख्यमंत्री खुद ले रहे हैं तो खराब होने पर किसकी जिम्मेदारी होगी? महागठबंधन में मतभेद और जदयू के स्टैंड पर भी रघुवंश खूब गरजे-बरसे। उन्होंने कहा कि वह नहीं जानते कि नीतीश की प्रतिबद्धता किस तरफ है, लेकिन लोग कहते हैं कि अभी वह भाजपा के संपर्क में हैं। राजद नेता ने तेजस्वी यादव से बेगुनाही के सुबूत मांगने वाले जदयू के प्रवक्ताओं को भी खूब खरी-खोटी सुनाई। उन्होंने कहा कि नीतीश ने उन्हें गाली देने के लिए ही नौकरी पर रखा है। सुबह से देर रात तक दूसरों को गाली देने की ड्यूटी है।

महागठबंधन में चरम पर बवाल
तेजस्वी यादव के इस्तीफे को लेकर महागठबंधन में ठनी हुई है और दोनों ही दल एक-दूसरे पर लगातार हमले कर रहे हैं। राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर लगाए गए आरोपों पर जदयू ने करारा जवाब दिया है। जदयू ने राजद नेताओं को आईना दिखाते हुए कहा कि भ्रष्टाचार से कोई समझौता नहीं होगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुशासन की सरकार की पहल नहीं करेंगे। इसलिए उन पर आरोप लगाने वाले राजद नेता अपने गिरेबान में झांकें। तल्खियां कुछ इस कदर बढ़ गई हैं कि जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह को हस्तक्षेप करने के लिए आगे आना पड़ा और उन्हें अपने प्रवक्ताओं को संयम बरतने की चेतावनी देनी पड़ी।

जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि शब्द अनमोल हैं। पार्टी प्रवक्ताओं को बयानबाजी से बचना चाहिए और संयम भी बरतना चाहिए। साथ ही ऐसा बयान न दें जो मीडिया में सुर्खियां बन जाएं। राजनीतिक हलके में कहा जा रहा है कि प्रदेश जदयू नेतृत्व की चेतावनी केवल पार्टी प्रवक्ताओं के लिए नहीं है, बल्कि मुख्यमंत्री के ऊपर आरोप लगाने वाले राजद नेताओं के लिए भी नसीहत मानी जा रही है। 


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