नवाज के बेदखल होने से बढ़ सकती है घुसपैठ और आतंकी घटनाएं, चिंता में भारत
पाकिस्तान में नवाज शरीफ के अपदस्थ होने के बाद भारत में घुसपैठ और आतंकी घटनाओं में तेज़ी से इजाफा हो सकती है।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। पनामा पेपर्स लीक केस में सत्ता से बेदखल हुए नवाज शरीफ के बाद एक ओर जहां पाकिस्तान में राजनीतिक अनिश्चितता के हालात पैदा हो गए हैं, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान में आए संकट ने पड़ोसी भारत की चिंताएं बढ़ाकर रख दी हैं। नवाज शरीफ के सत्ता से बाहर जाने के बाद पाकिस्तान में होने वाली हर राजनीतिक घटनाओं पर नई दिल्ली की बेहद करीबी नज़र है। उसकी वजह है मौजूदा हालात में एक बार फिर से पाकिस्तान की सेना का मुखर होना। पाकिस्तान पर करीब से निगाह रखने वाले जानकारों की मानें तो वहां पर सत्ता के कमजोर होने के बाद उसका सीधा असर भारत पर पड़ना तय है।
पाकिस्तान में गहराया राजनीतिक संकट
पाकिस्तान में पैदा हुए राजनीतिक हालात पर भारतीय विदेश मंत्रालय करीब से नजर बनाए हुए है, लेकिन इस मामले को वहां का आंतरिक मुद्दा बताते हुए बोलने को लेकर पूरी तरह से शांत हैं। हालांकि, पाकिस्तान का नेतृत्वहीन साउथ ब्लॉक के लिए कोई नई बात नहीं है। पाकिस्तान में राजनीतिक संकट गहराने की आशंका से कोई इनकार नहीं कर रहा है।
ऐसे में भारत को और अधिक रक्षात्मक कदम उठाने होंगे। विदेश मामलों के जानकार कमर आगा ने Jagran.com से ख़ास बातचीत में बताया, इस बात का लंबा इतिहास है कि जब भी ऐसा हुआ है वहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई और पाकिस्तानी आर्मी ने भारत के खिलाफ तनाव व खतरे को बढ़ाया है। ऐसे में जो मौजूदा पाकिस्तान के हालात बने हैं वे भारत के लिए एक बड़ी चिंता की बात हैं।
शरीफ सरकार के खिलाफ विपक्षियों का अगस्त 2014 में लॉन्ग मार्च
नेतृत्वहीन पाकिस्तान से और बढ़ सकता है तनाव
पाकिस्तान में जब भी सेना मजबूत हुई है उसने भारत के खिलाफ आतंकियों का इस्तेमाल दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ाने के लिए किया है। पाकिस्तान का यह खेल काफी पुराना है। लेकिन, इस समय भारत का रुख पहले की तुलना में काफी आक्रामक है। इसके अलावा, पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्ते काफी तल्खी भरे हो चुके हैं और वाशिंगटन आतंकी संगठनों के साथ संबंध रखने को लेकर इस्लामाबाद को घेरने में लगा हुआ है। हालांकि, इन सबके बीच पाकिस्तान का सदाबहार दोस्त है चीन। जबकि, रूस लगातार पाकिस्तान के साथ अपने संबंध बढ़ा रहा है, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता है कि वह कितना पाकिस्तान को बचा पाएगा।
नवाज के बाद कौन?
इस वक्त ये बड़ा सवाल है कि नवाज शरीफ के अपदस्थ होने के बाद पाकिस्तान का अगला प्रधानमंत्री कौन बनेगा। हालांकि, नवाज शरीफ की पसंद उनकी पत्नी या फिर उनके छोटे भाई शाहबाज हैं जो पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री हैं। लेकिन वे तब तक प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठ सकते हैं, जब तक नेशनल एसेंबली का सदस्य नहीं बन जाते। इसके लिए नेशनल एसेंबली की सीट किसी को छोड़नी होगी और उस सीट के लिए उपचुनाव कराना पड़ेगा और तब तक किसी एसे शख्स को पाकिस्तान का नेतृत्व सौंपना होगा जो नेशनल एसेंबली का सदस्य होगा।
नवाज शरीफ की बेटी मरियम भी पनामा पेपर में दोषी
पाकिस्तान के राजनीतिक जानकारों की मानें आम चुनाव होने में अभी 10 महीने का वक्त है, ऐसे में सत्ताधारी पार्टी में कुछ ही ईमानदार और सच्चे बचे हैं, जिनके ऊपर यकीन किया जा सकता है। पार्टी में नेतृत्वहीनता का संकट आ गया है। शाहबाज भले ही पंजाब प्रांत के लंबे समय से मुख्यमत्री हों, लेकिन वह अपने बड़े भाई की तरह लोकप्रिय नहीं हैं। ऐसी स्थिति में पार्टी में टूट हो सकती है और लोग इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) या फिर बिलावल भुट्टो की पीपीपी की ओर रुख कर सकते हैं।
पाकिस्तान में अनिश्चितता से भारत में कैसी मुश्किलें
कमर आगा का यह मानना है कि पाकिस्तान में सत्ता के कमजोर होने के बाद वहां के आतंकवादी संगठनों को काफी फायदा होगा। उसकी वजह ये है कि नवाज शरीफ आतंकी संगठनों के खिलाफ ऑपरेशंस चलाने की कोशिश करते थे। वह भारत के साथ दोस्ती के पक्षधर थे। नवाज शरीफ ये मानते थे कि पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में अलग-थलग पड़ रहा है।
पिछले साल नवंबर में इस्लामाबाद में सार्क सम्मेलन नहीं होने के बाद पाक सरकार और सेना के अच्छे रिश्ते न होने की बात भी सामने आयी थी। नवाज शरीफ को पनामागेट केस मे कोर्ट के आदेश के बाद हटाए जाने की जमात उद दावा चीफ हाफिज सईद ने तारीफ की। कमर आगा का कहना है कि ये इस बात का संकेत हैं कि आतंकी समूहों का मनोबल और ऊंचा हो सकता है।
नवाज शरीफ का भाई और पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री शाहबाज
क्या होगा भारत के खिलाफ पाक सेना का कदम
कमर आगा ने बताया कि पाकिस्तान में दोबारा सेना के मजबूत होने के बाद एक तरफ जहां सीमा पर घुसपैठ बढ़ेगी, वहीं दूसरी तरफ आतंकवादी घटनाओं में भी आनेवाले समय में काफी इजाफा हो सकता है। उसकी वजह यह है कि पाकिस्तान की सेना जम्मू-कश्मीर को भी अफगानिस्तान बनाना चाहती है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान को चीन का समर्थन हासिल है। ऐसे में चीन और पाकिस्तान दोनों ही सीमा पर अशांति देखने को मिलेगी और भारतीय फौज को दोनों जगह अपनी फौज को सतर्क करना होगा।