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आजादी के 70 साल: तरक्की के चेहरे पर जब लग गए कुछ दाग

इसमें दो मत नहीं कि देश तरक्की की राह पर सरपट दौड़ रहा है। लेकिन समय समय पर कुछ ऐसे मामले सामने आते रहे जिसकी वजह से विकास की रफ्तार पर ब्रेक लगी।

By Lalit RaiEdited By: Published: Thu, 10 Aug 2017 11:41 AM (IST)Updated: Sat, 12 Aug 2017 01:47 PM (IST)
आजादी के 70 साल: तरक्की के चेहरे पर जब लग गए कुछ दाग
आजादी के 70 साल: तरक्की के चेहरे पर जब लग गए कुछ दाग

नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] ।  करीब 200 वर्ष की गुलामी के बाद 15 अगस्त 1947 को वो दिन आया, जब देश खुली हवा में सांस ले रहा था। देश के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू ने अपने पहले संबोधन में कहा कि हमें उन सभी बंधनों को तोड़कर आगे बढ़ना है, जिसकी वजह से महान भारत गुलामी की बेड़ियों से जकड़ा हुआ था। 1947 से 2017 तक भारतीय लोकतंत्र का सफर जहां भारत की ताकत को दिखाता है, तो वहीं कुछ ऐसे दाग भी लगे जो सोचने को मजबूर करता है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ। देश की आजादी से लेकर अब तक घोटालों की लंबी कहानी है। लेकिन हम कुछ ऐसे दागों (घोटालों) की चर्चा करेंगे जो देश को शर्मसार करती है।

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कोयला घोटाला

इस घोटाले में कोयले का गलत तरीके से आवंटन हुआ था. बिना किसी बोली-प्रक्रिया के कोयले के ब्लॉक की नीलामी की गई जिससे 1.86 लाख करोड़ का नुक्सान हुआ। मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के समय यह घोटाला हुआ था।

2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला

2जी स्पेक्ट्रम घोटाला बहुत बड़ा था। इसमें यूनिफाइड एक्सेस सर्विस लाइसेंस का आबंटन हुआ था। इस घोटाले से 1.76 लाख करोड़ का नुकसान हुआ बताया जाता है। 2जी घोटाला कोयला घोटाले से 5 वर्ष पहले हुआ था जब भारत मंदी के दौर से गुजर रहा था। अब भी इस घोटाले को ले कर कई लोगों के ऊपर अदालती कार्यवाही चल रही है।

वक्फ बोर्ड लैंड घोटाला

इस घोटाले में कर्नाटक की वक्फ बोर्ड के अधीन जमीन को गलत तरीके से आवंटन किया गया। वक्फ बोर्ड एक मुस्लिम चैरिटेबल ट्रस्ट है जो गरीब मुसलमानों की मदद के लिए बनी थी। एक रिपोर्ट में पता चला है कि लगभग 50 फीसद जमीन गलत तरीके से सरकारी काम करने वालों ने ले ली। इससे से 1.5 से 2 लाख करोड़ का नुक्सान हुआ।

 कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला

कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला भारत के इतिहास में एक और बड़ा घोटाला था। अंदाजा था कि 70,000 करोड़ कॉमनवेल्थ की गेम्स में लगना था। लेकिन इसका 50 फीसद ही खेलों और उससे सम्बंधित गतिविधिओं में खर्च हुआ। यह घोटाला एक तरह की सीधी लूट थी। पैसा उन लोगों को दिया गया जो असल में थे ही नहीं। मशीनों को तय मूल्यों से दोगुनी कीमत में खरीदी दिखाया गया।

तेलगी स्टैंप घोटाला

तेलगी घोटाले में वह सब कुछ था जो इसको सबसे अलग बनाता है। अब्दुल करीम तेलगी नाम के शख्स ने नकली टिकट पेपर बनाने में महारत हासिल की थी। इसने नकली स्टाम्प पेपर को बैंकों को और कई संस्थाओं को बेचा। उसकी नकली स्टाम्प पेपर्स का कारोबार भारत के 12 राज्यों में फैला दिया था। आकलन के अनुसार नकली स्टैम्प्स की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को 20,000 करोड़ का नुक्सान हुआ।

सत्यम घोटाला

सत्यम घोटाला भारत के कॉर्पोरेट्स जगत में सबसे बड़ा घोटाला था जिसमें 14000 करोड़ का नुकसान हुआ। सत्यम के चेयरमैन रामालिंगा राजू ने सब को अंधेरे में रखा। इस घोटाले ने उन निवेशकों को हिला के रख दिया जिन्होंने सत्यम कम्पनी में निवेश किया था। बाद में टेक महिंद्रा ने सत्यम कंपनी को खरीद लिया।

बोफोर्स तोप घोटाला

बोफोर्स तोप घोटाला 1980 और 1990 के दशक में हुआ। स्वीडन की बोफोर्स एबी कम्पनी ने भारत को 155 एमएम होवित्जर तोप सौदे के लिए राजनेताओं को रिश्वत दी। इस घोटाले में 1 करोड़ 60 लाख डॉलर की रिश्वत कथित तौर पर सत्तासीन कांग्रेसी नेताओं और राजीव गांधी को दी गई।

 चारा घोटाला

1996 के चारा घोटाले में 900 करोड़ का नुक्सान हुआ जो की उस समय में बहुत बड़ी रकम थी। इसके घोटाले में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव मुख्य आरोपी है। पक्के सबूत मिलने के बाद जिन्हें हिरासत में लिया गया था परन्तु बाद में जमानत पर छोड़ दिया गया। ये  मामला रांची की अदालत में चल रहा है। 

 हवाला स्कैंडल

हवाला स्कैंडल 1996 में जनता के सामने आया। इसमे उन लोगों के नाम सामने आए जो सरकार को चला रहे थे। कई नेताओं पर आरोप लगा कि वो हवाला के दलालों से रिश्वत ले रहे थे। इस घोटाले में भाजपा के कद्दावर नेता लालकृष्ण आडवाणी का भी नाम सामने आया । लालकृष्ण आडवाणी से सांसद पद से इस्तीफा दे दिया और कहा कि जब तक वो बेदाग साबित नहीं होंगे चुनाव नहीं लड़ेंगे। 

 स्टॉक मार्केट घोटाला

4000 करोड़ के स्टॉक मार्केट घोटाले को निवेशक कभी नहीं भुल सकते कि कैसे शेयर दलाल हर्षद मेहता ने उनके पैसे डूबा दिए। एक दूसरे शेयर दलाल सीआर भंसाली ने 1200 करोड़ एफडी, म्यूचुअल फंड के माध्यम से जनता से उगाहे और शेल फर्मों के माध्यम से डिबेंचर और व्यक्तिगत लाभ के लिए उन्हें शेयरों में निवेश कर दिया। ऐसे ही एक और शेयर दलाल केतन पारेख ने शेयरों की कीमतों में हेरफेर करने के लिए बैंकों से उधार के पैसे के माध्यम से चयनित शेयरों में सर्कुलर ट्रेडिंग की जिससे 900 करोड़ का घाटा हुआ।
 


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