'विकसित देशों की संरक्षणवादी नीतियों पर नजर रख रहा भारत'
वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग के सचिव शक्तिकांत दास का कहना है कि भारत विकसित देशों की संरक्षणवादी नीतियों पर नजर रख रहा है।
वैश्रि्वक अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल और देश में नोटबंदी की पृष्ठभूमि में सरकार ने आम बजट 2017-18 पेश किया है। सरकार के समक्ष एक ओर विमुद्रीकरण से सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था को गति देने की जरूरत है जबकि दूसरी ओर विकसित देशों में जोर पकड़ रही संरक्षणवादी नीतियों का मुकाबला करने के लिए खुद को तैयार करने की चुनौती है।
इसके अलावा सरकार ने इस बार आम बजट में कई बदलाव भी किए हैं। ऐसे में बजट प्रस्तावों और बजटीय प्रक्रिया में बदलावों का क्या है मतलब, यह जानने के लिए 'दैनिक जागरण' के विशेष संवाददाता हरिकिशन शर्मा ने वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग के सचिव शक्तिकांत दास से लंबी बातचीत की। प्रस्तुत हैं कुछ अंश:
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आम बजट फरवरी के अंतिम दिन आता था, इस बार पहले दिन पेश किया गया, इसके क्या फायदे होंगे?
इस साल एक फरवरी को बजट पेश किया गया। इसका मुख्य मकसद यह है कि अगले साल का बजट 31 मार्च से पहले पारित हो जाएगा। इस तरह विभागों के पास पहली अप्रैल से ही खर्च कर सकेंगे। इसी तरह अगर कर कानून में बदलाव किया गया है तो राजस्व भी एक अप्रैल से ही वसूला जा सकेगा। पहले वित्त विधेयक मई के अंत तक पारित हो पाता था जिससे सरकार जून या जुलाई से टैक्स वसूल पाती थी। इस तरह दो महीने का राजस्व नुकसान हो जाता था।
क्या अब वित्त वर्ष भी बदलने की तैयारी है?
वित्त वर्ष बदलने के संबंध में समिति ने अपनी रिपोर्ट दे दी है जो अभी विचाराधीन है। अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ है।
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वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए विकसित देशों की संरक्षणवादी नीतियों को चुनौती करार दिया, सरकार क्या रणनीति बना रही है?
भारत मुक्त व्यापार, वस्तुओं, सेवाओं और मानवीय पूंजी के स्वतंत्र प्रवाह में विश्र्वास रखता है ताकि पेशेवर और तकनीकी लोग जहां भी चाहें बेरोक टोक काम कर सकें। विकसित देशों में संरक्षणवादी रवैया अपनाने का संकेत मिल रहा है। सरकार की नजर वहां की स्थिति पर है। वहां सार्वजनिक बहस में यह साफ दिखायी दे रहा है। भारत सरकार स्थिति के अनुसार उचित कदम उठाएगी।
बजट में गर्भवती महिलाओं को छह हजार रुपये की मदद की घोषणा की गयी है, यह कब से शुरु होगी?
यह योजना एक अप्रैल से शुरु हो जाएगी। इस बारे में संबंधित मंत्रालय अलग से दिशानिर्देश जारी करेंगे।
फंसा कर्ज कम नहीं हो रहा है सरकार बैंकों के पूंजीकरण के लिए कब तक करदाताओं का पैसा देती रहेगी?
वर्ष 2017-18 में सरकार बैंकों को 10 हजार करोड़ रुपये देगी। बैंकों के पास पूंजी की कोई दिक्कत नहीं है। सरकारी बैंक जो बान्ड्स होल्ड करते हैं, उस पर काफी सुधार आया है। इसलिए बैंकों के पास अभी पर्याप्त पूंजी है और स्थिति में सुधार हुआ है। आगे अगर बैंकों को पूंजी की आवश्यकता पड़ेगी तो सरकार धनराशि देगी।
सरकार नई मेट्रो नीति ला रही है, कितने शहरों में मेट्रो चलाने की योजना है?
जहां मेट्रो की मांग है और व्यवहारिक है, वहां मेट्रो रेल चलाई जाएगी। राज्य काफी उत्साह दिखा रहे हैं। टीयर टू शहरों में भी मेट्रो परियोजना हैं- जैसे विशाखापत्तनम, नागपुर और लखनऊ में। इस तरह शहरी परिवहन के रूप में यह बड़ा क्षेत्र विकसित हो रहा है।
क्या सरकार इस क्षेत्र में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी को बढ़ावा देगी?
अभी जितनी भी मेट्रो परियोजनाएं हैं, वे विश्र्व बैंक जैसी बहुपक्षीय एजेंसियों की मदद से बन रही हैं। जब मेट्रो की नीति आ जाएगी तो इसमें निजी क्षेत्र के निवेश बढ़ जाएगा।
किसानों को 10 लाख करोड़ रुपये कर्ज मुहैया कराने लक्ष्य रखा है, किसान लगातार कर्ज में फंस रहे हैं, यह कैसी रणनीति है?
यह कहना सही नहीं है कि किसान फसल ऋण के बोझ से दब रहे हैं। किसान जो अनौपचारिक क्षेत्र से ऋण लेते हैं, उसकी दिक्कत है। फसल ऋण काफी सस्ता मिलता है। सामान्यत: फसल ऋण 9 प्रतिशत होता है लेकिन सरकार इस पर दो प्रतिशत की दर से ब्याज दर में छूट देती है। जो किसान समय पर ऋण चुकाते हैं उन्हें चार प्रतिशत पर ही फसल ऋण मिलता है। इस तरह इससे किसानों को बड़ी राहत मिलती है।
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क्या फसल बीमा योजना कारगर रही है?
इस साल प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत सकल बुवाई क्षेत्र का 30 प्रतिशत कवर किया जा चुका है। अगले साल यह बढ़कर 40 प्रतिशत तथा 2018-19 मंे 50 प्रतिशत फसल क्षेत्र कवर हो जाएगा। पहले क्रॉप कटिंग की व्यवस्था के चलते किसानों को बीमा की दावाराशि पाने में जो दिक्कत आती थी, वह अब इस योजना में नहीं आ रही है। सरकार सैटेलाइट और ड्रोन जैसी तकनीकों का इस्तेमाल कर रही है।
श्रम सुधार सरकार के एजेंडे पर हैं, क्या आने वाले वित्त वर्ष में कोई प्रगति होगी?
जहां श्रम सुधारों की बात है तो श्रम मंत्रालय ने चार कोड (विधेयक) तैयार किए हैं। ये विधेयक वित्त वर्ष 2017-18 में पारित किए जाएंगे। इसके अलावा भी सरकार कई सुधार लागू करेगी। सरकार विदेशी प्रत्यक्ष निवेश प्रोत्साहन बोर्ड (एफआइपीबी) को खत्म करने की घोषणा कर चुकी है। सरकार स्पॉट और डेरिबेटिव मार्केट के लिए एक विशेषज्ञ समिति बना रही है। सरकार एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया एक्ट को भी संशोधित करने पर विचार कर रही है। बैंक, म्यूचुअल फंड अगर संकट में हैं तो उनके हल की व्यवस्था बनाने के लिए भी एक विधेयक इसी बजट सत्र में पेश होगा।
एफआइपीबी खत्म करने का फैसला क्यों किया गया?
एफआइपीबी के माध्यम से सिर्फ 10 प्रतिशत एफडीआइ ही आता है, शेष 90 प्रतिशत ऑटोमेटिक रूट से आता है। एफआइपीबी की शक्तियां या तो नियामक को या फिर संबंधित मंत्रालय को दे दी जाएगी।
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क्या नोटबंदी से करादाता आधार बढ़ेगा?
नोटबंदी से करादाता बढ़ेंगे। हालांकि कितने बढ़ंेगे, इसका अनुमान लगाना मुश्किल है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में कितने लोग आवेदन देते हैं, यह 31 मार्च को ही पता चलेगा। जिन लोगांे ने कैश जमा किया है उसकी जांच सीबीडीटी कर रहा है। जिन लोगों की आय से नकदी जमा मेल नहीं खाएगी तो उन्हें आयकर के साथ-साथ जुर्माना भी देना पड़ेगा। साथ ही जो लोग आयकर रिटर्न फाइल नहीं कर रहे हैं, उन्हें रिटर्न भी दाखिल करना पड़ेगा।
डिजिटल पेमेंट्स को बढ़ावा देने के लिए मुख्मंत्रियों की समिति ने कई सिफारिशें दी हैं?
फिलहाल इस समिति की सिफारिशें सरकार के विचाराधीन हैं।