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जानें, वर्षों पुरानी दोस्ती पर क्यों भारी पड़ रही है राज 'नीति'

केजरीवाल ने ईद के मौके पर पार्टी से निलंबित ओखला से विधायक अमानतुल्लाह के घर जाकर उन्हें बधाई दी। इससे जाहिर है कि अब भी उनके दिल में जगह है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Wed, 28 Jun 2017 05:32 PM (IST)Updated: Wed, 28 Jun 2017 05:43 PM (IST)
जानें, वर्षों पुरानी दोस्ती पर क्यों  भारी पड़ रही है राज 'नीति'
जानें, वर्षों पुरानी दोस्ती पर क्यों भारी पड़ रही है राज 'नीति'

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । कहा जाता है कि किसी राजा का उत्थान जितना अचंभित करता है, उसका पतन उतना ही स्तब्ध करता है। आम आदमी पार्टी के बारे में ये कथन हो सकता है कि पूरी तरह से फिट न बैठती हो। लेकिन लोग आम तौर पर कहते हैं कि क्या आम आदमी पार्टी बिखर रही है। वो लोग जिन्होंने जंतर मंतर और दिल्ली के रामलीला मैदान से उठे जनउफान को पार्टी के रूप में एक व्यवस्थित रूप दिया वो एक दूसरे से संघर्ष के हालात में है। आप के कद्दावर नेताओं में से एक कुमार विश्वास पर जिस तरह से पार्टी के ही विधायक अमानतुल्लाह खान ने भाजपा का एजेंट बताया, पार्टी के कद्दावर नेताओं की कलह खुलकर सामने आ गई। 

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क्या ईवीएम सिर्फ बहाना ?

गोवा, पंजाब के साथ साथ दिल्ली नगर निगम के चुनाव में पार्टी की करारी हार के बाद शीर्ष नेतृत्व ने ईवीएम पर ठीकरा फोड़ा। लेकिन आप में इस मुद्दे पर मतभिन्नता बनी रही। कुमार विश्वास खुलकर ये कहने लगे कि हार के लिए आत्मपरीक्षण करने की जरूरत है, निश्चित तौर पर ये मनीष सिसौदिया के उस बयान से उलट था जिसमें उन्होंने पार्टी की हार के लिए सीधे तौर पर ईवीएम को जिम्मेदार बताया था। बताया जाता है कि गोवा और पंजाब में अहम भूमिका न मिलने की वजह से कुमार विश्वास नाराज थे। इसके अलावा भाजपा के प्रति उनके कथित प्रेम से भी आप के शीर्ष नेता असहज महसूस करते हैं। हाल ही में जब कांग्रेस के संदीप दीक्षित ने सेना अध्यक्ष पर अमर्यादित टिप्पणी की थी तो उस समय सोनिया गांधी का नाम लेकर कांग्रेस की आलोचना की। लेकिन जब राजस्थान में किसान आंदोलन को लेकर वसुंधरा राजे सिंधिया का नाम नहीं लिया हो तो आप के अंदर आलोचना के सुर मुखर हो गए। 

विश्वास- अमानतुल्लाह में अदावत

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ईद के मौके पर पार्टी से निलंबित ओखला से विधायक अमानतुल्लाह के घर जाकर उन्हें बधाई दी। इससे जाहिर है कि अमानतुल्लाह के लिए अब भी उनके दिल में जगह है। साथ ही इससे इस बात को भी बल मिल रहा है कि कुमार विश्वास के लिए आम आदमी पार्टी (आप) के दरवाजे जल्द ही बंद होने वाले हैं। अमानतुल्लाह ने विश्वास पर भाजपा के एजेंट होने का आरोप लगाया था जिसकी जांच चल रही है। इसके बाद समर्थकों संग विश्वास ने पार्टी में बवाल काटा था। जिसके परिणामस्वरूप विधायक को पार्टी से निलंबित कर दिया गया था। इन सबके बीच बड़ा सवाल यह है कि इतने बड़े आरोप के बाद भी विधायक केजरीवाल के करीबियों में शामिल हैं।

अमानतुल्लाह को मिल रही है अहमियत

अमानतुल्लाह के अलावा पार्टी में मुस्लिम बिरादरी से और भी विधायक हैं, लेकिन केजरीवाल का इनके यहां जाने की अहमियत को समझा जा सकता है। इससे कुछ दिन पहले भी विधायक की अध्यक्षता में हुए रोजा इफ्तार पार्टी में मुख्यमंत्री शामिल हो चुके हैं। इसके अलावा पार्टी के जिस कार्यकर्ता विकास योगी ने तीन दिन पहले लंबा पत्र लिखकर विश्वास पर आरोपों की झड़ी लगाई थी। उसके जन्मदिन पर 26 जून को केजरीवाल ने ट्वीट कर उसे बधाई दी थी। मुख्यमंत्री ने अपनी ओर से आयोजित रोजा इफ्तार पार्टी में विश्वास को नहीं बुलाया।

विश्वास हैं राजस्थान प्रभारी

विश्वास इस वक्त राजस्थान के प्रभारी के तौर पर पार्टी में काम कर रहे हैं। 25 जून को जयपुर में कार्यकर्ता सम्मेलन बुलाया गया था,जिसके लिए उन्होंने अपने स्तर पर प्रचार भी किया था। केजरीवाल के चेहरे वाले फोटो भी ट्विटर समेत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर किए थे। इसके बावजूद मुख्यमंत्री समेत सोशल मीडिया पर सक्रिय दूसरे वरिष्ठ नेताओं ने विश्वास के किसी भी पोस्ट को न तो री-ट्वीट किया और न ही शेयर।

जयपुर सम्मेलन से दूर रहे वरिष्ठ नेता

मनीष सिसोदिया, संजय सिंह, आशीष खेतान, दिलीप पांडेय,गोपाल राय और आशुतोष जैसे प्रमुख नेताओं ने सम्मेलन से दूरी बनाए रखी। बड़ी बात यह है कि आधिकारिक रूप से पार्टी भी इस मामले पर बोलने को तैयार नहीं है। दरअसल, पार्टी में विश्वास को लेकर जमकर विरोध चल रहा है, जो कई बार सामने भी आ चुका है। अमानतुल्लाह के बाद दिलीप पांडेय, दीपक वाजपेयी, विकास योगी और वंदना समेत कई अन्य ने खुलकर इस पर अपनी बात रखी है। विश्वास भी इशारे-इशारे में चार-पांच लोगों के पार्टी पर हावी होने की बात कहते रहे हैं।

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