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भारत के इस हथियार से दु‍श्मनों के नापाक इरादे होंगे ध्वस्त

भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से तैयार की गई ब्रह्मोस मिसाइल ने आज पूरी दुनिया में भारत परचम लहरा दिया है। इसके सामने अमेरिका की टॉमहॉक मिसाइल भी फेल है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 22 Nov 2017 05:32 PM (IST)Updated: Wed, 22 Nov 2017 06:07 PM (IST)
भारत के इस हथियार से दु‍श्मनों के नापाक इरादे होंगे ध्वस्त
भारत के इस हथियार से दु‍श्मनों के नापाक इरादे होंगे ध्वस्त

नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। ब्रह्मोस मिसाइल के जरिए भारत ने एक और मील का पत्‍थर स्‍थापित किया है। भारत ने पहली बार सुखोई 30 सुपरसोनिक एयरक्राफ्ट से इसका सफल प्रक्षेपण किया और ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश है। ब्रह्मोस एक क्रुज मिसाइल है और इसकी रेंज 290 किमी है। इस लिहाज से भी यह काफी अहम है। मौजूदा समय में इस मिसाइल को थल, जल और वायु में से कहीं से भी छोड़ा जा सकता है। ब्रह्मोस रूस और भारत के ज्‍वाइंट वेंचर प्रोग्राम के तहत डेवलप की गई है। यहां पर हम आपको बताना चाहते हैं कि भारत इस मिसाइल को पहले ही थल और नौसेना को सौंप चुका है। इनके बाद से ही इसके एयर वर्जन पर जोर दिया जा रहा था जिसका सफल प्रक्षेपण हो चुका है। ब्रह्मोस मिसाइल जमीन के नीचे परमाणु बंकरों,कमांड ऐंड कंट्रोल सेंटर्स और समुद्र के ऊपर उड़ रहे एयरक्राफ्ट्स को दूर से ही निशाना बनाने में सक्षम है। इसकी खासियत यह भी है कि यह मिसाइल आम मिसाइलों के विपरित हवा को खींच कर रेमजेट तकनीक से ऊर्जा प्राप्त करती है।

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यूएस की टॉमहॉक मिसाइल भी इसके सामने फेल

प्रक्षेपास्त्र तकनीक में दुनिया की कोई भी दूसरी मिसाइल तेज गति से आक्रमण के मामले में ब्रह्मोस की बराबरी नहीं कर सकती है। इसकी खूबियां इसे दुनिया की सबसे तेज़ मारक मिसाइल बनाती है। यहां तक की अमरीका की टॉम हॉक मिसाइल भी इसके आगे फेल साबित होती है। ब्रह्मोस की सफलता का आंकलन इस बात से भी लगाया जा सकता है कि भारत अब दूसरे देशों को बेचने की दिशा में काम कर रहा है। ब्रह्मोस बनाने वाली कंपनी  ब्रह्मोस एयर प्रोग्राम कंपनी को करीब सात अरब डॉलर के घरेलू ऑर्डर मिल चुके हैं। यहां पर ध्‍यान देने वाली बात यह भी है कि अंतरराष्ट्रीय समझौतों के चलते 2016 से पहले इनका निर्यात नहीं किया जा सकता था, लेकिन एमसीटीआर (मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजाइम) में शामिल होने के बाद भारत को इनकी खरीद-फरोख्त का अधिकार मिल चुका है। इंडो-रसियन संयुक्त उपक्रम के तहत इसकी शुरुआत 1998 में हुई थी।

क्‍या होती है क्रूज मिसाइल

ब्रह्मोस एक सुपरसॉनिक क्रूज प्रक्षेपास्त्र है। क्रूज प्रक्षेपास्त्र उसे कहते हैं जो कम ऊँचाई पर तेजी से उड़ान भरती है और इस तरह से रडार से बची रहती है। ब्रह्मोस की विशेषता यह है कि इसे जमीन से, हवा से, पनडुब्बी से, युद्धपोत से यानी कि कहीं से भी दागा जा सकता है। यही नहीं इस प्रक्षेपास्त्र को पारम्परिक प्रक्षेपक के अलावा उर्ध्वगामी यानी कि वर्टिकल प्रक्षेपक से भी दागा जा सकता है। ब्रह्मोस के मेनुवरेबल संस्करण का हाल ही में सफल परीक्षण किया गया। जिससे इस मिसाइल की मारक क्षमता में और भी बढोत्तरी हुई है। ब्रह्मोस मिसाइल आवाज की गति से लगभग 3 गुना ज्‍यादा यानि 2.8 मैक की गति से उड़ सकती हैफ जमीन के साथ-साथ अब ब्रह्मोस मिसाइल को हवा से भी दुश्‍मन के ठिकाने को बर्बाद करने के लिए इस्‍तेमाल किया जा सकता है।

रूस और भारत का ज्‍वाइंट वैंचर

ब्रह्मोस का विकास ब्रह्मोस कॉरपोरेशन द्वारा किया जा रहा है। यह कंपनी भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओ मशीनोस्त्रोयेनिशिया का सयुंक्त उपक्रम है। ब्रह्मोस नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है। रूस इस परियोजना में प्रक्षेपास्त्र तकनीक उपलब्ध करवा रहा है और उड़ान के दौरान मार्गदर्शन करने की क्षमता भारत के द्वारा विकसित की गई है। यह मिसाइल रूस की पी-800 ओंकिस क्रूज मिसाइल की प्रौद्योगिकी पर आधारित है। ब्रह्मोस भारत और रूस के द्वारा विकसित की गई अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है और इसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी देश बना दिया है।

रास्‍ता बदलने में माहिर है ब्रह्मोस

मेनुवरेबल तकनीक का अर्थ लॉन्‍च करने के बाद लक्ष्य तक पहुंचने के लिए मार्ग बदलना होता है। इस बात को साधारण तरीके से कुछ यूं समझा जा सकता है कि टैंक से छोड़े जाने वाले गोलों तथा अन्य मिसाइलों का लक्ष्य पहले से निश्चित होता है और वे वहीं जाकर गिरते हैं। इसके अलावा लेजर गाइडेड बम या मिसाइल वे होते हैं जो लेजर किरणों के आधार पर लक्ष्य को साधते हैं। परंतु यदि कोई लक्ष्य इन सब से दूर हो और लगातार गतिशील हो तो उसे निशाना बनाना कठिन हो सकता है। यहीं यह तकनीक काम आती है जिसमें ब्रह्मोस माहिर है। ब्रह्मोस मेनुवरेबल मिसाइल है। दागे जाने के बाद लक्ष्य तक पहुंचते यदि उसका लक्ष्य मार्ग बदल ले तो यह मिसाइल भी अपना मार्ग बदल लेती है और उसे निशाना बना लेती है।

ब्रह्मोस के अलावा भारत के पास दूसरी मिसाइल

ब्रह्मोस के अलावा भी भारत के पास हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल हैं। इनमें नाग निर्भय का नाम शामिल है। ब्रह्मोस की तरह निर्भय को भी थल, जल और वायु के लिए तैयार किया जा रहा है। यह एक स्टि‍ल्‍थ सबसोनिक क्रूज मिसाइल है जिसकी रेंज करीब तीन हजार किमी है। इसका वजन करीब एक टन है जबकि यह 100 किग्रा तक के हथियारों को ले जाने में सक्षम है। वहीं नाग एक एंटी टैंक मिसाइल है। यह जमीन से जमीन और हवा से जमीन पर हमला करने में सक्षम है। यह चार किमी की रेंज में अचूक निशाना लगा सकती है। इसका कुल वजन 42 किग्रा है और यह 8 किग्रा वजन हथियार के साथ उड़ान भरने में सक्षम है।


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