शहाबुद्दीन ने कहा- तो क्या बिहार में कानून और जेल व्यवस्था फेल है
मंगलवार को दिन भर शहाबुद्दीन की ओर से स्थानांतरण के खिलाफ दलीलें दी गईं।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। हत्या के मामले में दोषी सिवान की जेल में बंद राजद के बाहुबली नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन ने उन्हें सिवान से दिल्ली की तिहाड़ जेल स्थनांतरित करने का विरोध करते हुए कहा कि उन पर आरोप लगाया जा रहा है कि वे जेल में रह कर मामले को प्रभावित कर सकते हैं। अगर ऐसा है तो क्या राज्य में कानून और जेल व्यवस्था फेल हो गई है। फिर तो ये केस अनुच्छेद 356 में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का है। क्योंकि याचिकाकर्ता की बात मानी जाए तो बिहार में जेल और कानून व्यवस्था नहीं है। राज्य सरकार को इस सबका जवाब देना चाहिये। इन दलीलों के साथ शहाबुद्दीन के वकील ने मंगलवार को अपनी बहस पूरी कर ली। बुधवार को सीबीआइ अपना पक्ष रखेगी।
पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन और तेजाब कांड में तीन बेटे खोने वाले चंदाबाबू ने सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल कर शहाबुद्दीन को सिवान की जेल से दिल्ली की तिहाड़ जेल स्थानांतरित करने की मांग की है। इसके साथ ही उसके मुकदमों की सुनवाई भी दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग की है। इस याचिका पर आजकल न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई कर रही है।
पढ़ें- शहाबुद्दीन और केस दोनों के स्थानांतरण में बिहार सरकार को ऐतराज नहीं
मंगलवार को दिन भर शहाबुद्दीन की ओर से स्थानांतरण के खिलाफ दलीलें दी गईं। शहाबुद्दीन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नाफड़े ने कहा कि याचिका में उनके मुवक्किल पर जेल में रहते हुए मामले को प्रभावित करने का आरोप लगाया गया है। याचिका के मुताबिक उनका मुवक्किल जेल से बाहर आ सकता है लेकिन क्या ऐसा कोई सबूत रिकार्ड पर मौजूद है जिसमें उनके मुवक्किल की जेल कर्मचारियों के साथ मिलीभगत साबित होती हो। या फिर बिहार सरकार ने इस आरोप में किसी जेल अधिकारी के खिलाफ कोई जांच की हो। ऐसा कुछ भी नहीं है।
उनका कहना था कि अगर याचिका में लगाए गये आरोप मान लिये जाएं तो क्या बिहार में कानून व्यवस्था या जेल व्यवस्था फेल हो गई है। राज्य सरकार को इसका जवाब देना चाहिये। ये कैसे कहा जा सकता है कि कोई व्यक्ति जेल में रह कर भी मामला प्रभावित कर सकता है। अगर ऐसा है तो फिर तो ये मामला अनुच्छेद 356 का हो जाता है। नाफड़े ने कहा कि याचिका में झूठे आरोप लगाए गये हैं याचिका गलत इरादे से दाखिल की गई है हो सकता है कि इसे दाखिल कराने के पीछे कुछ ऐसे लोग हों जो अपना नाम सामने न लाना चाहते हों। उनका कहना था कि शहाबुद्दीन ने एक अर्जी दाखिल की है और मामले में जांच कराने की मांग की है। जांच करा ली जानी चाहिये।
पढ़ें- शहाबुद्दीन और केस दोनों दिल्ली स्थानांतरित करने पर होगा विचार
नाफड़े ने शहाबुद्दीन को दिल्ली स्थानांतरित करने का विरोध करते हुए कहा कि कानून के मुताबिक कोर्ट ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि जेल राज्य का विषय है। इसके अलावा उस पर 45 मामले में हैं जिसमें अन्य अभियुक्त भी हैं और वे कोर्ट के सामने नहीं हैं। बड़ी संख्या मे गवाह है अगर मामला स्थानांतरित किया गया तो सुनवाई में देरी होगी। उन्होंने कहा कि अगर कोर्ट को कोई शंका है तो वह राज्य के आईजी स्तर के वरिष्ठ अधिकारी को निगरानी सौेंप दे उनसे रिपोर्ट ले।