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महंगाई ने उठाया सिर, औद्योगिक उत्पादन में सुस्ती

आर्थिक मोर्चे पर सरकार के लिए चुनौती बरकरार है। खुदरा महंगाई दर धीरे-धीरे सिर उठाने लगी है जबकि औद्योगिक उत्पादन में सुस्ती कायम है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 13 Dec 2017 08:02 AM (IST)Updated: Wed, 13 Dec 2017 08:02 AM (IST)
महंगाई ने उठाया सिर, औद्योगिक उत्पादन में सुस्ती
महंगाई ने उठाया सिर, औद्योगिक उत्पादन में सुस्ती

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आर्थिक मोर्चे पर सरकार के लिए चुनौती बरकरार है। खुदरा महंगाई दर धीरे-धीरे सिर उठाने लगी है जबकि औद्योगिक उत्पादन में सुस्ती कायम है। हाल यह है कि नवंबर में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 4.88 प्रतिशत हो गयी है जो कि पंद्रह माह के उच्चतम स्तर पर है। दूसरी ओर औद्योगिक गतिविधियों का बैरोमीटर माने जाने वाले आइआइपी की दर अक्टूबर में मात्र 2.2 प्रतिशत रही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक नवंबर में खुदरा महंगाई में उछाल आने की वजह ईधन, सब्जियों और अंडों के भाव में तेजी आना है। खुदरा महंगाई इस साल अक्टूबर में 3.58 प्रतिशत जबकि नवंबर में 3.63 प्रतिशत थी। इससे पहले खुदरा महंगाई का उच्च स्तर अगस्त 2016 में 5.05 प्रतिशत था। खुदरा महंगाई में वृद्धि का यह आंकड़ा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि रिजर्व बैंक इसी के आधार पर अपनी मौद्रिक नीति की दशा और दिशा तय करता है।

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अपनी मौद्रिक नीति की पिछली समीक्षा में रिजर्व बैंक ने महंगाई में वृद्धि की आशंका जतायी थी। यही वजह है कि आरबीआइ ने ब्याज दरों में कटौती से परहेज किया। आरबीआइ ने खुदरा महंगाई दर चार प्रतिशत पर सीमित रखने का लक्ष्य रखा है हालांकि यह दो प्रतिशत कम या ज्यादा भी हो सकती है। नवंबर में सबसे ज्यादा महंगाई दर सब्जियों की 22 प्रतिशत रही है जबकि अक्टूबर में यह 7.47 प्रतिशत थी। इसी तरह प्रोटीनयुक्त उत्पादों जैसे अंडे की महंगाई में सालाना 7.95 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि इससे पूर्व माह में यह 0.69 प्रतिशत थी। इसी तरह ईधन श्रेणी के उत्पादों में भी 7.92 प्रतिशत की महंगाई वृद्धि हुई है। हालांकि दालों की महंगाई में गिरावट दर्ज की गयी है। कुल मिलाकर खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर नवंबर में 4.42 प्रतिशत रही है जबकि अक्टूबर में यह 1.9 प्रतिशत थी।

औद्योगिक उत्पादन के मोर्चे पर भी सरकार के लिए चिंता बनी हुई है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक यानी आइआइपी की दर अक्टूबर में मात्र 2.2 प्रतिशत रही है जो बीते तीन माह में न्यूनतम है। आइआइपी में सुस्ती की वजह मैन्युफैक्चरिंग और खनन क्षेत्रों की धीमी वृद्धि दर तथा कंज्यूमर ड्यूरेबल्स के उत्पादन में गिरावट है।आइआइपी में इस साल सितंबर में 4.14 प्रतिशत तथा अक्टूबर 2016 में 4.2 प्रतिशत वृद्धि हुई थी।

वैसे चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से अक्टूबर के दौरान आइआइपी में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि पिछले वित्त वर्ष में इसमें 5.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। इस साल अक्टूबर में मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के आइआइपी में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि कंज्यूमर ड्यूरेबल्स के उत्पादन में 6.9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है। 

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