आखिर राजधानी दिल्ली और NCR क्यों हो रहा है बार-बार शर्मसार
इस साल भी दिल्ली व एनसीआर के अन्य शहरों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में कोई कमी नहीं आयी है। ये हैं इस साल के चर्चित महिला विरोधी अपराध जिन्होंने दिल्ली व एनसीआर पर दाग लगाया है
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। देश की राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के लगते क्षेत्र में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं। इसे लोगों की असंवेदनहीनता कहें या फिर कुछ और लेकिन हकीकत यही है कि पुलिस के तमाम दावों के बावजूद महिलाएं लगातार शिकार हो रही हैं। ताज़ा मामला है गुड़गांव से सटे सोहना का जहां पर तीन हवस के दरिंदों ने एक महिला को अगवा कर उसके साथ चलती कार में गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया और उसके बाद उसे ग्रेटर नोएडा के कासना इलाके में सड़क किनारे फेंककर फरार हो गए। चलिए बताते है इस साल राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर के वह चर्चित महिला विरोधी वारदातें जिन्होंने दिल्ली पर लगाया दाग।
गुड़गांव में महिला से गैंगरेप, रोती बच्ची का गला घोंटा
29 मई 2017 को गुड़गांव से सटे मानेसर में एक महिला से गैंगरेप और उसकी 9 महीने की बच्ची का गला दबाकर हत्या किए जाने का सनीसनीखेज मामला सामने आया। आरोपियों ने महिला की 9 महीने की बच्ची का गला दबाकर सड़क पर फेंक दिया था। जिसके बाद बच्ची की मौत हो गई थी। पुलिस ने बताया कि महिला के साथ चार घंटे तक दुष्कर्म होता रहा और उसके बाद उसे सड़क पर छोड़ दिया गया। पीड़ित महिला वापस उस जगह पर लौटी, जहां सड़क पर उसकी बच्ची को फेंका गया था। वह इस आस में लौटी थी कि बच्ची शायद जिंदा हो। गुड़गांव के एक अस्पताल ने बच्ची को मृत घोषित कर दिया। महिला अपनी मृत बच्ची को गोद में लिए हुए मेट्रो के जरिये दिल्ली के एम्स अस्पताल पहुंची। जब एम्स में भी डॉक्टरों ने बच्ची की मौत की पुष्टि कर दी, तब वह वापस मेट्रो ट्रेन से ही गुड़गांव लौट गई।
जेवर कांड ने लोगों को हिलाया
25 मई 2017 को जेवर-बुलंदशहर रोड पर जो वाकया हुआ उसने सिर्फ दिल्ली और यूपी ही नहीं बल्कि पूरे देश को हिलाकर रख दिया, जब लोगों ने यह ख़बर सुनी कि यहां पर चार महिलाओं के साथ छह लोगों ने गैंगरेप की वारदात और लूटपाट को अंजाम दिया। इस घटना का विरोध करने पर एक शख्स को गोलियों से भूनकर उसकी हत्या कर दी गई।
बुलंदशहर कांड: मां और नाबालिग बेटी से रेप
बुलंदशहर कांड भी लोगों के सामने कम चौंकानेवाली घटना नहीं थी जब 29-30 जुलाई 2016 की रात को एक महिला और उसकी नाबालिग बेटी के साथ उस वक़्त बलात्कार की वारदात को अंजाम दिया गया, जब वे सभी परिवार के एक सदस्य की मौत के चलते शाहजहांपुर जा रहे थे। इस मामले ने ऐसा तूल पकड़ा कि तत्कालीन समाजवादी पार्टी सरकार की काफी किरकिरी हुई थी।
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दिल्ली-एनसीआर में कब सुरक्षित होंगी महिलाएं?
अब सवाल ये उठता है कि राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के लगते इलाके क्यों महिलाओं के लिए महफूज नहीं हैं? आखिर यहां पर कितनी सुरक्षित हैं महिलाएं? इस बारे में Jagran.com से ख़ास बातचीत करते हुए दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष बरखा सिंह ने बताया कि आज इस दिशा में काफी काम किए जाने की जरूरत है। बरखा सिंह ने कहा, महिला सुरक्षा के मुद्दे पर सरकारों को सख़्त होना होगा और जागरुकता अभियान चलाना होगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए न ही प्रधानमंत्री कुछ कर सकते हैं और न ही किसी राज्य का कोई मुख्यमंत्री।
समाज ले अपनी जिम्मेदारी- बरखा सिंह
बरखा सिंह का मानना है कि आज महिलाओं के खिलाफ हो रहे ऐसे अपराध के लिए खुद समाज को जिम्मेदार होना होगा और इसे गंभीरता से लेना होगा। इसके साथ ही जागरुकता की पहल एनजीओ के जरिए भी करनी होगी। इसके लिए उन्होंने कुछ उपाय भी सुझाए हैं जैसे हर मोहल्ले या कॉलोनी से छह छह लोगों की कमेटी बने और इसमें समाज के बुजुर्ग लोगों की भागीदारी बढ़े।
सिर्फ कानून बनाने से नहीं सुधरेगी स्थिति
बरखा सिंह का मानना है कि आज देश में महिला सुधार को लेकर कई तरह के कानून बनाए गए हैं, उसके बावजूद महिला विरोधी अपराध में किसी तरह की कोई कमी नहीं आ रही है। ऐसे में जरूरत इस बात की है कि लोगों को ज्यादा से ज्यादा शिक्षित किया जाए। उन्होंने बताया कि आज जो इलाके अशिक्षित हैं या फिर जहां पर जागरुकता की कमी है, वहां पर ऐसे अपराध हो रहे हैं। इसलिए, किसी एक घटना में एक शाम मोमबत्ती जलाने से कुछ नहीं होगा, बल्कि इस ओर खास पहल करने की जरूरत है।
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