जांच एजेंसियों की गिरफ्त में लालू का कुनबा, खुल रही है परत दर परत
लालू यादव और उनके परिवार के ऊपर एजेंसियों की कार्रवाई लगातार तेज़ होती जा रही है।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। बेनामी संपत्ति और भ्रष्टाचार को लेकर केन्द्रीय जांच एजेंसियों की जद में आए लालू यादव और उनके पूरे परिवार पर संकट थमने का नाम नहीं ले रहा है। आयकर विभाग ने लालू और उनके परिवार की कुछ बेनामी संपत्तियों को जब्त करने का आदेश जारी किया है। आयकर विभाग ने इससे पहले लालू, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव, बेटियां चंदा, रागिनी यादव और सांसद बेटी मीसा भारती व दामाद शैलेष कुमार को संपत्ति जब्त करने संबंधी नोटिस थमाया था। राजनीतिक जानकार इसे लालू परिवार और उनकी पार्टी के लिए बड़ा संकट मान रहे हैं।
एबी एक्सपोर्ट की अचल संपत्ति जब्त करने के आदेश
लालू यादव और उनके परिवार के ऊपर एजेंसियों की कार्रवाई लगातार तेज़ होती जा रही है। जांच से जुड़े आयकर विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि एक फर्म एबी एक्सपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ आदेश दिया गया है। लालू के रिश्तेदार इस फर्म की अचल संपत्ति के लाभार्थी हैं। दक्षिणी दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में फर्म की संपत्ति है। आयकर विभाग ने इसी साल जून में बेनामी लेनदेन (रोकथाम) अधिनियम 2016 के तहत जब्ती का अस्थायी आदेश जारी किया था। अब इस आदेश की पुष्टि हो गई है। जून में अस्थायी रूप से जब्त की गई अन्य संपत्तियों को भी दायरे में लिया जाएगा।
दिल्ली से बिहार तक लालू परिवार के दर्जनभर प्लाट, मॉल की जमीन जब्त
आयकर विभाग राजधानी दिल्ली से लेकर बिहार तक करीब एक दर्जन प्लॉट जब्त कर चुका है। इसमें दिल्ली के पालम विहार इलाके में एक फार्म हाउस, दक्षिणी दिल्ली के फ्रेंड्स कॉलोनी में एक भवन और पटना के फुलवारी शरीफ में 256.75 डिसमिल जमीन पर नौ प्लॉट शामिल हैं। पटना के फुलवारी शरीफ वाली जमीन पर शॉपिंग मॉल बनाया जा रहा था।
क्या ये है बदले की कार्रवाई
लालू यादव पर लगातार केन्द्रीय जांच एजेंसियों की तरफ से कसते शिकंजे को उनकी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने इसे राजनीतिक रूप से बदले की भावना करार दिया गया है। आरजेडी नेता मनोज झा ने Jagran.com से खास बातचीत में इसे भाजपा की तरफ से बदले की कार्रवाई बताया। लेकिन, राजनीतिक जानकारों की इस बारे में अलग राय है। वे मानते हैं कि जब भी इस तह की कार्रवाई होती है जांच एजेंसियों पर इस तरह के आरोप आम हैं, क्योंकि जिसकी भी सरकार होती है, आरोप उन पर लगाए जाते हैं। लेकिन, लालू के मामले में ऐसा नहीं है।
यूपीए सरकार के दौरान लालू को मिली सज़ा
Jagran.com से खास बातचीत में दिल्ली विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर सुब्रतो मुखर्जी ने बताया कि लालू यादव और उनका परिवार इस वक्त बहुत बड़े संकट में है। उनकी कई जगहों पर बेनामी संपत्तियां जब्त हो चुकी हैं। मुखर्जी का मानना है कि ऐसा नहीं है कि एनडीए सरकार के दौरान ही लालू पर इस तरह की कार्रवाई की जा रही हो। इससे पहले जिस वक्त यूपीए की सरकार की थी, उस समय भ्रष्टाचार मामले में लालू यादव को चारा घोटाले सज़ा हुई थी।
पुत्र मोह में लालू ने की बड़ी गलती, आरजेडी को संकट में डाला
सुब्रतो मुखर्जी का मनना है कि लालू यादव ने अपने पुत्र मोह में पूरी पार्टी को ही संकट में डाल दिया है। यही वजह है कि आज कांग्रेस के विधायक भी लालू यादव से नाराज हैं और पार्टी आलाकमान से आरजेडी का साथ छोड़ने की मांग कर रहे हैं। इतना ही नहीं, चूंकि अगले विधानसभा चुनाव से पहले लालू ने मुख्यमंत्री पद के लिए अपने छोटे बेटे तेजस्वी का नाम आगे बढ़ाया है। इसके चलते कांग्रेस में नाराजगी साफतौर पर देखी जा रही है। मुखर्जी ने बताया कि लालू यादव ने पुत्र मोह में महागठबंधन तोड़कर बहुत बड़ी गलती की है। क्योंकि, बिहार के चुनाव में हमेशा त्रिकोणीय मुकाबला होता है। ऐसे में दो दल जिस तरफ होंगे जीत उन्हीं की होगी। मौजूदा परिदृश्य में नीतीश और भाजपा के एक साथ आने के बाद लालू यादव का बिहार से सफाया होना तय है।
क्या लालू को मिलेगी सहानुभूति
जिस तरह लालू यादव और उनके परिवार के ऊपर केन्द्रीय जांच एजेंसियों का लगातार शिकंजा कसता जा रहा है उसके बाद राजनीतिक जानकारों की बिहार में राजनीतिक नफा नुकसान को लेकर अलग-अलग राय है। राजनीतिक विश्लेषक शिवाजी सरकार ने Jagran.com से बातचीत में बताया कि लालू का परंपरागत वोटर है। बिहार में जातीय समीकरण हैं और उसमें उसके कट्टर वोटर हैं। ऐसे में हो सकता है कि बिहार की जनता से लालू को सहानुभूति मिले और उसका राजनीतिक फायदा भी उन्हें हो।
लेकिन, सुब्रतो मुखर्जी ऐसा नहीं मानते हैं। मुखर्जी का कहना है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बारे में भी यह कहा जा रहा है, क्योंकि उनकी पार्टी पहले से ही नारदा स्टिंग और शारदा चिटफंट समेत कई मामलों में फंसी हैं और जांच एजेंसियां लगातार परत दर परत चीजों को खंगाल रही हैं। लेकिन, ये सारी चीजें ममता के खिलाफ ही जाएंगी।
मुखर्जी ने बताया कि जिस वक्त लालू यादव 91 के बाद बिहार की सत्ता में आए उस समय जातीय समीकरण चरम पर था। उस वक्त इतना मीडिया का बोलबाला नहीं था। लेकिन, अब बिहार की राजनीति में काफी बदलाव आ चुका है। मीडिया काफी सक्रिय हो चुकी है। ऐसे में लालू यादव के लिए अब पहले वाली स्थिति नहीं रही।
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