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जानिए, देश को अनेकों पदक देने वाली खिलाड़ी की दर्दनाक दास्तान

देश की झोली में पदकों की झड़ी लगा देने वाली विजेता की ऐसी हार सुनकर किसी का भी कलेजा मुंह को आ जाएगा। पावरलिफ्टिंग की इस अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी की जिंदगी का ऐसा पांसा पलटा कि एक झटके में सारी दुनिया वीरान हो गई। हादसे में पति गुजर गए। खुद भी लाचार हो गई। अपने इलाज में घर-बार तक बिक गया। कपड़े सिलकर भी गुजारा नहीं हो पा रहा। बच्चों की परवरिश के लिए सरकार से छोटी-मोटी नौकरी और सिर छुपाने को लोहिया आवास की दरकार है। देश के लिए सबकुछ झोंक देने वाली खिलाड़ी को क्या इतना भी हक नहीं?

By Edited By: Published: Wed, 03 Sep 2014 09:02 AM (IST)Updated: Wed, 03 Sep 2014 09:20 AM (IST)
जानिए, देश को अनेकों पदक देने वाली खिलाड़ी की दर्दनाक दास्तान

अलीगढ़, [आशीष गुप्ता]। देश की झोली में पदकों की झड़ी लगा देने वाली विजेता की ऐसी हार सुनकर किसी का भी कलेजा मुंह को आ जाएगा। पावरलिफ्टिंग की इस अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी की जिंदगी का ऐसा पांसा पलटा कि एक झटके में सारी दुनिया वीरान हो गई। हादसे में पति गुजर गए। खुद भी लाचार हो गई। अपने इलाज में घर-बार तक बिक गया। कपड़े सिलकर भी गुजारा नहीं हो पा रहा। बच्चों की परवरिश के लिए सरकार से छोटी-मोटी नौकरी और सिर छुपाने को लोहिया आवास की दरकार है। देश के लिए सब कुछ झोंक देने वाली खिलाड़ी को क्या इतना भी हक नहीं?

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शानदार रिकार्ड

पावरलिफ्टिंग व वेटलिफ्टिंग के इतिहास में शहर के दुबे पड़ाव स्थित पीर मट्ठा की मीनाक्षी रानी गौड़ का नाम स्वर्णाक्षरों में दर्ज है। वे पावरलिफ्टिंग व वेटलिफ्टिंग के 56 किलो वर्ग में 1995 से 2001 तक छह राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पदक जीत चुकी हैं। 2000 में हांगकांग पावरलिफ्टिंग व‌र्ल्ड चैंपियनशिप का रजत पदक भी उन्हीं के नाम है। 1999 में बाल्को एशियन जूनियर व सीनियर पुरुष-महिला पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप के 60 किलो वर्ग में देश को कांस्य दिला चुकी हैं। मीनाक्षी 2007 में खिलाड़ी से 'द्रोणाचार्य' बन गईं। इसके लिए बाकायदा पटियाला नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स से प्रशिक्षण भी लिया। 2011 तक फीरोजाबाद में जिला खेल विभाग से संबद्ध खिलाड़ियों को निशुल्क कोचिंग भी दी।

जिंदगी में भूचाल

2011 में मीनाक्षी की जिंदगी में ऐसा भूचाल आया कि सब कुछ उजड़ गया। कोचिंग देकर फीरोजाबाद से घर लौटते वक्त दुर्घटना में उनके पति दीपक कुमार गुजर गए। मीनाक्षी के पैर में भी प्लेट, रॉड और तार डल गए। इलाज के लिए मकान तक बेचना पड़ा। वे छड़ी के सहारे चल पाती हैं। इस कारण कोचिंग भी छिन गई।

गुजारा मुश्किल

मीनाक्षी के दो बच्चे हैं। बेटा प्रखर सैनी [12] व बेटी परी [6]। वे सास-ससुर के साथ दुबे पड़ाव पर किराए के मकान में रह रही हैं। बच्चे पालने के लिए उन्हें कपड़े सिलने पड़ रहे हैं। ससुर फूल बेचते हैं। फिर भी, परिवार की इतनी आय नहीं कि दो वक्त की ढंग से रोजी-रोटी चल सके। डीएस बाल मंदिर ने उनकी हालत देखते हुए दोनों बच्चों की फीस माफ कर दी है।

सुनिये हुजूर

मंगलवार को मुख्यमंत्री के दूत बनकर आए समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव सुनील कुमार से मीनाक्षी ने लोहिया आवास व कोच की नौकरी की गुजारिश की।

तीन शिष्यों ने भी जीते पदक

मीनाक्षी के शिष्य फीरोजाबाद के पावरलिफ्टर व वेटलिफ्टर नीरज मिश्र, चांदनी यादव व पूजा यादव राष्ट्रीय स्तर पर पदक झटक रहे हैं। इन्हें लखनऊ स्पोर्ट्स हॉस्टल में जगह मिल चुकी है।

कामयाबी की कथा

1995 में नेशनल पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप लखनऊ में रजत पदक।

1996 में नेशनल पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप भिलाई में रजत पदक।

1998 में नेशनल पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप रांची में स्वर्ण पदक।

1999 में नेशनल पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप लखनऊ में रजत पदक।

1999 बाल्को एशियन जूनियर व सीनियर पुरुष-महिला पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक।

2000 हांगकांग व‌र्ल्ड चैंपियनशिप में रजत पदक।

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