मेघालय चुनाव: भाजपा के सवालों पर घिरी संगमा सरकार, कांग्रेस के सामने जबरदस्त चुनौती
मेघालय में चुनाव प्रचार अपने अंतिम चरण में हैं। 60 सदस्यों वाली विधानसभा के लिए 27 फरवरी को मतदान होना है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। पूर्वोत्तर राज्यों में से एक त्रिपुरा में मतदाताओं ने जहां उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद कर दी है, वहीं मेघालय में चुनावी प्रचार आरोप-प्रत्यारोप चरम पर है। कांग्रेस शासित राज्य में केसरिया झंडा फहराने के लिए भाजपा जी तोड़ कोशिश कर रही है। राज्य की 60 सीटों के लिए 27 फरवरी को होने वाले चुनाव से पहले भाजपा के दिग्गजों ने धारदार अंदाज में कांग्रेसी हुकुमत की आलोचना की। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भाषण में कहा कि जो लोग मेघालय के विकास के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार बताते हैं उन्हें ये पता नहीं कि केंद्र सरकार की तरफ से राज्य के सौतेला व्यवहार नहीं किया गया। मेघालय की राज्य सरकार यानि कांग्रेस ही पिछड़ेपन के लिए जिम्मेदार है। कांग्रेस और प्रत्यारोपों के बीच ये जानना दिलचस्प है कि राज्य में चुनावी मुद्दे क्या हैं और किस तरह से राजनीतिक दल उसे अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहे हैं।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने अपने प्रचार में मेघालय में कानून-व्यवस्था का मुद्दा उठाने के साथ ही पीने के पानी का मुद्दा उठाया। इस्ट गारो हिल्स ते सैंगसोक में चुनावी भाषण में उन्होंने कहा कि जिस तरह से विलियम नगर सीट से राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार की जघन्य तरीके से हत्या की गई वो अपने आप में बहुत कुछ कहने के लिए पर्याप्त है। एनसीपी उम्मीदवार जोनाथन एन मरक की हत्या से साफ है कि राज्य सरकार किसी को भी सुरक्षा देने में नाकाम रही है।
पीने के पानी पर कांग्रेस सरकार की घेरेबंदी
पीने का पानी का मुद्दा मेघालय के लगभग सभी चुनावों में गुंजता रहता है। यह लोगों की भावना से भी जुड़ा हुआ है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि ये कितने आश्चर्य की बात है कि जिस मेघालय के मासिनराम और चेरापुंजी में देश ही नहीं दुनिया में सबसे ज्यादा बारिश होती है। उस राज्य के लोगों को पीने के पानी के लिए मीलों दूरी तय करनी पड़ती है। आखिर मुकुल संगमा सरकार क्या कर रही है। राज्य की तरक्की के लिए ये जरूरी है कि यहां पर केंद्र से तालमेल बनाकर चलने वाली सरकार हो। अगर सरकार बनाने में भाजपा कामयाब होती है तो राज्य के विकास के लिए न तो पैसों, न ही नीति न ही दृढ़ इच्छाशक्ति की कमी रहेगी। कांग्रेस शासन के दौरान राज्य का विकास न होना ही सबसे क्रूर मजाक है। उन्होंने लोगों को अपने पाले में करने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजना का भी जिक्र किया उन्होंने कहा कि अगर राज्य में भाजपा सरकार नहीं आती है तो मौजूदा सरकार उस योजना को जमीन पर न उतरने देने के लिए भरपूर कोशिश करेगी।
महिलाओं की खुशी पर कांग्रेसी ग्रहण
इसके साथ ही टेक्सटाइल मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि महिला शक्ति के लिए केंद्र सरकार तमाम योजनाओं को अमलीजामा पहना रही है। लेकिन राज्य सरकार रोड़े अटका रही है। घरेलू महिलाओं से संवाद स्थापित करते हुए उन्होंने कहा कि याद करिए वो दिन जब खामा पकाने के लिए महिलाएं धूएं को पीने के लिए विवश थीं। लेकिन मोदी सरकार ने उज्ज्वला योजना के जरिए न केवल महिलाओं के चेहरे पर खुशी आई है बल्कि वो नए भारत के निर्माण में अपना अमूल्य योगदान दे रही हैं। मोदी सरकार ने संपन्न लोगों से एलपीजी सब्सिडी छोड़ने की अपील की और उसका असर ये हुआ कि तीन करोड़ जरूरतमंद लोगों को फायदा पहुंचा। लेकिन दुख की बात है कि मुकुल संगमा सरकार केंद्रीय योजनाओं की राह में बाधे डाल रही है। राज्य सरकार को इस कदर केंद्र से एलर्जी है कि हाल ही में राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजना को लागू करने से मना कर दिया है। आप समझ सकते हैं कि सिर्फ राजनीतिक दुश्मनी निकालने के लिए सरकार आप लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रही है।
2016 की एक पुराने प्रसंग की जिक्र करते हुय कहा कि आप कैसे ये भूल सकते हैं कि गृहमंत्री के स्वामित्व वाले बंगले पर एक मंत्री ने 14 साल की लड़की के साथ रेप जैसे जघन्य अपराध को अंजाम दिया और सीएम साहब उस बचाने में जुटे रहे।
मेघालय से कांग्रेस को उम्मीद
पूर्वोत्तर में कांग्रेस की आखिरी उम्मीद मेघालय से है। कांग्रेस को अगर उम्मीदों के मुताबिक मेघालय से नतीजे नहीं आते हैं, तो पूर्वोत्तर में पार्टी सिर्फ मिजोरम तक सीमित हो जाएगी। जबकि मिजोरम में भी इसी साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं।
कांग्रेस की चिंता इस बार किसी भी तरह मेघालय में सरकार को बचाने की है। लेकिन भाजपा यहां भी कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाने की पूरी कोशिश में है। 2013 में मेघालय विधानसभा चुनावों की 60 सीटों में से कांग्रेस को 29 सीटें मिलीं थीं, जिनमें से पांच विधायकों ने भाजपा का दामन थामकर चुनावी मैदान में हैं।
मेघालय विधानसभा की मौजूदा तस्वीर
कांग्रेस - 24
यूडीपी - 7
एचएसपीडीपी - 4
बीजेपी - 2
एनसीपी - 2
एनपीपी - 2
एनईएसडीपी - 1
निर्दलीय - 9
असम चुनाव के नतीजों से पहले भाजपा को स्थानीय लोग जमानत जब्त पार्टी के रूप में देखते रहे हैं। लेकिन समय से साथ बहुत कुछ बदल गया। असम के साथ-साथ मणिपुर और अरुणाचल में भाजपा की सरकार है,तो सिक्किम में पवन चामलिंग एनडीए का हिस्सा हैं। देश के 19 राज्यों में भाजपा और उसके समर्थकों की सरकार है। अब भाजपा कोशिश कर रही है उनका विजय रथ कुछ यूं आगे बढ़े कि पूर्वोत्तर राज्य केसरिया रंग में रंग जाएं।