इकलाख के घर बीफ की पुष्टि के बाद बिसाहड़ा में आंदोलन की नींव
लंबे अरसे तक बिसाहड़ा कांड सुर्खियों में रहा। अंतत: उसी कांड को लेकर मथुरा की फॉरेंसिक लैब रिपोर्ट ने बड़ा रहस्योद्घाटन कर दिया। पुष्टि कर दी कि इकलाख के घर से बरामद मांस गौमांस ही था।
लखनऊ। ग्रेटर नोएडा के जिस बिसाहड़ा कांड को लेकर देश में असहिष्णुता-असहिष्णुता को लेकर लंबे अरसे तक गर्मागर्म बहस छिड़ी रही। लंबे अरसे तक देश-विदेश तक मामला सुर्खियों में रहा। नेताओं के बीच जमकर विष बुझे तीर चले। अंतत: उसी कांड को लेकर मथुरा की फॉरेंसिक लैब रिपोर्ट ने बड़ा रहस्योद्घाटन कर दिया। पुष्टि कर दी कि इकलाख के घर से बरामद गौवंशीय मांस (बीफ) ही था। इसी के साथ आज बिसाहड़ा में एक नए आंदोलन की नींव पड़ गई है। भाजपा और अन्य हिंदू संगठनों ने नेताओं ने कहा कि मामले में एकतरफा कार्रवाई की गई । अब अखिलेश सरकार को इकलाख पक्ष के लोगों पर मुकदमा दर्ज कर सहायता राशि वापस लेनी चाहिए।
बिसाहड़ा में गोहत्या के बाद हत्या
तीन अक्टूबर 2015 को यह रिपोर्ट मथुरा की फॉरेंसिक लैब में तैयार की गई थी। लैब के सहायक निदेशक द्वारा तैयार रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में जिला प्रशासन को भेज दी गई थी। कोर्ट के आदेश पर पुलिस ने बंद लिफाफे में यह रिपोर्ट कोर्ट में जमा कर दी थी। अब बचाव पक्ष के अधिवक्ता रामशरण नागर, डीआर शर्मा और राजीव त्यागी ने नकल विभाग से नियमानुसार यह रिपोर्ट हासिल की तो पता चला कि रिपोर्ट में सहायक निदेशक ने गौमांस की पुष्टि की है। उल्लेखनीय है कि 28 सितंबर 2015 की रात दादरी के बिसाहड़ा गांव में गोहत्या की सूचना पर भीड़ ने कानून व्यवस्था को ताक पर रखकर इकलाख की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी और उसके बेटे दानिश को पीट-पीट कर अधमरा कर दिया गया था। इकलाख के घर से मिले मांस को दादरी स्थित वेटनरी अस्पताल के उप मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी की ओर से मथुरा की फॉरेंसिक लैब भेजा गया था। 29 सितंबर 2015 को भेजे गए मांस के नमूने की रिपोर्ट तीन अक्टबूर 2015 को तैयार कर ली गई थी। रिपोर्ट में गौमांस की पुष्टि शुरू में ही कर दी गई थी। लेकिन जिले के वेटनरी विभाग ने लोगों को गुमराह किया था। जिले के वेटनरी विभाग ने घटना के बाद मांस देखकर आशंका जताई थी कि यह बकरे का है, जबकि मथुरा लैब की फोरेंसिक रिपोर्ट से सारी स्थिति साफ हो गई है। रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद ग्रामीण इकलाख पक्ष पर मुकदमा दर्ज करने की मांग कर रहे हैं।
सरकार वापस ले सहायता राशि
इकलाख के घर गौवंशीय मांस की पुष्टि के बिसाहड़ा गांव के लोगों ने एलान किया है कि यदि सरकार इकलाख के परिवार को दी गई सहायता राशि वापस नहीं लेती है, तो आंदोलन किया जाएगा। कोर्ट के माध्यम से ग्रामीण इकलाख के परिवार पर गौवंश हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराने की मांग करेंगे। इस संबंध में आज गौतमबुद्ध नगर जिला न्यायालय में अर्जी डाली जाएगी। जेल में बंद युवकों के परिजन का यह भी कहना है कि घटना के बाद गोहत्या की रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए वे जिले के प्रत्येक अधिकारी के आगे-पीछे घूमे थे, लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई थी। उल्लेखनीय है कि 28 सितंबर की रात की घटना के बाद पहले चरण में 10 युवकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। इसके बाद इकलाख के बेटे दानिश और बेटी शाहिस्ता के बयान के आधार पर नौ अन्य नाम सामने आए। कुल 19 लोगों के खिलाफ इकलाख की हत्या की रिपोर्ट दर्ज हुई। पुलिस जांच में एक आरोपी को क्लीन चिट दे दी गई। मामले में एक नाबालिग आरोपी को पिछले सप्ताह हाईकोर्ट से जमानत मिली है। जबकि 17 आरोपी अभी भी जेल में बंद हैं। बिसाहड़ा कांड मामले में सार्वजनिक हुई मथुरा लैब की फॉरेंसिक रिपोर्ट इकलाख पक्ष के लोगों के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है।
बिसाहड़ा गांव में फोर्स तैनात
एहतियात के तौर पर बिसाहड़ा गांव में पुलिस और पीएसी तैनात कर दी गई है। हालांकि बिसाहड़ा गांव के लोगों ने समझदारी का परिचय देते हुए किसी भी तरह से कानून हाथ में लेने की बात से इन्कार किया है। सचिन, विवेक, रूपेंद्र, गौरव, सौरव, श्रीओम, हरिओम, विशाल, शिवम, संदीप, अरूण, चंद्रपाल, पुनीत, विनय, रॉबिन, भीम व दो नाबालिग । प्रदेश अध्यक्ष गऊ रक्षा हिंदू दल वेद नागर ने कहा कि प्रदेश सरकार को अब स्वयं मामले में संज्ञान लेते हुए इकलाख पक्ष के लोगों पर मुकदमा दर्ज करना चाहिए और सहायता राशि वापस लेनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है तो आंदोलन शुरू किया जाएगा। भाजपा विधायक संगीत सोम ने कहा कि अब अखिलेश सरकार को न्याय करते हुए इकलाख पक्ष के लोगों पर मुकदमा दर्ज करना चाहिए और सहायता राशि वापस लेनी चाहिए। साध्वी प्राची नेता ने कहा कि प्रदेश सरकार ने शुरू से मामले में एकतरफा कार्रवाई की है। मामले में अब इकलाख पक्ष के लोगों पर मुकदमा कायम होना चाहिए।
सीएम तक को लिखा पत्र
बिसाहड़ा कांड मामले में जेल में बंद विशाल के पिता संजय राणा ने बताया कि 28 सितंबर के बाद दस दिन वह तहरीर लेकर जिले के आलाधिकारियों के पीछे-पीछे घूमे थे, मुख्यमंत्री को भी लिखा था, लेकिन किसी ने नहीं सुनी।अभियोजन पक्ष ने बिसाहड़ा कांड के मामले में मथुरा लैब की फॉरेंसिक रिपोर्ट केस में शामिल करने से इन्कार कर दिया है। पुलिस की तरफ से कोर्ट में दाखिल की गई चार्जशीट में भी कहीं गौ हत्या का जिक्र नहीं है। इसी वजह से बचाव पक्ष के लोग शुरू से मांग कर रहे थे कि इकलाख के घर मिले मांस की रिपोर्ट सार्वजनिक होनी चाहिए।
कब क्या-क्या हुआ
- 28 सितंबर 2015 : बिसाहड़ा गांव में इकलाख की पीट-पीट कर हत्या
- 29 सितंबर : ऊंचा अमीरपुर में पुलिस और ग्रामीणों के बीच पथराव, फायरिग, एनटीपीसी में हुई वार्ता
- 30 सितंबर : इकलाख के परिवार ने गांव छोडऩे का लिया फैसला
- 02 अक्टूबर : सांसद असदउद्दीन ओवैसी पहुंचे इकलाख के घर
- 02 अक्टूबर : देर रात मंदिर पर विश्व हिंदू परिषद की सभा
- 03 अक्टूबर : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के राहुल इकलाख के घर पहुंचे
- 03 अक्टूबर : रात नौ बजे की फ्लाइट से इकलाख के परिवार को लेकर लखनऊ गए आशु मलिक
- 04 अक्टूबर : भाजपा विधायक सोम पहुंचे बिसाहड़ा गांव, की सभा, प्रशासन को दी चेतावनी
- 04 अक्टूबर : प्रदेश सरकार ने इकलाख के परिजन को 45 लाख देने का किया एलान
- 05 अक्टूबर : हिंदू रक्षा दल के खिलाफ एफआइआर दर्ज
- 06 अक्टूबर : बिसाहड़ा गांव के युवक जयप्रकाश ने की आत्महत्या, पुलिस पर दबिश का लगा आरोप
- 06 अक्टूबर : एलआइयू ने दी बिसाहड़ा कांड की रिपोर्ट
- 07 अक्टूबर : साध्वी प्राची पहुंचीं बिसाहड़ा गांव, अंदर जाने से रोका गया
- 10 अक्टूबर : इकलाख के तीन भाइयों को मिले पांच-पांच लाख के चेक
- 14 अक्टूबर : इकलाख के परिवार ने छोड़ा बिसाहड़ा गांव
- 30 अक्टूबर : हिंदू युवा वाहिनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज
- 26 नवंबर : इकलाख की बेटी ने दर्ज कराए बयान
- 05 दिसंबर : इकलाख के बेटे दानिश ने दर्ज कराए बयान
- 09 दिसंबर : सीबीआइ जांच की मांग को लेकर हाईकोर्ट गए ग्रामीण
- 11 दिसंबर : पुलिस की जांच में नौ नाम बयान के आधार पर शामिल
- 23 दिसंबर : कोर्ट में दायर हुई बिसाहड़ा कांड की चार्जशीट
बिसाहड़ा में सियासतदानों ने सेंकी थीं जमकर रोटियां
गौतमबुद्ध नगर का बिसाहड़ा गांव 29 सितंबर को अचानक देश भर में सुर्खियों में आ गया था। गौहत्या की सूचना पर गांव के युवकों ने एक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी, इसके बाद देश की राजनीति में भूचाल आ गया था। नेताओं ने भी खूब राजनीतिक रोटी सेंकी थी। उनके लिए बिसाहड़ा गांव सियासी शतरंज बना गया था। बड़े-बड़े राजनेता वहौं सियासी चालें चलने पहुंचे। बिहार चुनाव में बिसाहड़ा बड़ा मुद्दा बन गया। मतों को ध्रुवीकरण करने में सियासतदान सफल हो गए। इसे असहिष्णुता बताकर बुद्धजीवियों ने देश को ही कठघरे में खड़ा कर दिया था। सम्मान व पुरस्कार तक लौटाए गए। ज्ञात हो कि 28 सितंबर को दादरी के बिसाहड़ा गांव में गौ हत्या की सूचना पर उपद्रवियों ने इकलाख की पीट कर हत्या कर दी थी। उनके बेटे दानिश को गंभीर घायल कर दिया था। राजनीतिक दलों ने अपनी फसल तैयार करने के लिए इसे दो संप्रदाय के बीच घटना का रंग दिया और रातों रात बिसाहड़ा देश में एक बड़ा मुद्दा बनकर छा गया। किसी के लिए गाय अहम हो गई तो किसी के लिए अपने संप्रदाय के एक व्यक्ति की हत्या बड़ा मुद्दा बन गया। देश के लगभग सभी राजनीतिक दलों के लाल बत्ती की गाडिय़ां बिसाहड़ा का रुख कर गईं। कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, असदउद्दीन ओवैसी, नसीमुद्दीन सिद्दकी, संगीत सोम, केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा, आशु मलिक ने बिसाहड़ा पहुंचकर एक पक्ष के आंसू पोंछे, दूसरे पक्ष को कोसने में कोई कोताही नहीं की। प्रदेश सरकार ने दूसरों को मात देने के लिए इकलाख के परिवार को मदद के लिए सरकारी खजाने का मुंह खोल दिया। लाखों की मदद के साथ तीन मकान दिए। दिल्ली से सटे बिसाहड़ा से राजनीतिक दलों ने बिहार का चुनावी मंच तैयार कर दिया और मतों का धुव्रीकरण कर वोट की फसल काटने में सफल रहे। अब फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद बिसाहड़ा एक बार फिर सियासत का मैदान बन सकता है। सूबे में अगले साल विधानसभा चुनाव होना है। यह मुद्दा उनके लिए वोट की उपजाऊ जमीन साबित हो सकता है।
इसी से बना था असहिष्णुता का मुद्दा
गौवंश मांस को लेकर बिसाहड़ा में ग्रामीणों द्वारा इकलाख की पीट-पीट कर हत्या के बाद राष्ट्रीय स्तर पर असहिष्णुता का मुद्दा गर्माया था। केंद्र में विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद देश में असहिष्णुता का माहौल बन गया है। बुद्धिजीवियों और लेखकों ने साहित्य अकादमी के साथ ही अन्य संस्थाओं से मिले सम्मान लौटाना शुरू कर दिया था, जिसकी शुरुआत साहित्य अकादमी अवार्ड से सम्मानित अशोक वाजपेयी ने की थी। इसके बाद तो जैसे अवार्ड वापस करने की झड़ी लग गई और देशभर से विभिन्न भाषाओं में अलग-अलग अवार्ड पाए लेखकों और कवियों ने सम्मान वापस करना शुरू कर दिया। शायर मुनव्वर राणा ने तो एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम के दौरान अवार्ड और सम्मान राशि का चेक लौटा दिया था। सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा काफी हावी रहा।