संप्रग सरकार में हुए विमानन घोटाले की जांच शुरू
एयर इंडिया व इंडियन एयरलाइंस के विलय की प्रारंभिक जांच का केस दर्ज..
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोयला, स्पेक्ट्रम और राष्ट्रमंडल खेल घोटाले के बाद संप्रग सरकार के दौरान हुए एक और बड़े घोटाले से पर्दा उठ सकता है। सीबीआइ ने संप्रग सरकार के दौरान उड्डन मंत्रालय के चार बड़े फैसलों की जांच शुरू कर दी है। इनमें तीन फैसलों पर एफआइआर दर्ज हो गई है, जबकि एक फैसले पर प्रारंभिक जांच का केस दर्ज किया गया है। आरोप है कि इन फैसलों से सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस को हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण की याचिका पर सीबीआइ को इन मामलों की जांच का आदेश दिया था।
संप्रग सरकार के दौरान एयर इंडिया के लिए 70,000 करोड़ रुपये की लागत से 111 नए विमान खरीदे गए थे। मजेदार बात यह है कि खरीद प्रक्रिया के दौरान ही कई विमानों को लीज पर दूसरी एयरलाइनों को दे दिया गया। यही नहीं, भारी घाटे के बावजूद एयर इंडिया के कमाई वाले रूट भी निजी एयरलाइनो को दे दिए गए। इससे सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी को भारी नुकसान हुआ। रही सही कसर 2011 में एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के विलय ने पूरी कर दी।
सीबीआइ ने पहले तीन फैसले 111 विमानों की खरीद, उन्हें लीज पर निजी विमानन कंपनियों पर देने और लाभकारी रूटों को निजी विमानन कंपनियों को आवंटित करने की एफआइआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। जबकि एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के विलय के चौथे मामले में प्रारंभिक जांच का केस दर्ज किया गया है। बहरहाल कांग्रेस के लिए इतनी राहत जरूर है कि इस दौरान उड्डयन मंत्रालय में प्रफुल्ल पटेल और अजित सिंह मंत्री रहे। ये दोनों गैर कांग्रेसी दलों के नेता हैं। जाहिर है कि 2जी घोटाले की तरह ही कांग्रेस इसका ठीकरा अपने सहयोगी दलों पर फोड़कर बचने की कोशिश करेगी।
सीबीआइ के प्रवक्ता पीके गौर ने कहा कि एयर इंडिया तथा नागरिक विमानन मंत्रालय के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार एवं आपराधिक षड्यंत्र के तहत सरकारी खजाने को हजारों करोड़ का चूना लगाने के लिए एफआइआर दर्ज की गई हैं।
प्रशांत भूषण की याचिका पर सुप्रीमकोर्ट ने जनवरी में सीबीआइ को 2004-08 के दौरान एयर इंडिया द्वारा की गई विमानों की खरीद तथा विमानों को लीज पर देने के निर्णयों में अनियमितताओं की जांच के लिए कहा था। उस समय केंद्र में संप्रग की सरकार थी। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जेएस खेहर की पीठ ने सीबीआइ को जून 2017 तक अपनी जांच रिपोर्ट रिपोर्ट सौंपने को कहा था।
गौरतलब है कि गलत निर्णयों के कारण तमाम प्रयासों के बावजूद एयर इंडिया की हालत लगातार खस्ता बनी हुई है। इसकी हालत सुधारने के लिए संप्रग सरकार के समय में 30 हजार करोड़ रुपये का दस वर्षीय पुनरुद्धार पैकेज भी लाया गया जो 2021 तक चलेगा। लेकिन इसके बावजूद एयर इंडिया पर 48 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है जिसमें से एक तिहाई कर्ज विमानों की खरीद के कारण पैदा हुआ है। एयर इंडिया के सीएमडी अश्र्वनी लोहानी ने पिछले दिनो ही अपने ब्लॉग में एयर इंडिया की हालत के लिए एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइन के विलय के संप्रग सरकार गलत फैसले को जिम्मेदार ठहराया था।
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लोहानी ने अपनी कोशिशों से एयर इंडिया को आपरेटिंग लाभ में लाने में कामयाबी हासिल की है। लेकिन उसके संचित घाटे को दूर करने में वे खुद का असहाय महसूस करते हैं। उनका कहना है कि यदि एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के विलय का निर्णय नहीं लिया गया होता तो एयर इंडिया बेहतर हालत में होती। दोनो कंपनियों की प्रकृति और व्यवस्थाएं अलग थीं जिससे विलय का लाभ मिलने के बजाय नुकसान हुआ।
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