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पूरी दुनिया के सामने घिनौना मजाक, आतंकवादी मुल्‍क को ही बनाया शांतिवार्ता का मध्‍यस्‍थ!

यह पूरी दुनिया के लिए किसी घिनौने मजाक से कम नहीं है कि आतंकी देश होने के बावजूद पाकिस्‍तान को अफगानिस्‍तान के लिए चल रही शांतिवार्ता में मध्‍यस्‍थ की भूमिका दी गई है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 18 Feb 2019 12:34 PM (IST)Updated: Tue, 19 Feb 2019 11:31 AM (IST)
पूरी दुनिया के सामने घिनौना मजाक, आतंकवादी मुल्‍क को ही बनाया शांतिवार्ता का मध्‍यस्‍थ!
पूरी दुनिया के सामने घिनौना मजाक, आतंकवादी मुल्‍क को ही बनाया शांतिवार्ता का मध्‍यस्‍थ!

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत में लगातार पाकिस्‍तान को सबक सिखाने की आवाज उठ रही है। सरकार भी इस बारे में काफी संजीदा है। यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बारे में खुद कह चुके हैं कि जवानों की शहादत बेकार नहीं जाएगी। भारतीय फौज इसका ऐसा बदला लेगी कि पाकिस्‍तान उसको कभी भूल नहीं सकेगा। हालांकि आपको बता दें कि जब सितंबर 2016 में आतंकियों ने उरी हमले को अंजाम दिया था, उसके बाद पाकिस्‍तान में की गई सर्जिकल स्‍ट्राइक में काफी लंबा समय लगा था। लिहाजा पुलवामा हमले के बाद भारत के पास सर्जिकल स्‍ट्राइक के अलावा और कौन से विकल्‍प हैं जिनसे पाकिस्‍तान को घुटनों पर टिकाया जा सकता है, इन पर विचार कर लेना भी जरूरी है। आपको इससे पहले ये भी बता दें कि कुछ दिन पहले हुई सीसीएस की अहम बैठक में सेना को खुली छूट देने और पाकिस्‍तान से मोस्‍ट फेवर्ड नेशन का दर्जा छीन लिया गया है।

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ऐसे घुटने टेकेगा पाकिस्‍तान
इस मुद्दे पर दैनिक जागरण ने विदेश मामलों के जानकार कमर आगा से बात की। उनके मुताबिक सरकार साफ कर चुकी है कि इस हमले का जवाब रक्षा मंत्रालय और सेना मिलकर तैयार करेगी। समय और जगह को लेकर आखिरी फैसला सेना का ही होगा। यह सर्जिकल स्‍ट्राइक की ही तरह होगी जिसका प्‍लान पूरी तरह से सीक्रेट रहेगा। उनका कहना है कि पाकिस्‍तान बार-बार इस तरह के हमलों को अंजाम देता आया है, लिहाजा यह वक्‍त ऐसे कदम उठाने का है जिससे वह हर तरह से घुटने पर टिक जाए। यहां पर आपको बता दें कि भारत पहले इस बात की कोशिश कर रहा था कि संयुक्‍त राष्‍ट्र के जरिए आतंकवाद के मद्देनजर पाकिस्‍तान पर कुछ आर्थिक प्रतिबंध लग सकें। इसमें हम काफी हद तक कामयाब भी हुए। अमेरिका ने पाकिस्‍तान को आर्थिक सहायता देने से अपने हाथ पीछे कर लिए। वहीं दूसरी तरफ पाकिस्‍तान का नाम अंतरराष्‍ट्रीय संस्‍था एफएटीएफ की ग्रे लिस्‍ट में भी शामिल किया गया। इसके बाद भी इसका फायदा भारत को उतना नहीं मिला जितना होना चाहिए था।

पाकिस्‍तान को मध्‍यस्‍थ की भूमिका
आगा मानते हैं कि हाल ही में पाकिस्‍तान को अमेरिका ने अफगानिस्‍तान में एक बड़ी भूमिका दे दी है। ये भूमिका अफगानिस्‍तान में शांति बहाल करने के मुद्दे पर अमेरिका, अफगानिस्‍तान और तालिबान के बीच मध्‍यस्‍थ की है। यह पूरी दुनिया के लिए एक घिनौना मजाक ही है कि एक आतंकी देश को शांतिवार्ता का मध्‍यस्‍थ बनाया गया है। इस भूमिका के बाद वहां की सरकार और सेना काफी बोल्‍ड हो गई है। पाकिस्‍तान अब अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर इस भूमिका को भुना रहा है। लिहाजा भारत का अब ये सोचना कि संयुक्‍त राष्‍ट्र की कांफ्रेंस में पाकिस्‍तान को आतंकवादी राष्‍ट्र घोषित करने में हम सफल हो जाएंगे यह सोचना गलत होगा। लिहाजा यहां पर कुछ दूसरे उपायों पर भारत को गौर करना होगा।

रीजनल एलाइंस बनाना जरूरी
इसके लिए जरूरी है भारत उन देशों से संपर्क बढ़ाए जो देश आतंकवाद और पाकिस्‍तान से पीडि़त हैं। इनमें श्रीलंका, म्‍यांमार, बांग्‍लादेश, नेपाल, मालदीव के अलावा मध्‍य एशिया के कई देश शामिल हैं। आपको बता दें कि मालदीव की नई सरकार अपने यहां पर पनप रहे धार्मिक कट्टरवाद और आतंवादी गतिविधियों से परेशान है।भारत को चाहिए कि इन देशों का एक गठबंधन बनाए और पाकिस्‍तान की कारगुजारियों को अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर उजागर करे। ये सभी देश एक मंच पर आकर पाकिस्‍तान के खिलाफ साझा रणनीति पर काम करें। यहां पर ये साफ कर दें कि यह अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर आतंकवाद के खात्‍मे के लिए चलाए जा रहे गठबंधन से अलग होगा। 

बनानी होगी लॉन्‍ग टर्म पॉलिसी
पाकिस्‍तान को सबक सिखाने के लिए भारत को अल्‍पाविधि की जगह लॉन्‍ग टर्म पॉलिसी बनानी होगी। भारत को चाहिए कि पाकिस्‍तान के अंदर फ्री बलूचिस्‍तान की मांग का समर्थन करे और इसको अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर भी उठाए। आपको यहां पर बता दें कि काफी लंबे समय से बलूचिस्‍तान में यह मांग उठती रही है। इतना ही नहीं कई जगहों पर इसको लेकर प्रदर्शन भी किए गए हैं। बलूचिस्‍तान और सिंध के लोग लगातार पाकिस्‍तान की नीतियों और सेना की दमनकारी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाते रहे हैं। भारत को इसी आवाज को अब हवा देनी चाहिए। सिंध में जीवे सिंध आंदोलन फिर से जोर पकड़ रहा है। पाकिस्‍तान के खिलाफ बनाए गए रीजनल एलाइंस को भी इसका समर्थन करना होगा। यह पाकिस्‍तान को कहीं न कहीं कमजोर जरूर करेगा।

तालिबान को आने से रोकना होगा 
एक जरूरी उपाय के तहत भारत को चाहिए कि अफगानिस्‍तान में तालिबान हुकूमत को दोबारा आने से रोकना चाहिए। यहां पर आपको बताना जरूरी होगा कि अमेरिका अफगानिस्‍तान से अपनी फौज को बाहर निकालने की बात कर चुका है। इसके लिए अब वह तालिबान से शांतिवार्ता तक कर रहा है। इसको लेकर अफगानिस्‍तान की सरकार और वहां की महिलाएं काफी सहमी हुई हैं। तालिबान की हुकूमत ने अफगानिस्‍तान को काफी हद तक बर्बाद किया है और उनके दौर में वहां के लोगों ने सबसे बुरे दौर को जिया है। तालिबान का अफगानिस्‍तान में दोबारा आना भारत के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। भारत को चाहिए कि अफगानिस्‍तान की सेना को अपनी सुरक्षा करने की ट्रेनिंग दें और उन्‍हें सुरक्षा के लिए जरूरी चीजें भी मुहैया करवाएं। भारत को चाहिए कि इन सभी देशों के अलावा दूसरे देशों में भी अपने विशेष राजदूत भेजें जो ये बताएं कि तालिबान का यहां पर आना पूरे विश्‍व के लिए बड़ा खतरा है। यहां पर एक बात को भी ध्‍यान रखना होगा कि भारत को लेकर यूरोप में काफी देश समर्थन में हैं लेकिन अमेरिका से उम्‍मीद रखना सही नहीं होगा।

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