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एक साथ 20 सेटेलाइट लॉन्च, यूएस-रूस क्लब में भारत शामिल

इसरो ने आज एक साथ 20 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया। इसरो के इतिहास में यह पहला मौका है, जब एक साथ इतने उपग्रहों को प्रक्षेपित किया गया।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 22 Jun 2016 12:22 AM (IST)Updated: Wed, 22 Jun 2016 02:15 PM (IST)
एक साथ 20 सेटेलाइट लॉन्च, यूएस-रूस क्लब में भारत शामिल

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानि इसरो ने आज इतिहास रच दिया। चेन्नई से करीब 80 किलोमीटर दूर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से कार्टोसैट-2 मिशन के तहत पहली बार रिकॉर्ड 20 उपग्रहों का प्रक्षेपण किया। इसरो के इतिहास में यह पहला मौका है, जब एकसाथ इतने उपग्रहों को प्रक्षेपित किया गया। पीएम मोदी ने भारतीय अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को बधाई दी।

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ये सेटेलाइट पीएसएलवी सी34 के जरिये अंतरिक्ष में छोड़े गए। भारत के पृथ्वी निगरानी अंतरिक्ष यान कार्टोसैट-2 समेत 20 उपग्रहों को ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण वाहन पीएसएलवी-सी 34 आज सुबह 9 बजकर 26 मिनट पर उड़ान भरा। पीएसएलवी सी-34 के 20 सैटेलाइटों में से 17 सेटेलाइट दूसरे देशों के हैं। इसके अलावा दो सेटेलाइट देश के दो शिक्षा संस्थानों के हैं। इस लॉन्चिंग में एक सेटेलाइट कॉर्टोसैट 2 सीरीज का इसरो का अपना है।

एक साथ 20 सेेटेलाइट लॉन्च, जानें,कुछ खास बातें

इन सेटेलाइटों में स्काईसेट GEN 2-1 गूगल का सेटेलाइट है जिसको इमेजरी के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इसके अलावा इस लांचिंग में चेन्नई की एक निजी यूनिवर्सिटी का सत्यभामा सेटेलाइट और पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग का स्वयंम सैटेलाइट है। स्वयंम सेटेलाइट को हैम रेडियो के लिए इस्तेमाल किया जाएगा, वहीं सत्यभामा सेटेलाइट का इस्तेमाल वायुमंडल में होने वाले प्रदूषण के अध्ययन के लिए किया जाएगा।

कॉर्टोसैट-2 की खासियत

कॉर्टोसैट सेटेलाइट इसरो के अपने सेटेलाइट हैं और इन सेटेलाइटों का मुख्य मकसद धरती की हाई रिजॉल्यूशन इमेजरी तैयार करना है। कॉर्टोसैट में खास तरह के कैमरे लगे हैं जो भारत में जमीन पर होने वाले किसी भी वानस्पातिक या भूगर्भीय परिवर्तन को बारीकी से पहचान सकेगा। इस सेटेलाइट के जरिए भारत ये सही सही जान पाएगा कि यहां पर किस तरह के और कितने जंगल हैं। साथ ही नदियों के कटाव और पहाड़ों के उत्खनन के बारे में सटीक जानकारी भी इस सैटेलाइट के जरिए मिल पाएगी।

कार्टोसैट-2 श्रृंखला पिछली कार्टोसैट-2, कार्टोसैट-2ए और 2 बी की तरह है और उसके साथ भेजे जाने वाले 19 अन्य उपग्रहों को 505 किलोमीटर दूर स्थित ध्रुवीय सूर्य तुल्यकालिक कक्षा में प्रविष्ट कराया जाएगा। इसरो के अनुसार 20 उपग्रहों का कुल वजन तकरीबन 1,288 किलोग्राम है।

बाहरी देशों के सेटेलाइट

320 टन वजन वाला पीएसएलवी कनाडा, इंडोनेशिया, जर्मनी और अमेरिका आदि देशों के 17 छोटे उपग्रहों को ले जा रहा है। जिनमें

इंडोनेशिया का LAPAN A-3
जर्मनी का BIROS
कनाडा का M3MSAT और GHGSAT 3
यूएसए का स्काईसेट GEN 2-1 और 12 DOVE जैसे सैटेलाइट शामिल है।

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मिशन की खास बातें

- कॉर्टोसैट -2 उपग्रह से भेजी जाने वाली तस्वीरें काटरेग्राफिक, शहरी, ग्रामीण, तटीय भूमि उपयोग, जल वितरण और अन्य अनुप्रयोगों के लिए मददगार होंगी।

- चेन्नई के सत्यभामा यूनिवर्सिटी का 1.5 किलोग्राम वजनी सत्याभामासैट उपग्रह ग्रीन हाउस गैसों के आंकड़े एकत्र करेगा।

- पुणे का एक किलोग्राम का स्वयं उपग्रह हैम रेडियो कम्यूनिटी को संदेश भेजेगा।

- रॉकेट 1,288 किलोग्राम पेलोड के साथ दूसरे लांच पैड से प्रक्षेपित किया जाएगा।

- इस पूरे मिशन में तकरीबन 26 मिनट लगेंगे।

2008 में बना था रिकॉर्ड

साल 2008 में 28 अप्रैल को इसरो ने एक ही बार में सबसे ज़्यादा उपग्रह अंतरिक्ष में भेजने का विश्वरिकॉर्ड बनाया था, जब पीएसएलवी ने एक साथ 10 उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा था, लेकिन 2013 में अमेरिकी मिनोटॉर-1 रॉकेट ने यह रिकॉर्ड तोड़ दिया और एक साथ 29 उपग्रह ले गया और फिर अगले ही साल रूस ने रिकॉर्ड पर कब्जा कर लिया। रूस ने डीएनईपीआर रॉकेट के ज़रिये एक साथ 33 उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे। इसरो अब तक लगभग 20 अलग-अलग देशों के 57 उपग्रहों को लॉन्च कर चुका है।

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