जानें, क्यों रामनाथ कोविंद राष्ट्रपति पद के लिए भाजपा की पसंद बने
भाजपा ने बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए की तरफ उम्मीदवार घोषित किया है।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए का उम्मीदवार बनाने का ऐलान किया। इस संबध में पार्टी की संसदीय दल की बैठक दिल्ली में हुई। इस ऐलान के साथ ही दूसरे नामों पर चल रही चर्चाओं पर विराम लग गया। राष्ट्रपति चुनाव के लिए आंकड़े एनडीए के पक्ष में हैं लिहाजा रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति बनने में किसी तरह की अड़चन नहीं है। अगर ऐसा हुआ तो के आर नारायणन के बाद दूसरे दलित राष्ट्रपति होंगे।
कौन हैं रामनाथ कोविंद
रामनाथ कोविंद का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के एक छोटे से गांव परौंख में हुआ था। कोविंद का सम्बन्ध कोरी या कोली जाति से है जो उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति के अंतर्गत आती है। वकालत की उपाधि लेने के बाद उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की। 1977 से लेकर 1979 तक दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार के वकील रहे। 8 अगस्त 2015 को बिहार के राज्यपाल के पद पर उनकी नियुक्ति हुई।
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रामनाथ कोविंद 1991 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए। 1994 में उत्तर प्रदेश राज्य से राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए। वर्ष 2000 में पुनः उत्तरप्रदेश राज्य से राज्य सभा के लिए निर्वाचित हुए। कोविंद लगातार 12 वर्ष तक राज्य सभा के सदस्य रहे। वह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रहे।
भाजपा दलित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अखिल भारतीय कोली समाज अध्यक्ष भी रहे। 1986 में वो दलित वर्ग के कानूनी सहायता ब्यूरो के महामंत्री भी रहे।
रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाये जाने के बाद पीएम ने कहा कि वो देश के लिए असाधारण राष्ट्रपति होंगे।
I am sure Shri Ram Nath Kovind will make an exceptional President & continue to be a strong voice for the poor, downtrodden & marginalised.— Narendra Modi (@narendramodi) June 19, 2017
विधि और संविधान की बेहतर समझ के साथ वो समाज के कमजोर वर्ग के लिए प्रेरणादायी साबित होंगे।
With his illustrious background in the legal arena, Shri Kovind's knowledge and understanding of the Constitution will benefit the nation.— Narendra Modi (@narendramodi) June 19, 2017
यूपी के सीएम रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने से यूपी का सम्मान बढ़ा। वो सभी दलों से अपील करते हैं कि बिना किसी पूर्वाग्रह के एनडीए उम्मीदवार का समर्थन करें।
I appeal to all political parties of UP to support son of UP, #RamNathKovind for president, rising above politics: UP CM Yogi Adityanath pic.twitter.com/DenzbgTJ4p— ANI UP (@ANINewsUP) June 19, 2017
रामनाथ कोविंद की उम्मीदवारी पर लोजपा नेता और केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने कहा कि सभी पार्टियों को समर्थन करना चाहिए। जो ऐसा नहीं करेगा उसे दलित विरोधी माना जाएगा।
Sabko samarthan karna chahiye, jo nahi karenge to maana jaayega ki vo dalit virodhi hain: Union Minister Ramvilas Paswan #RamNathKovind pic.twitter.com/WONiVGXHP7— ANI (@ANI_news) June 19, 2017
जानकार की राय
Jagran.com से खास बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह ने कहा कि बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद की राष्ट्रपति की उम्मीदवारी को दो बिंदुओं पर देखने की आवश्यकता है।
रामनाथ कोविंद के नाम का ऐलान कर भाजपा ने अपने विरोधियों के साथ साथ आम लोगों को ये संदेश देने की कोशिश की है कि वो सिर्फ शहरों या खास वर्ग तक ही सीमित नहीं है। 2014 के चुनाव से पहले भाजपा अपने सामाजिक दायरे को बढ़ाने की दिशा में काम कर रही थी। भाजपा के इस फैसले को उसके पहले के प्रयासों को विस्तार के रूप में देखना चाहिए।
भाजपा अपने इस फैसले के जरिए न केवल मिशन 2019 को जमीन पर उतारना चाहती है, बल्कि पार्टी उससे आगे का भी सोच रही है। कांग्रेस जिस तरह से दलित समाज में अपनी पैठ बनाकर लंबे समय तक शासन सत्ता में रही ठीक वैसे ही भाजपा के रणनीतिकार मानते हैं कि दलित और आदिवासी समुदाय के बीच बेहतर संवाद के जरिए उन्हें अपने पाले में लाया जा सकता है।
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