कलाम कभी मर नहीं सकते क्योंकि हर कलमे में हैं कलाम
पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के योगदान पर देश को गर्व है। उन्होंने न केवल वैज्ञानिक सोच को विस्तार दिया बल्कि धार्मिक तौर पर सबको सहिष्णु रहने की सीख दी।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । कुछ ऐसी शख्सियतें होती हैं जो हमेशा प्रेरणा देती रहती है। भौतिक रूप में भले ही वो हमारे आसपास न हों, लेकिन उनकी कामयाबियां जीवन में लीक से हटकर कुछ अलग करने की सीख भी देती हैं। पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम उनमें से एक थे। भारत की आने वाली पीढ़ियों के लिए वो किसी अजूबे से कम नहीं हैं। अब्दुल कलाम कुरान और भगवद् गीता दोनों का अध्ययन करते थे। उनके व्यक्तित्व के अंदर जहां एक तरफ ठहराव था तो वहीं उनकी वाणी में कुरान की मिठास थी, जिसके चलते वो सबको अपना बना लेते थे।
पीएम मोदी ने रामेश्वरम में कलाम मेमोरियल का उद्घाटन किया। इस मौके पर पीएम ने कहा कि डॉक्टर कलाम ने भारत के युवाओं को हमेशा प्रेरित करते थे। आज के युवा जॉब पाने से ज्यादा जॉब देने में विश्वास करते हैं।
1997 में भारत रत्न से सम्मानित
भारत रत्न से 1997 में सम्मानित कलाम भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे। 1982 में वे भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान में वापस निदेशक के तौर पर आए और उन्होंने अपना सारा ध्यान "गाइडेड मिसाइल" के विकास पर केन्द्रित किया। जुलाई 1992 में वे भारतीय रक्षा मंत्रालय में वैज्ञानिक सलाहकार नियुक्त हुए। उनकी देखरेख में भारत ने 1998 में पोखरण में अपना दूसरा सफल परमाणु परीक्षण किया और परमाणु शक्ति से संपन्न राष्ट्रों की सूची में शामिल हुआ। कलाम को 1989 में प्रशासकीय सेवा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
मिसाइल विकास में शानदार योगदान
रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार के तौर पर उन्होंने अग्नि एवं पृथ्वी जैसी मिसाइलों को स्वदेशी तकनीक से बनाया था। डॉक्टर कलाम जुलाई 1992 से दिसम्बर 1999 तक रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार तथा सुरक्षा शोध और विकास विभाग के सचिव थे। उन्होंने स्ट्रेटेजिक मिसाइल्स सिस्टम का उपयोग आग्नेयास्त्रों के रूप में किया। इसी प्रकार पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर विस्फोट भी परमाणु ऊर्जा के साथ मिलाकर किया। इस तरह भारत ने परमाणु हथियार के निर्माण की क्षमता प्राप्त करने में सफलता अर्जित की।
1962 में इसरो के हिस्सा बने
स्वभाव से हंसमुख और कविताओं के शौकीन कलाम 1962 में 'भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन' में आए थे। डॉक्टर अब्दुल कलाम को प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एसएलवी तृतीय) प्रक्षेपास्त्र बनाने का श्रेय हासिल हुआ। 1980 में इन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के निकट स्थापित किया था, जिसके बाद ही भारत भी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया। इसरो लॉन्च व्हीकल प्रोग्राम को परवान चढ़ाने का श्रेय भी इन्हें प्रदान किया जाता है। डॉक्टर कलाम ने स्वदेशी लक्ष्य भेदी (गाइडेड मिसाइल्स) को डिजाइन किया।
कौन थे अब्दुल कलाम ?
अब्दुल कलाम का पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलाअबदीन अब्दुल कलाम था। उनका जन्म 15 अक्टूबर, 1931, रामेश्वरम, तमिलनाडु में हुआ था। वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जानेमाने वैज्ञानिक और अभियंता के रूप में देश में जाने जाते थे। बच्चों से बेहद प्यार करने वाले ए पी जे अब्दुल कलाम ने बहुत सारी किताबें भी लिखी थीं। भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति थे।
तेज दिमाग लेकिन भावुक होने के अलावा कलाम की लेखनी भी कमाल की थी, उन्होंने अपने शोध को चार उत्कृष्ट पुस्तकों में समाहित किया था, इन पुस्तकों के नाम है 'विंग्स ऑफ़ फायर', 'इण्डिया 2020- ए विज़न फॉर द न्यू मिलेनियम', 'माई जर्नी' तथा 'इग्नाटिड माइंड्स- अनलीशिंग द पॉवर विदिन इंडिया'। इन पुस्तकों का कई भारतीय तथा विदेशी भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। कलाम भारत के ऐसे विशिष्ट वैज्ञानिक थे, जिन्हंं 30 विश्वविद्यालयों और संस्थानों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिल चुकी थी।