...तो ऐसे बदल जाएगी भारतीय रेलवे की सूरत और सीरत
भारतीय रेलवे में सुधार के बड़े बड़े वादे और दावे किए जाते हैं। लेकिन हकीकत कुछ और ही है।
नई दिल्ली(जेएनएन)। भारतीय रेलवे दुनिया के रेल नेटवर्क में से एक है। रेलवे के खाते में न जानें कितनी कामयाबियां हैं तो न जानें कितनी नाकामियां भी है। रेल नेटवर्क में सुधार के बड़े बड़े वादे और दावे भी किए जाते हैं।लेकिन एक सच ये भी है कि एक या दो महीने के अंतराल के बाद रेल दुर्घटनाएं वादों और दावों की पोल खोल देती है। भारतीय रेलवे की कार्यप्रणाली में सुधार के लिए रेल मंत्रालय ने की परफॉर्मर इंडिकेटर (KPI) का इजाद किया है जिसके जरिए नकारा बाबुओं की पहचान कर रेलवे की सूरत और सीरत बदलने की कोशिश की जाएगी।
KPI की मदद से रेटिंग
की परफॉर्मर इंडिकेटर की रिपोर्ट के बाद 16 जोन में बंटी भारतीय रेलवे की रेटिंग की गई है। रेटिंग के परिणाम के मुताबिक जहां साउथ ईस्टर्न मुख्यालय(कोलकाता) को शीर्ष स्थान मिला है, वहीं नॉर्थ ईस्टर्न रेलवे(गोरखपुर) श्रेष्ठता सूची में सबसे नीचे है। इसके अलावा नॉर्दन रेलवे को नीचे से तीसरी जगह मिला है। अप्रैल से दिसंबर 2016 के बीच रेलवे की सभी जोन की रेटिंग कराई गई थी।
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रेल मंत्रालय की पहल
रेल मंत्री ने 2016 के रेल बजट में ऐलान किया था कि रेलवे की कार्यप्रणाली में सुधार के लिए अप्रेजल सिस्टम को होना जरूरी है। अपने मकसद को अमलीजामा पहुंचाने के लिए उन्होंने केपीआई का इजाद किया गया। केपीआई में 17 बिंदुओं का समावेश किया गया, जिसमें ट्रेनों का सही समय पर संचालन, साफ सफाई, सुरक्षा शामिल था। इसके अलावा रेल ट्रैक बनाना, रेलवे स्टेशनों की बेहतरी शामिल था।
KPI के दायरे में वरिष्ठ अधिकारी
रेल मंत्री ने साफ कर दिया था कि सभी जोन में कार्यरत वरिष्ठ अधिकारियों का मुल्यांकन केपीआई के जरिए होगा। जो अधिकारी केपीआई पर खरे नहीं उतरेंगे उनको खुद अपने बारे में सोचना होगा कि रेलवे के विकास में उनकी भूमिका कितनी प्रासंगिक रहनी चाहिए।
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