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आइएस के निशाने पर अब खाड़ी में काम कर रहे भारतीय

भारतीय एजेंसियों को इस बात की सूचना है कि खाड़ी में काम करनेवाले भारतीय युवाओं को आईएसआईएस अपना निशाना बना सकते हैं।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Sun, 17 Jul 2016 09:43 PM (IST)Updated: Sun, 17 Jul 2016 11:58 PM (IST)
आइएस के निशाने पर अब खाड़ी में काम कर रहे भारतीय

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। केरल से गायब तकरीबन 20 युवकों ने भारतीय खुफिया एजेंसियों के पुराने डर को सही साबित कर दिया है। भारतीय एजेंसियों को पहले से इस बात की सूचना थी कि खाड़ी में काम करने वाले भारतीय युवा कुख्यात आतंकी संगठन आइएसआइएस के निशाने पर हैं। शुरुआती चुप्पी के बाद सरकारी एजेंसियां मानने लगी हैं कि मामला बेहद चुनौतीपूर्ण हैं और यह पूरी घटना उनके लिए समय रहते सतर्क होने की चेतावनी है। ये एजेंसियां यह भी स्वीकार करती हैं कि जिस 'मोडस आपरेंडी' के तहत केरल के युवकों ने एजेंसियों की आंख में धूल झोंक कर आइएसआइएस की तरफ कदम बढ़ाया है उसे पकड़ना बहुत मुश्किल है।

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पिछले दिनों सुरक्षा एजेंसियों ने इस बात का पता लगाया था कि केरल से कुछ युवतियों समेत 20-22 युवाओं का एक समूह गायब है। इनके आतंकी संगठन इस्लामिक एस्टेट (आइएसआइएस) में जाने का शक था। अब यह शक पक्का हो गया है। जानकारों का मानना है कि केरल के युवकों के गायब होने और अब उनकी तरफ से आइएसआइएस में शामिल होने की खबर सामने आने के बाद भारत की सुरक्षा एजेंसियां यह दावा नहीं कर सकती कि आइएस का प्रभाव भारत में नहीं है।

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असलियत में सिर्फ पिछले एक वर्ष के भीतर तकरीबन भारतीय युवाओं के लगभग छह समूहों को आइएस में शामिल होने से ठीक पहले रोका गया है। जबकि विभिन्न देशों से आइएस के साथ संबंध होने की वजह से दर्जन भर भारतीयों को प्रत्यार्पण भी हुआ है। नवंबर, 2015 में सरकार को सूचना मिली थी कि दक्षिणी राज्यों के लगभग 150 युवाओं का आइएसआइएस के प्रति झुकाव पाया गया है। इन्हें रोकने की कोशिश भी की गई। लेकिन केरल के इन युवाओं के आइएसआइएस में शामिल होने की पुष्टि होने के बाद यह साफ है कि सरकारी एजेंसियों की कोशिश पूरी तरह से सफल नहीं रही है।

यह पूछे जाने पर कि आइएसआइएस को लेकर सरकार आने वाले दिनों में अब क्या रणनीति अपनाएगी तो एजेंसियों के सूत्रों का कहना है कि मौजूदा उपायों को और पुख्ता बनाया जाएगा। मसलन, खाड़ी के देशों में काम करने वाले भारतीय युवाओं पर नजर रखने के मौजूदा तौर तरीके को और चुस्त बनाने की जरुरत है। इस बारे में काफी प्रयास भी हुए हैं। यही वजह है कि पीएम नरेंद्र मोदी की हाल में हुई सउदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा के दौरान आतंकवादी गतिविधियों से जुड़ी सूचनाओं के आदान-प्रदान का ढांचा तैयार करने पर खास जोर दिया गया है। लेकिन जाहिर है कि अभी यह 'फुलप्रूफ' नहीं हो पाया है।

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दरअसल, भारत पर आइएसआइएस के खतरे को लेकर पिछले दिनों जब गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सभी एजेंसियों और राज्यों की बैठक बुलाई तो उसमें खाड़ी में कार्यरत युवाओं को लेकर सबसे ज्यादा चिंता प्रकट की गई। खाड़ी के देशों में तकरीबन 70 लाख भारतीय काम करते हैं। जनवरी, 2016 में खाड़ी के एक देश ने अजहर अल इस्लाम उर्फ अब्दुल सत्तार शेख, मोहम्मद फरहान उर्फ मोहम्मद रफीक शेख और अदनान हुसैन उर्फ मोहम्मद हुसैन को आइएसआइएस के लिए भर्ती अभियान में लिप्त पाये जाने के बाद भारत प्रत्यार्पन किया था। इसके लिए वे भारत व खाड़ी में रहने वाले ऐसे भारतीय युवाओं को तलाशते थे, जो आइएसआइएस से जुड़ने के इच्छुक थे। केरल के युवकों के ऐसे ही किसी समूह का शिकार होने का शक है।


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