खुफिया विभाग को थी नक्सली गतिविधि की जानकारी, लेकिन हो गई चूक
सुकमा में हुए नक्सली हमले की आशंका पहले से ही बनी हुई थी। खुफिया विभाग को पहले से ही वहां पर नक्सली हमले की जानकारी थी।
रायपुर (नईदुनिया)। सुकमा जिले के चिंतागुफा-भेज्जी इलाके में पिछले एक महीने में खुफिया विभाग की सूचना पर सुरक्षा बलों ने कई बार नक्सली एंबुश तोड़ा और उन्हें पीछे हटने पर मजबूर किया। बुरकापाल में भी नक्सली एंबुश की आशंका थी, लेकिन इस बार लापरवाही की गई, जो भारी पड़ गई। दिन में असामान्य गतिविधि दिखने के बाद भी सतर्क न होना भारी पड़ गया और 25 जवान शहीद हो गए।
पहले से थी नक्सल हलचल की सूचना
खुफिया विभाग के सूत्रों के मुताबिक, जिस दिन घटना हुई उस दिन भी नक्सल हलचल की सूचना थी। दिन में नक्सली कितना सफल होंगे, यह सोच भारी पड़ गई। खुफिया विभाग के एक अफसर ने कहा कि कैंप के नजदीक रेकी की गई थी, जिसकी जानकारी पहले मिल चुकी थी। यह भी अनुमान था कि आसपास ही कहीं एंबुश लगाएंगे। नक्सली इस बात से बौखलाए हैं कि जगरगुंडा सड़क बनी तो वे अपने इलाके में दो भागों में कट जाएंगे। यह सड़क उनके लिए चुनौती थी।
बुरकापाल में है सीआरपीएफ का कैंप
बुरकापाल में जहां सीआरपीएफ का कैंप है, वहां कुछ महीने पहले तक नक्सलियों की समानांतर सरकार चलती थी। डेढ़ महीने पहले उन्होंने बुरकापाल के सरपंच की हत्या कर दी। आरोप लगाया कि उसने फोर्स को पानी पिलाया है, जबकि वह सरपंच पहले उन्हीं के साथ था। एक महीने में फोर्स ने इस इलाके में कई एंबुश तोड़े। किस्टारम और धर्मापेंटा में एंबुश लगाकर बैठे नक्सलियों पर रात में धावा बोला। इसमें उन्हें काफी नुकसान हुआ और वे पीछे हटने पर मजबूर हुए। फोर्स की आक्रामकता देख वे हमेशा छुप जाते हैं।
कोबरा बटालियन के सामने नहीं आते नक्सली
कोबरा बटालियन या कम्बाइंड फोर्स होती है तो सामने नहीं आते। सीआरपीएफ अकेली थी, इसलिए, उन्होंने यह दुस्साहस किया। कसालपाड़ और कुन्ना में भी ग्रामीणों को आगे किया गया था। पुलिस और खुफिया विभाग के अफसरों का मानना है कि कैंप के आसपास तो फोर्स को आक्रामक होना चाहिए।
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