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चीन की चिढ़ और भारत दृढ़, पड़ोसियों को साधकर ड्रैगन को घेरने की कोशिश

डोकलाम के मुद्दे पर चीन अब भारत को चुनौती दे रहा है। लेकिन हकीकत ये है कि भारत की ताकत को वो कम कर आंक रहा है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Sun, 09 Jul 2017 12:57 PM (IST)Updated: Mon, 10 Jul 2017 09:44 AM (IST)
चीन की चिढ़ और भारत दृढ़, पड़ोसियों को साधकर ड्रैगन को घेरने की कोशिश
चीन की चिढ़ और भारत दृढ़, पड़ोसियों को साधकर ड्रैगन को घेरने की कोशिश

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । चीन की विस्तारवादी सोच का सच अब सामने आ रहा है। दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीपों के निर्माण के साथ जहां वो एक तरफ अपने पड़ोसियों को परेशान कर रहा है, वहीं वन बेल्ट, वन रोड के जरिए वो दुनिया का दारोगा बनने का सपना देख रहा है। चीन-पाक आर्थिक गलियारे तहत वो अपने प्रभुत्व को स्थापित कर रहा है। इसके अलावा भूटान के सीमा में आने वाले डोकलाम इलाके में सड़क निर्माण के जरिए वो भारत को चुनौती दे रहा है। हाल ही में जब भारत ने घुसपैठ करने वाले चीनी सैनिकों को भारतीय जवानों ने खदेड़ दिया तो चीन तिलमिला उठा। चीन के सरकारी अखबारों में से एक ग्लोबल टाइम्स भारत के खिलाफ जहर उगलने लगा। चीन में भारत के खिलाफ लड़ाई की हिमायत करने वालों की कमी नहीं है लेकिन सच ये है कि अब भारत चीन से किसी भी मामले में कम नहीं है। 

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चीन की किसी से नहीं बनती

ड्रैगन यानि चीन पड़ोस से बनाए रखने वाले मुहावर पर यकीं नहीं करता है। दुनिया में रूस के बाद वहीं एक ऐसा देश जिसकी सीमाएं 14 देशों से सटी हुई हैं। लेकिन पाकिस्तान को छोड़कर चीन की किसी से नहीं बनती है।

जापान- चीन और जापान के बीच पूर्वी चीन सागर पर स्थित कुछ द्वीपों को लेकर विवाद है। जापान नियंत्रित सेनकाकू द्वीप पर चीन अपना हक जताता है। वह इसे डियाओयू द्वीप कहता है। इन द्वीपों पर ताइवान भी अपना अधिकार जताता है।

ताइवान- ताइवना पर चीन शुरू से ही अपना हक जताता है। इसके अलावा चीन की तरफ से अक्सर ये बयान आता है कि ताइवान से रिश्ता रखने वालों देशों के साथ वो संबंध तोड़ देगा।

 रूस- चीन और रूस की सीमा 4300 किमी लंबी है। उसूरी नदी पर स्थित झेनबाओ द्वीप और एमर व एर्गन नदी पर बसे कुछ द्वीपों के मालिकाना हक को लेकर चीन और रूस के बीच कई साल से विवाद है। 1995 औप 2004 में समझौते के बाद भी चीन इस मसले को बीच बीच में उठाता रहता है।

नेपाल- नेपाल में चीन आर्थिक निवेश कर रहा है। वहां सड़कें और रेल बिछा रहा है। लेकिन चीन द्वारा नेपाल की भूमि का अधिक इस्तेमाल करने पर बीच-बीच में दोनों देशों के रिश्ते तीखे हो जाते हैं।

भूटान- तिब्बत के कुछ हिस्सों को लेकर भूटान और चीन में तनातनी है।इनमें से दस अधिक क्षेत्र हैं। मौजूदा समय में भूटान के डोकलाम में चीन हस्तक्षेप कर रहा है।

उत्तर कोरिया- चीन और उत्तर कोरिया के बीच यालू और तुमेन के बीच सीमा रेखा को लेकर विवाद है। इसमें कई द्वीप हैं और इलाके का सबसे ऊंचा पर्वत पेकतू है। इस पर चीन अपना हक जताता है। हालांकि दोनों देश आर्थिक मित्र हैं लेकिन तनातनी बनी रहती है।

दूसरे पड़ोसी भी परेशान

चीन की विस्तारवादी सोच से मंगोलिया, लाओस, वियतनाम, म्यांमार, अफगानिस्तानस कजाखिस्तान, किर्गिस्तान ताजिकिस्तान भी शामिल हैं।

दक्षिण चीन सागर में घिरा चीन

दक्षिण चीन सागर पर चीन एकछत्र राज करना चाहता है। वहां वो कृत्रिम द्वीपों का निर्माण भी कर रहा है। इस क्षेत्र के अलग अलग हिस्सों पर मलेशिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस, वियतनाम और ब्रुनेई जैसे देश भी अधिकार जताते हैं।

जानकार की राय

विदेश मंत्रालय में पूर्व सचिव रहे विवेक काटजू का कहना है कि वर्तमान चीन के असल शिल्पकार चीनी नेता डेंग शियोपिंग ने 1978 में देश के लोगों से कहा था कि जब तक चीन अपनी आर्थिक और सैन्य शक्ति में इजाफा कर रहा है, तब तक वे शांत रहें। इसके बाद उनका समय आएगा।शी चिनफिंग के नेतृत्व में चीन जैसा व्यवहार कर रहा है जैसे उसका समय आ गया है। चीन एक तरफ भारत-नेपाल के संबंधों को कमजोर करने के लिए नेपाल से निकटता बढ़ा रहा है। इसके अलावा चीन और पाकिस्तान के बीच संबंधों का आधार भारत के प्रति नकारात्मक रवैया है। आर्थिक गलियारे के जरिए चीन और पाकिस्तान एक दूसरे के करीब आ रहे हैं। दोनों देशों को लगता है कि भारत इसे एक बड़ा मुद्दा बनाएगा क्योंकि इसका एक रास्ता बलूचिस्तान से होकर जाने वाला है।

दुश्मन के दुश्मन से दोस्ती बढ़ा रहा भारत

चीन की विस्तारवादी सोच और नीति की वजह से उसके पड़ोसी मुल्कों के साथ संबंध सहज नहीं हैं। सिर्फ पाकिस्तान एक अपवाद है। ऐसे हालात में भारत के सामने एक बेहतरीन अवसर है कि वो चीन से इत्तेफाक न रखने वाले उसके पड़ोसियों के साथ बेहतर संबंध विकसित करे। भारत उस दिशा में कोशिश भी कर रहा है।

सिंगापुर से समझौता

पांच वर्षीय समझौते के तहत भारत यहां की थल और वायु सेना के अब्यास के लिए सैन्य सामग्री मुहैया कराता है। दोनों देश नियमिक रूप से सिबेक्स नामक नौसेना युद्धाभ्यास भी करते हैं।

जापान- दोनों देश समुद्री सुरक्षा, संयुक्त सैन्य अभ्यास और तकनीक के आदान प्रदान पर जोर देते हैं। भारत-अमेरिका के सालाना मालाबार अभ्यास में जापाना भी नियमित तौर पर शामिल होने लगा है।

इंडोनेशिया- दोनों देशों के बीच पहला संयुक्त हवाई युद्धाभ्यास होने जा रहा है। गरुण शक्ति ,सैन्य अभ्यास को बेहतर किया जाएगा। भारत ने इंडोनेशियाई नौसेना को पनडुब्बी युद्धाभ्यास का प्रशिक्षण देने की पेशकश की है। दोनों देशों की नौसेना अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा पर समन्वय स्थापित कर गश्त लगाती है।

वियतनाम- भारत सैन्य सामाग्री मुहैया कराने के साथ वियतनामी नौसैनिकों को पनडुब्बी युद्धाभ्यास में प्रशिक्षण देता है। बहुत जल्दी ही भारतीय सैनिक वियतनामी विमानचालकों को सुखोई विमान उड़ाने का प्रशिक्षण देंगे। भारत ने ब्रह्मोस और आकाश मिसाइल देने की पेशकश की है।

थाइलैंड- दोनों देशों की सेना के बीच नियमित रूप से मैत्री सैन्य अभ्यास होता है। अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा पर दोनों सेनाएं नियमित तौर से गश्त लगाती हैं।

जानकार की राय

स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज, जेएनयू के प्रोफेसर पुष्पेश पंत का कहना है कि चीन के आक्रामक विस्तार से वियतनाम से लेकर फिलीपींस तक परेशान हैं। सेनकाकू द्वीप को लेकर जापान से मुठभेड़ की आशंका निर्मूल नहीं है। अब तक भारत इन देशों के साथ सामरिक संबंधों को विकसित करने में संयम बरतता रहा है। वक्त आ गया है कि चीन के साथ बुरी तरह असंतुलित व्यापार के बारे में पुनर्विचार किया जाए। चीन के निरंकुश आचरण को और बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।

यह भी पढ़ें: जब तिब्‍बत ने की थी एतिहासिक भूल और चीन ने उस पर किया था कब्‍जा


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