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'KBC वाली नहीं, हो गई हूं तबादले वाली मैडम; PM दिलाएं न्याय'

13 साल में लगातार 25वीं बार अपने तबादले से परेशान मध्य प्रदेश में तैनात तहसीलदार ने पीएम मोदी से मदद मांगी है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Fri, 14 Jul 2017 04:01 PM (IST)Updated: Sat, 15 Jul 2017 06:24 AM (IST)
'KBC वाली नहीं, हो गई हूं तबादले वाली मैडम; PM दिलाएं न्याय'
'KBC वाली नहीं, हो गई हूं तबादले वाली मैडम; PM दिलाएं न्याय'

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । क्या नौकरशाहों के तबादलों पर चर्चा होनी चाहिए। इस सवाल का जवाब साफ है कि अगर तबादले न्यायसंगत हों तो अनावश्यक चर्चा नहीं होनी चाहिए। लेकिन कुछ तबादले ऐसे होते हैं जो चर्चा के केंद्र में आ ही जाते हैं। यूपी में डीएसपी श्रेष्ठा ठाकुर और मध्य प्रदेश में तहसीलदार अमिता सिंह का कार्यक्षेत्र अलग-अलग है, लेकिन उनके तबादले सुर्खियों में आ गए।

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यूपी के बुलंदशहर में श्रेष्ठा ठाकुर और भाजपा नेताओं के बीच हुई बहसबाजी उनके लिए महंगी पड़ी। श्रेष्ठा ठाकुर का ट्रांसफर नेपाल से सटे बहराइच में कर दिया गया। उनके तबादले को लेकर खूब चर्चा हुई कि उन्हें सजा दी गई है। हालांकि यूपी सरकार ने इसे रुटीन ट्रांसफर बताया। कुछ ऐसा ही मामला एमपी में तहसीलदार पद पर तैनात अमिता सिंह के साथ हुआ। आइए आपको बताते हैं कि पूरा मामला क्या है। 

तहसीलदार की पीएम से गुहार

लगातार तबादले से परेशान राजगढ़ जिले की ब्यावरा तहसील में पदस्थ महिला तहसीलदार अमिता सिंह तोमर ने इस बार सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ट्वीट कर न्याय की गुहार लगाई है।

तहसीलदार ने गुरुवार को किए ट्वीट में लिखा- 13 साल की नौकरी के दौरान यह मेरा 25वां ट्रांसफर है। जब भी मेरा ट्रांसफर किया गया, हर बार 500 किमी दूर ही भेजा गया।

क्या ब्यावरा में रसूखदारों का अतिक्रमण हटाना ही इतनी दूर भेजने की वजह है... आखिर मैंने ऐसी क्या गलती कर दी...। मुझ पर मानसिक दबाव है, न्याय की उम्मीद के साथ अपील कर रही हूं.. व्यवस्था में मेरा विश्वास है...। मालूम हो कि तहसीलदार ने राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव को भी विस्तृत पत्र लिखा है।

12 जुलाई को ब्यावरा तहसीलदार अमिता सिंह तोमर का स्थानांतरण 800 किमी दूर सीधी किया गया है। उन्होंने प्रधानमंत्री को किए टवीट और प्रमुख सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि गत वर्ष 19 सितंबर को राजगढ़ आने के बाद सारंगपुर तहसीलदार के रूप में ज्वाइन किया। एक साल बाद 20 सितंबर को नरसिंहगढ़ भेज दिया। 6 अप्रैल को ब्यावरा ट्रांसफर कर दिया। यहां तीन माह हुए और अब सीधे सीधी भेज दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि जुलाई 2003 से जुलाई 2017 के बीच में 13 वर्षों में यह 9वां जिला है और 25वां तहसील स्तरीय स्थानांतरण। ऐसा कर मुझे प्रताड़ित किया जा रहा है।

मुझ पर न भ्रष्टाचार के आरोप, न फाइलें पेंडिंग फिर गलती क्या..?

प्रमुख सचिव को लिखे पत्र में कहा कि मेरे खिलाफ न कोई शिकायत आई न लेन-देन व भ्रष्टाचार के आरोप लगे। न मेरे कार्यकाल में फाइलें लंबित हैं, बल्कि राजस्व व बैंक वसूली में राज्य में बेहतर प्रदर्शन रहा। हर वर्ष सीआर बेहतर रहती है। सिंहस्थ में कई प्रमाण-पत्र मिले, सैकड़ों पुरस्कार व मेडल मिले। हाल ही में ब्यावरा में जरूर कुछ रसूखदारों के अतिक्रमण हटाने का काम किया था। क्या यही मुझे इतनी दूर भेजने की वजह है...?

पहले कहते थे केबीसी वाली मैडम, अब ट्रांसफर वाली...

अमिता सिंह ने लिखा कि मैंने 'कौन बनेगा करोड़पति' में 50 लाख रुपये जीते थे, तब से लोग मुझे केबीसी वाली मैडम कहते थे, लेकिन बार-बार हो रहे तबादलों के कारण मुझे ट्रांसफर वाली मैडम कहा जाने लगा। मुझे मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा है। अधिकांश तहसीलदारों की पूरी नौकरी 2-4 जिलों में ही पूरी हो जाती है, लेकिन यहां पर मेरा तो 14 साल में 25 तहसीलों में ट्रांसफर कर दिया गया।

तहसीलदार का विवादों से पुराना नाता

- रतलाम जिले के रावटी में पदस्थापना के दौरान अपने फेसबुक वॉल पर उन्होंने लिखा था कि प्रधानमंत्री अफगानिस्तान गए तो वहां के मुसलमान ने भारत के झंडे सड़क पर लेकर वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारे लगाए। इसलिए प्रधानमंत्री से अनुरोध है कि वे राजीव गांधी आत्महत्या योजना शुरू करें, ताकि सेक्युलर और कांग्रेसी विचार वाले ऐसी खबर सुनकर आत्महत्या कर सकें। इसके बाद हुए विवाद के कारण उनका तबादला राजगढ़ जिले में नरसिंहगढ़ कर दिया गया।

- 21 जनवरी को नरसिंहगढ़ में पदस्थापना के समय उन्होंने खुले में शौच जाने पर बालिका को चांटा मार दिया था, जिससे उनका भारी विरोध हुआ था।

- 23 मार्च को उन्होंने ट्वीट करके सरकार के खुले में शौच मुक्त अभियान को लेकर सवाल उठाए थे, जिसमें उन्होंने लिखा था कि 'ग्रामीणजन का कहना बाजिब है कि शौचालय में एक बाल्टी पानी लगता है, जबकि खुले में एक लोटा। पीने का पानी है नहीं, शौच के लिए कहां से लाएं?' 

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