Move to Jagran APP

नई तैयारी के साथ ट्रायल के लिए समुद्र में उतरा INS विक्रांत

भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत आइएनएस विक्रांत बृहस्‍पतिवार को एक सादे समारोह में दोबारा ढांचागत ट्रायल के लिए समुद्र में उतारा गया। इससे पहले इसे 12 अगस्‍त 2013 को समुद्र में उतारा गया था। इसके अगले वर्ष समुद्री ट्रायल और 2018 में नौसेना को सौंपे जाने की संभावना है।

By Sanjay BhardwajEdited By: Published: Thu, 11 Jun 2015 10:32 AM (IST)Updated: Thu, 11 Jun 2015 11:45 AM (IST)
नई तैयारी के साथ ट्रायल के लिए समुद्र में उतरा INS विक्रांत

कोच्चि। भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत आइएनएस विक्रांत बृहस्पतिवार को एक सादे समारोह में दोबारा ढांचागत ट्रायल के लिए समुद्र में उतारा गया। इससे पहले इसे 12 अगस्त 2013 को समुद्र में उतारा गया था। इसके अगले वर्ष समुद्री ट्रायल और 2018 में नौसेना को सौंपे जाने की संभावना है।

loksabha election banner

कोचिन शिपयार्ड द्वारा निर्मित इस जहाज के अंतिम रूप से समुद्र में उतरने के साथ ही भारत उन चार देशों (अमेरिका, रूस, ब्रिटेन और फ्रांस) के समूह में शामिल हो जाएगा जो अपने बलबूते पर विमानवाहक पोत बनाने में सक्षम हैं। इस पोत में अति अत्याधुनिक राडार, क्लोज इन वेपन सिस्टम और तेज मिसाइलें दुश्मन को इसके पास तक नहीं फटकने देंगी।

आइए जानें, क्यों खास है आइएनएस विक्रांत

260 मीटर लंबे और 60 मीटर चौड़े आइएनएस विक्रांत के डेक पर एक साथ 30 लड़ाकू विमान और हेलिकॉप्टर हर समय तैनात रहेंगे। इनमें करीब 12 मिग-29के, देश में बने 8 तेजस विमान और 10 एंटी-सबमरीन हेलीकॉप्टर होंगे। ये हेलीकॉप्टर ऐसे अर्लीवॉर्निंग सिस्टम से लैस होंगे, जिससे दुश्मन की कोई भी पनडुब्बी इसके पास तक पहुंचने से पहले ही सूचित कर देंगे।

विक्रांत पर दो रनवे भी है, जिससे हवाई हमला होने की स्थिति में लड़ाकू विमान तुरंत उड़ान भर सकते हैं। इसके रनवे को इस तरह बनाया गया है कि हर तीन मिनट में लड़ाकू विमान उड़ान भर ले। इसलिए 45 मिनट के अंदर आसानी से 30 लड़ाकू विमान इससे उड़ान भर लेंगे। यही नहीं, इस पर जमीन से हवा में मार करने वाली कई तरह की अत्याधुनिक मिसाइलें भी तैनात रहेगी। यानी जल-थल और आकाश तीनों तरह की सुरक्षा करने में विक्रांत खुद सक्षम रहेगा।

आइएनएस विक्रांत का इतिहास भी बहुत सुनहरा है। भारत ने 60 के दशक में ब्रिटेन से आइएनएस विक्रांत को लिया था। इससे भारत ने 1971 की जंग में चटगांव और कोक्सबाजार पर हुए जबदस्त हमले किए थे। पाकिस्तान ने आइएनएस विक्रांत को तबाह करने के लिए खास तौर अपनी गाजी पनडुब्बी भेजी थी, जिसे भारतीय नौसेना ने विशाखापत्तनम के पास डुबो दिया था। इसमें कोई शक नहीं कि रिटायर हो चुके आइएनएस विक्रांत की तुलना में स्वदेशी विमानवाहक पोत आइएनएस विक्रांत कई गुना ज्यादा ताकतवर होगा और दुश्मनों के छक्के छुड़ा देगा।

पढ़ें : जहाजरानी क्षेत्र में नए कदम उठाए जा रहे हैं : गडकरी

पढें : महिलाओं को युद्धपोतों पर जल्द तैनात करेगी नौसेना


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.