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मिशन कंप्‍लीट: PSLV C-35 ने सफलतापूर्वक कक्षा में स्‍थापित किए सभी उपग्रह

अपने सबसे लंबे मिशन पर निकले PSLV C-35 ने प्रक्षेपण के महज दो घंटे 17 मिनट में SCATSAT-1 समेत सभी आठ सेटेलाइट अलग-अलग कक्षाओं में स्‍थापित कर दिया।

By Kamal VermaEdited By: Published: Sun, 25 Sep 2016 07:55 AM (IST)Updated: Mon, 26 Sep 2016 02:19 PM (IST)
मिशन कंप्‍लीट: PSLV C-35 ने सफलतापूर्वक कक्षा में स्‍थापित किए सभी उपग्रह

हैदराबाद (पीटीआई)। भारत के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी सी-35) ने तय समय करीब 2 घंटा 15 मिनट के बाद अपने साथ ले जाए गए सभी आठ सेटेलाइट को कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया है। यह पहला मौका था जब पीएसएलवी ने इन सेटेलाइट्स को अलग-अलग कक्षाओं में स्थापित किया है। अपने सबसे लंबे सफर के लिए पीएसएलवी ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस स्टेशन से सुबह करीब 9:12 मिनट पर उड़ान भरी थी। उड़ान के महज 17 मिनट बाद ही भारत के सेटेलाइट SCATSAT-1 को कक्षा में स्थापित भी कर दिया गया। इसको धरती से करीब 730 किमी ऊपर कक्षा में स्थापित किया गया। इसके बाद अन्य सभी सेटेलाइट लाॅन्चिंग के करीब 2 घंटे 13 मिनट बाद कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दी गईं। इसरो की इस कामयाबी पर प्रधाानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर बधाई दी है।

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आठ उपग्रहों को साथ लेकर गया पीएसएलवी

यह यान अपने साथ आठ उपग्रहों को लेकर गया था, जिसमें एक मौसम संबंधी और अन्य सात उपग्रह थे। पीएसएलवी के साथ भेजे जाने वाले पांच विदेशी उपग्रहों में अल्जीरिया के तीन उपग्रह थे। इसमें अल्जीरिया के अल्सैट-1 बी, अल्सैट-2 बी, अल्सैट-1 एन, कनाडा का 'एनएलएस-19' और अमेरिका का एक 'पाथफाइंडर' उपग्रह शामिल हैं। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मुताबिक इसके प्रक्षेपण की उल्टी गिनती शनिवार सुबह 8.42 बजे आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा रॉकेट प्रक्षेपण स्थल पर शुरू हुई थी।

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पीएसएलवी के साथ लॉन्च किए गए सेटेलाइट्स

अल्जीरिया का ALSAT-1B

अर्थ ऑब्जरवेशन सेटेलाइट है जो कृषि के साथ साथ मौसम और प्राकृतिक आपदाओं पर नजर रखने के लिए तैयार किया गया है। इसका वजन महज 103 किग्रा है।

ALSAT-2B (अल्जीरिया)

हाई रिजोल्यूशन रिमोट सेंसिंग सेटेलाइट है जो मल्टीस्पेक्ट्रल इमेज खींचने में कारगर है। इसका वजन महज 117 किग्रा है।

ALSAT-1N (अल्जीरिया)

अल्जीरियाई छात्रों द्वारा तैयार किया गया एक नैनोसेटेलाइट है। इसका वजन महज 7 किग्रा है।

SCATSAT-1 (भारत)

इस मौसम संबंधी सेटेलाइट का वजन करीब 320 किग्रा है।

Pratham (भारत)

आईआईटी बॉम्बे द्वारा बनाई गई यह सेटेलाइट का वजन महज 10 किग्रा है।

Pisat (भारत)

बेंगलुरू की पीईएस यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार की गई इस नेनोसेटेलाइट को रिमोट सेंसिंग के लिए तैयार किया गया है। इसका वजन महज 5.25 किग्रा है।

NLS-19 (Canada)

अंतिरक्ष का कचरा कम करने के मकसद से बनाई गए नेनोसेटेलाइट कमर्शियल एयरक्राफ्ट पर नजर रखने के लिए बनाई गई है। इसका वजन महज आठ किग्रा है।

Pathfinder-1 (USA)

अमेरिका द्वारा तैयार किया गया पूरी तरह से कमर्शियल सेटेेलाइट है। यह हाई रिजोल्यूशन इमेजिमंग माइ क्रोसेटेलाइट है जिसका वजन महज 44 किग्रा है।

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250 छात्रों का बनाया पीसेट भी होगा लॉन्च

पीएसएलवी के साथ भेजे जाने वाले दो अन्य भारतीय उपग्रहों में मुंबई की भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान द्वारा तैयार प्रथम (10 किलोग्राम) और पीईएस विश्वविद्यालय, बेंगलुरू का पीसेट भी शामिल है। इसको कई संस्थानों के छात्रों ने मिलकर बनाया है। यह प्रक्षेपण इन छात्रों के लिए भी बेहद खास रहा है।

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इन देशों के लिए पसंदीदा है ISRO

इसकी किफायती तकनीक के मुरीद 20 देश हैं जो अपने उपग्रह इससे प्रक्षेपित कराते हैं। अल्जीरिया, अर्जेंटिना, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इजराइल, इटली, जापान, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, स्विट्जरलैंड, तुर्की, ब्रिटेन और अमेरिका।

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