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जानिए, किस तरह से चीन को चौतरफा घेरने की रणनीति में लगा है अमेरिका

डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद जिस तरह का उनका रुख सामने आया है उसको लेकर कमर आगा कहते हैं कि आज अमेरिका की कोई विचारधारा नहीं रह गई है।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Sat, 01 Jul 2017 03:40 PM (IST)Updated: Sat, 01 Jul 2017 05:10 PM (IST)
जानिए, किस तरह से चीन को चौतरफा घेरने की रणनीति में लगा है अमेरिका
जानिए, किस तरह से चीन को चौतरफा घेरने की रणनीति में लगा है अमेरिका

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। एक तरफ जहां साउथ-ईस्ट एशिया में लगातार आपसी हितों के टकराव के चलते यहां की महाशक्तियों के बीच खटास बढ़ती जा रही है, वहीं दूसरी तरफ चीन की दादागिरी ने यह साबित कर दिया है कि अगर ऐसे ही वह अपनी शर्तें मनवाता रहा तो स्थिति कभी भी बिगड़ सकती है।

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साउथ ईस्ट एशिया में चीन के मुकाबले अमेरिकी रणनीति
लेकिन, ऐसा नहीं कि चीन की इस दादागिरी का कोई तोड़ नहीं है। रक्षा जानकारों की मानें तो दक्षिण चीन सागर पर तनातनी के बाद अमेरिका खुलकर सामने आया है। अमेरिका ने भारत को 22 ड्रोन देने के साथ ही चीन के पड़ोसी ताइवान को हथियार देने की घोषणा की है। उसके बाद इस बात को बल मिला है कि अमेरिका साउथ ईस्ट एशिया में चीन को अपना बड़ा दुश्मन मानता है और उसे घेरने की वह लगातार रणनीति बना रहा है।

ताइवान को हथियार देने पर भड़का चीन
अमेरिका ने ताइवान को 142 करोड़ डॉलर यानि करीब 9192 करोड़ रुपये के हथियार बिक्री की योजना बनाई है। डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद यह पहली बिक्री है। अमेरिका की तरफ से दिए जाने वाले इस पैकेज में रडार, हाई स्पीड एंडी रेडिएशन मिसाइल, तारपीडो और मिसाइल कल-पुर्जे शामिल हैं। अमेरिका ने कहा कि यह सौदा ताइवान की आत्मरक्षा की क्षमता को बनाए रखने के लिए उनकी सहायता को दर्शाता है। हालांकि इससे ‘वन चाइना’ पॉलिसी को लेकर अमेरिका के दीर्घकालिक रुख पर कोई बदलाव नहीं आएगा। अमेरिका की तरफ से ताइवान को हथियार देने के इस क़दम के बाद चीन ने भड़कते हुए अमेरिकी प्रशासन से फौरन इस सौदे को रद करने की मांग की है।

क्या है अमेरिकी रणनीति
साउथ चाइना सी पर पिछले दिनों जिस तरह से अमेरिका और चीन आमने-सामने आ गए, उसके बाद दुनियाभर में यह कयास लगाए जाने लगे थे कि एक तरफ वैश्विक महाशक्ति और दूसरी तरफ आर्थिक महाशक्ति के बीच अगर टकराव हुआ तो क्या होगा? यह बात वाजिब थी, लेकिन दो महाशक्तियों के बीच टकाराव के अंदेशे पर क्या साचते हैं सामरिक और विदेश मामलों के जानकार यह आपको बताएंगे, लेकिन सबसे पहले बताते हैं किस तरह से अमेरिका लगातार चीन को घेरने की कोशिश कर रहा है।


14 देशों से घिरा है चीन

चीन चौदह देशों से घिरा हुआ है। इसके चारों ओर जो देश हैं वो है- ताइवान, फिलीपींस, साउथ कोरिया, मंगोलिया, कजाखिस्तान, किर्गिस्तान, ताजाकिस्तान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, भारत, नेपाल, भूटान, म्यांमार और वियतनाम। लेकिन, अमेरिका जहां पर अपना बेस बनाकर चीन को घेरने की कोशिश कर रहा है वह देश है- जापान, साउथ कोरिया, अफगानिस्तान, ताइवान, भारत, फिलीपींस और वियतनाम।

क्या चीन से वाकई छिड़ सकती है अमेरिकी जंग
आज भले ही साउथ ईस्ट एशिया में भारत और चीन के बीच तनाव चरम पर हो, लेकिन... जब जंग की बात होती है तो रक्षा मामलों के जानकार दूसरे तरीके से सोचते हैं। विदेश मामलों के जानकार कमर आगा ने Jagran.com से खास बातचीत में बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पॉलिसी स्पष्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि जिस वक़्त ट्रंप राष्ट्रपति का चुनाव लड़ रहे थे, उस समय उन्होंने चीन के खिलाफ कड़े तेवर दिखाते हुए उसकी मुद्रा और व्यापार पर सख्त कदम उठाने की बात कही थी।

कमर आगा ने आगे बताया कि नॉर्थ कोरिया के खिलाफ कार्रवाई की बात करनेवाला अमेरिका आज पूरी तरह से चीन पर निर्भर है और उस पर अपना दबाव बना रहा है। ऐसे में उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका के हितों को ख़तरा हो तभी वह किसी तरह की कार्रवाई कर सकता है। हालांकि, अमेरिका को चीन से कोई सीधा ख़तरा नहीं है।

क्या अमेरिका की आज कोई विचारधारा नहीं
डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद जिस तरह का उनका रुख़ सामने आया है उसको लेकर कमर आगा कहते हैं कि आज अमेरिका की कोई विचारधारा नहीं रह गई है। उसकी वजह ये है कि 9/11 हमले में अधिकतर लोग सऊदी अरब के शामिल थे, लेकिन ट्रंप ने सबसे पहले वहीं की विदेश यात्रा की है। ऐसे में उनका मानना है कि यह बड़ी ही अप्रत्याशित रूप से चिंता का विषय है। जबकि, रक्षा मामलों के जानकार उदय भास्कर ने Jagran.com से ख़ास बातचीत में बताया कि चीन को लेकर ट्रंप की पॉलिसी साफ नहीं है।

उन्होंने कहा कि हमेशा चीन के खिलाफ बोलने वाले ट्रंप ने कुछ महीने पहले ही बड़े अच्छे माहौल में राष्ट्रपति शी जिनपिंग से पहले मुलाकात की। उदय भास्कर का मानना है कि ट्रंप का जो रुख है ऐसे में कुछ नहीं कह सकते कि अगले पल कहीं अमेरिका कोई बड़ी डील चीन के साथ नहीं कर ले। हालांकि, उन्होंने ताइवान को हथियार दिए जाने के कदम को अमेरिका का कड़ा फैसला बताया है। उदय भास्कर का कहना है कि इस बात की बेहद कम संभावना है कि अमेरिका और चीन के बीच कभी लड़ाई होगी।
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