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14 माह के उच्च स्तर पर महंगाई, सरकार के लिए खतरे की घंटी

नई दिल्ली। चार राज्यों में चुनाव हार चुकी संप्रग सरकार को महंगाई के मोर्चे से एक और बुरी खबर मिली है। महंगाई का जिन्न सरकार का पीछा छोड़ते नहीं दिख रहा। नवंबर, 2013 में थोक मूल्य आधारित महंगाई की दर बढ़कर 14 माह के ऊंचे स्तर 7.52 फीसद पर पहुंच गई। प्याज, आलू व अन्य खाद्य उत्पादों की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि आम चुनाव क

By Edited By: Published: Tue, 17 Dec 2013 10:28 AM (IST)Updated: Tue, 17 Dec 2013 03:04 PM (IST)
14 माह के उच्च स्तर पर महंगाई, सरकार के लिए खतरे की घंटी

नई दिल्ली। चार राज्यों में चुनाव हार चुकी संप्रग सरकार को महंगाई के मोर्चे से एक और बुरी खबर मिली है। महंगाई का जिन्न सरकार का पीछा छोड़ते नहीं दिख रहा। नवंबर, 2013 में थोक मूल्य आधारित महंगाई की दर बढ़कर 14 माह के ऊंचे स्तर 7.52 फीसद पर पहुंच गई। प्याज, आलू व अन्य खाद्य उत्पादों की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि आम चुनाव की तैयारियों में जुटी केंद्र सरकार की मुसीबत और बढ़ा सकती है।1कई जानकार और स्वंय कांग्रेस के आला अधिकारी मान रहे हैं कि हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में चार बड़े राज्यों में उनकी हार के लिए महंगाई एक बड़ी वजह रही है। ऐसे में थोक महंगाई की दर का पिछले 14 महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंचना कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी बजाने वाला है। खास तौर पर आम जनता के बजट को प्रभावित करने वाली खाद्य उत्पादों की महंगाई दर नवंबर में 20 फीसद के करीब (19.93 फीसद) हो गई है। खाद्य उत्पादों में इतनी ज्यादा महंगाई पिछले साढ़े तीन वर्षो में नहीं (जून, 2010 के बाद) देखी गई। इसे देखते हुए रिजर्व बैंक अपनी ब्याज दर बढ़ा सकता है। इससे सभी तरह के कर्जे महंगे हो जाएंगे।

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दिल्ली सहित तमाम राज्यों के चुनाव में विपक्षी दलों ने महंगाई खास तौर पर प्याज की कीमतों को एक बड़ा मुद्दा बनाया था। सोमवार को सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक प्याज की कीमत नवंबर, 2013 में बीते साल के समान माह के मुकाबले 190 फीसद से ज्यादा रही है। सब्जियों की कीमतों में 95 और आलू में 27 फीसद का इजाफा देखा गया है।

महंगाई के आंकड़े बताते हैं कि खाद्य आपूर्ति पक्ष को संभालने में संप्रग सरकार बुरी तरह से नाकाम रही है। रिजर्व बैंक और अन्य कई विशेषज्ञ लगातार कह रहे हैं कि सरकार को आपूर्ति पक्ष पर सबसे ज्यादा ध्यान देना चाहिए। लेकिन पिछले दो वर्षो से आम जनता को कोई राहत नहीं मिली है।

ताजा आंकड़ों के मुताबिक, मछली, मीट, अंडा जैसे प्रोटीन उत्पादों के दाम 15.19 फीसद बढ़े हैं, जबकि चावल की थोक कीमत में 15 फीसद की वृद्धि हुई है। यह चिंताजनक इसलिए है, क्योंकि नवंबर में सब्जियों, चावल वगैरह की कीमतों में नरमी रहती है। लेकिन इस वर्ष उल्टी गंगा बह रही है। ऐसे में कई लोग यह मान रहे हैं कि हो सकता है कि आगामी आम चुनाव तक जनता को महंगाई से कोई राहत नहीं मिले।

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