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आप की कलहगाथा का नया चैप्टर, क्या कुमार 'विश्वास' के लायक नहीं ?

आप पार्टी के सियासत का अंदाज सीधा था। लेकिन हकीकत ये है कि अपनों में ही संग्राम जारी है। अब लोग पूछ रहे हैं कि आप पार्टी का असली खलनायक कौन है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Wed, 14 Jun 2017 02:50 PM (IST)Updated: Wed, 14 Jun 2017 04:33 PM (IST)
आप की कलहगाथा का नया चैप्टर, क्या कुमार 'विश्वास' के लायक नहीं ?
आप की कलहगाथा का नया चैप्टर, क्या कुमार 'विश्वास' के लायक नहीं ?

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । भारतीय राजनीति के 71 साल के सफर में न जानें कितनी पार्टियों का उदय और अवसान हुआ। नेता, पार्टियां और राजनीति अपनी चाल चलती रही। तमाम सारी खामियों के साथ विकास के रास्ते पर देश दौड़ रहा था। उम्मीदें कभी टूटती थीं तो उम्मीदें कभी जगती भी थीं। मौजूदा व्यवस्था से निराश हो चुकी जनता को अरविंद केजरीवाल और उनकी टीम में उम्मीद दिखी। दिल्ली के जंतर मंतर और रामलीला मैदान से अरविंद और उनकी टीम जब तत्कालीन यूपीए सरकार को चुनौती दे रही थी, तो ऐसा लगा कि वो मौजूदा व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव ला देंगे। भारी जनसमर्थन से अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आप पार्टी दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई। लेकिन जिस तरह से पार्टी के अंदर कलह मची है वो एक सवाल करती है कि क्या टीम केजरीवाल भी दूसरे नेताओं की ही तरह है। आप के नेता बडे़ बड़े दावे करते हैं लेकिन दिलीप पांडे और कुमार के बीच की तकरार कुछ और ही कहानी कह रही है। इन सबके बीच पार्टी के विधायक कपिल मिश्रा अपनी ही सरकार के खिलाफ हर घर जाकर पोल खोल अभियान चलाने का ऐलान कर चुके हैं। आइए आपको बताते हैं कि कुमार विश्वास और दिलीप पांडे प्रकरण क्या है। 

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कुमार विश्वास-दिलीप पांडे विवाद

ये पूरा मामला तब शुरू हुआ जब आप के कद्दावर नेता कुमार विश्वास ने एक टीवी साक्षात्कार में कहा कि वो राजस्थान में राज्य सरकार की जनविरोधी नीतियों की जमकर मुखालफत करेंगे। लेकिन वसुंधरा राजे सिंधिया पर किसी तरह की व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं करेंगे। कुमार के इस बयान के बाद आप के कद्दावर नेता दिलीप पांडे ने कहा कि क्यों भइया क्या आप केवल कांग्रेसियों के खिलाफ बोलेंगे या वसुंधरा राजे सिंधिया के बारे में भी बोलेंगे।

दरअसल कुमार विश्वास ने सेना प्रमुख के बारे में कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित के बयान पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि ये तो कांग्रेस की संस्कृति रही है।

कुमार विश्वास और दिलीप पांडे प्रकरण पर कपिल मिश्रा ने ट्वीट कर कहा कि एक न एक दिन अंत:पुर के दरबारी कुमार विश्वास को भाजपा का एजेंट घोषित कर देंगे।

जब कुमार थे नाराज

बताया जाता है कि पंजाब और गोवा चुनाव में खुद को हासिये पर रखे जाने से कुमार विश्वास नाराज थे। दोनों राज्यों की विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद जब आप के कद्दावर नेताओं ने इवीएम को दोष देना शुरू किया उस समय कुमार विश्वास को पार्टी के नेताओं पर हमला करने का मौका मिला। लेकिन कुमार के विरोध के सुर को तब बल मिला जब आप की दिल्ली के नगर निगम चुनाव में कड़ी हार का सामना करना पड़ा।

कुमार, निगम चुनाव और इवीएम

निगम चुनाव में हार के बाद पार्टी के कद्दावर नेता और मंत्री गोपाल राय मीडिया के सामने आए और पहले की तरह हार का ठीकरा इवीएम पर फोड़ दिया। उसी दिन दोपहर के वक्त उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने कहा कि उनकी पार्टी लोगों के दिलों पर राज करती है। लेकिन इवीएम की वजह से चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। हालांकि इस दफा आप के ही कुछ नेताओं जिनमें अल्का लांबा के साथ साथ कुमार विश्वास भी शामिल थे उन लोगों ने साफ तौर पर कहा कि हार के लिए हमें इवीएम को दोष देने की जगह आत्म परीक्षण करने की जरूरत है।

'क्या इवीएम सिर्फ बहाना था'

जानकारों का कहना है कि इवीएम तो महज बहाना था। दरअसल पार्टी के अंदर वर्चस्व की लड़ाई चल रही थी। विधायक अमानतुल्लाह के जरिए कुमार विश्वास को हासिए पर लाए जाने की कोशिश चल रही थी। कुमार को भी उचित मौके की तलाश थी। दिल्ली नगर निगम में आप की करारी हार में विश्वास को अपने लिए उम्मीद नजर आई और वो पार्टी के कद्दावर नेताओं पर हमलावर हो गए।

निगम चुनावों में करारी हार के बाद पार्टी बैकफुट पर थी। जनता के बीच अपनी लानत मलानत से बचने के लिए कद्दावर नेताओं ने सुलह का रास्ता अपनाया। कुमार को खुश करने के लिए विधायक अमानतुल्लाह को पार्टी से निलंबित कर दिया गया और कुमार को राजस्थान जैसे महत्वपूर्ण राज्य का प्रभार दिया गया।


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